बिहार में नई सरकार के गठन के बाद प्रदेश के विकास को लेकर दिल्ली में मंथन होगा। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल 25 नवंबर को इस संबंध में दिल्ली में बैठक करेंगे। इसमें बिहार के उद्योग मंत्री डॉ. दिलीप जायसवाल शामिल होंगे। उद्योग मंत्री ने बताया कि बिहार सेमीकंडक्टर उद्योग लगाने पर गंभीरता से विचार कर रहा है। इस विषय में यह समझने की जरूरत है कि सरकार की सेमीकंडक्टर को बढ़ावा देने की नीति राज्य में कितनी कारगर हो सकती है?

 

उद्योग मंत्री ने बताया कि सेमी कंडक्टर के लिए गंगा और कोसी नदी के किनारे वाली जगहों पर नजर है। इस सेक्टर के लिए पानी की भरपूर आवश्यकता है और राज्य में पानी की उपलब्धता अधिक है। यहां इसकी पूरी संभावनाओं को देखते हुए सरकार इसके लिए हर संभव प्रयास कर रही है। 

 

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बिहार में सेमीकंडक्टर उद्योग का स्कोप

सेमीकंडक्टर के लिए बुनियादी जरूरतों में कौशल और शिक्षा, फाइनेंस के साथ अत्याधुनिक बुनियादी ढांचा (जैसे फैब्रिकेशन प्लांट), और कच्चा माल (जैसे रेयर अर्थ मेटल्स) शामिल हैं। इसके लिए आवश्यक कर्मियों में इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग या फिजिक्स बैकग्राउंड वाले लोग शामिल होते हैं, और इसमें डिजाइन और फैब्रिकेशन दोनों प्रक्रियाएं शामिल होती हैं।

 

बिहार में सेमीकंडक्टर सेक्टर का सीधा और बड़ा निवेश स्थापित होने की संभावना कम है, क्योंकि इसके लिए हाई लेवल की बुनियादी सुविधा की जरूरत है जिसमें बिहार अभी अन्य राज्यों से पीछे है।

 

बिहार में कुछ सेमीकंडक्टर डिजाइन स्टार्टअप्स जैसे मुजफ्फरपुर में सुरेश चिप्स एंड सेमीकंडक्टर कंपनी शुरू हुई पर उन्हें बुनियादी ढांचे और सरकारी समर्थन की कमी के कारण शुरुआती चुनौतियों का सामना करना पड़ा।

 

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बिजली की आवश्यकता

  • सेमीकंडक्टर बनाने के लिए विशेष रूप से चिप फेब्रिकेशन प्लांट (Fab), दुनिया के सबसे अधिक ऊर्जा-गहन उद्योगों में से एक है। एक बड़ी चिप फैब यूनिट को चलाने के लिए जरूरत बिजली की मात्रा एक छोटे या मध्यम आकार के शहर जितनी होती है।
  • जबकि बिहार में बिजली उत्पादन और आपूर्ति में बहुत कमी है। सेमीकंडक्टर फैब यूनिट को उच्च मात्रा में बिजली की आवश्यकता तो है पर इससे भी ज्यादा जरूरी है कि यह स्थिर हो। वोल्टेज में थोड़ा भी उतार-चढ़ाव वेफर्स के पूरे बैच को खराब कर सकता है जिससे करोड़ों रुपयों का नