नेशनल हेल्थ मिशन (NHM) में काम कर रहे 98000 कर्मचारी वेतन का इंतजार कर रहे हैं। कई महीनों से उन्हें वेतन नहीं मिला है। उनका वेतन भी इतना ज्यादा नहीं है कि वे महीनों तक, बिना वेतन के अपना काम चला सकें। नतीजा यह है कि हजारों लोग, अब अपनी आजीविका के लिए कर्ज पर निर्भर हो गए हैं। ऐसा नहीं है कि यूपी सरकार या केंद्र सरकार के पास नेशनल हेल्थ मिशन के लिए फंड नहीं है। फंड पर्याप्त है लेकिन अधिकारियों की लापरवाही की वजह से हजारों कर्मचारी, वेतन के लिए तरस रहे हैं। राज्य सरकार के अधिकारियों ने समय से औपचारिकताएं नहीं पूरी कीं, जिसकी वजह से केंद्र सरकार ने उत्तर प्रदेश में नेशनल हेल्थ मिशन के तहत दी जाने वाली 60 फीसदी फंडिंग रोक दी है। 

कर्मचारियों का कहना है कि त्योहारी सीजन चल रहा है, दीपावली नजदीक आ रही है अभी तक उन्हें वेतन ही जारी नहीं किया गया है। डॉक्टर, टेक्नीशियन, एनएनम, नर्स और लैब टैक्नीशियन जैसे पदों पर तैनात हजारों कर्मचारी 2 महीने से वेतन का इंतजार कर रहे हैं। कर्मचारी संघ ने नेशनल हेल्थ मिशन की निदेशक डॉ. पिंकी जोवल को चिट्ठी भी लिखी है, राज्य और केंद्र सरकार के समक्ष मुद्दे को भी उठाया है लेकिन उन्हें सिर्फ आश्वासन ही मिला है। 

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NHM कर्मचारियों को वेतन क्यों नहीं मिल रहा है?

संयुक्त राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कर्मचारी संघ के महामंत्री योगेश उपाध्याय ने कहा, 'राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत केंद्र सरकार 60 फीसदी खर्च वहन करती है। 40 फीसदी हिस्सा राज्य वहन करता है। कई राज्यों में केंद्र सरकार के फंड के इस्तेमाल में धांधली की बात सामने आई थी। वित्त मंत्रालय ने ऐसी गड़बड़ियों को रोकने के लिए 13 अगस्त 2023 को SNA-SPARSH प्रणाली की शुरुआत की थी। केंद्र सरकार, इसके जरिए राज्य के फंड की निगरानी करती है। यह चेक एंड बैलेंस सिस्टम है। इसके लिए जरूरी कागजी कार्यवाही अधिकारियों ने पूरी ही नहीं की।'

संयुक्त राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कर्मचारी संघ के महामंत्री योगेश उपाध्याय ने कहा, 'अधिकारियों ने केंद्र के निर्देश के बाद भी जरूरी औपचारिकताएं पूरी नहीं कीं। केंद्र सरकार ने 13 जुलाई 2023 को एक पत्र राज्य सरकार को भेजा। अधिकारी तब भी हरकत में नहीं आए। केंद्र सरकार ने फंडिंग रोक दी। जब कर्मचारी संघ ने विरोध शुरू किया, तब जाकर अधिकारी सक्रिय हुए हैं। त्योहार सिर पर हैं लेकिन अभी तक वेतन जारी नहीं हुआ है। बिना वेतन के हम त्योहार क्या मनाएंगे?'

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क्या चाहते हैं स्वास्थ्यकर्मी?

योगेश उपाध्याय, महामंत्री, संयुक्त राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कर्मचारी संघ:-
जुलाई के बाद से हमें वेतन नहीं मिला है। त्योहार सिर पर हैं। हमें आश्वासन दिया गया है लेकिन ठोस काम नहीं हुआ है। स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक ने आश्वासन दिया है कि त्योहारों से पहले भुगतान हो जाएगा। 


किन लोगों पर असर है?

नेशनल हेल्थ मिशन के तहत डॉक्टर, एएनएम, ओटी टेक्नीशियन, हेल्थ ऑफिसर, फर्मासिस्ट, लैब टेक्नीशियन, एक्स-रे टेक्नीशियन और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी भी आते हैं। हजारों लोग इस वजह से बेहद परेशान हैं। 8 घंटे की ड्यूटी के बाद, महीनों मेहनत करने के बाद भी इन्हें सैलरी नहीं मिली है। 

 

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सरकार ने क्या किया है?

यूपी के स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक ने भरोसा दिया है कि रुका हुआ वेतन जारी किया जाएगा। एनएचएम मिशन की निदेशक पिंकी जोयाल ने निर्देश दिया है कि वेतन जारी किया जाए। यूपी सरकार ने अधिकारियों की लापरवाही पर रिपोर्ट तलब की है। 

 

अधिकारियों को ज्ञापन देते संविदा कर्मचारी।

कर्मचारी संघ सरकार से क्या चाहता है?

नेशनल हेल्थ मिशन के तहत काम कर रहे कर्मचारी संविदाकर्मी हैं। उन्हें पदोन्नति भी मिलती है, वेतन भी सालाना 5 फीसदी बढ़ता है लेकिन इसके बाद भी कई खामियां हैं, जिन पर सवाल उठते हैं। कर्मचारी संघ के महामंत्री योगेश उपाध्याय ने कहा कि कई बार ऐसा होता है कि वेतन समय पर नहीं मिलता। कई जगह भेदभाव की खबरें सामने आती हैं। क्या है चाहते हैं कर्मचारी, आइए जानते हैं-

  • समान वेतन: एक ही पद पर काम कर रहे कर्मचारियों के वेतन अलग-अलग हैं। स्थायी नियुक्ति वाले कर्मचारियों और संविदा कर्मियों के वेतन में अंतर है, काम भले एक जैसा हो। 
  • समय से वेतन: वेतन भुगतान में देरी कई बार हुई है, कर्मचारी संघ चाहता है कि नियमित वेतन मिले। 
  • स्वास्थ्य बीमा: NHM कर्मचारियों के निधन पर 30 लाख का टर्म इंश्योरेंस दिया जाता है। स्वास्थ्य बीमा को लेकर बेहतर प्रवाधानों की जरूरत है। 
  • ट्रांसफर पॉलिसी: पहले संविदा स्तर के स्वास्थ्यकर्मियों की नियुक्ति जिला स्तर पर होती थी। जब से प्रांतीय स्तर मेरिट के आधार पर नियुक्तियां शुरू हुईं, लोगों को अलग-अलग जिलों में भेज दिया गया। नर्सिंग में 60 फीसदी महिला कर्मचारी हैं, जिन्हें अपने जनपद से इतर भेजा गया है, उन्हें मुश्किलों से गुजरना पड़ता है। ट्रांसफर पॉलिसी में पारदर्शिता आनी चाहिए। 

NHM कर्मियों को किन मुश्किलों से गुजरा पड़ता है?

नाम न बताने की शर्त पर एक महिला कर्मचारी ने कहा, 'स्थानीय स्तर पर कई स्तर के भेदभाव हैं, जिनसे हम जूझते हैं। संविदाकर्मियों से सौतेला व्यवहार होता है। कई बार दबाव बनाया जाता है। अधिकारियों की नाराजगी झेलनी पड़ती है। अधिकारी कई बार आपत्तिजनक मांगें करते हैं। संविदा के नाम पर शोषण होता है।' 

एक महिला कर्मचारी ने कहा, 'हम संविदाकर्मियों पर दबाव बनाया जाता है। विरोध करो तो कहते हैं कि फीडबैक देंगे, संविदा रद्द हो जाएगी। बार-बार कहा जाता है कि संविदा रिन्यू नहीं करेंगे। कई जगह पर इंसेंटिव लागू है, जहां अधिकारी कहते हैं कि कमीशन नहीं दोगे तो संविदा खत्म कर देंगे। हम काम कर रहे हैं, सम्मानजनक वेतन हमारा हक है।'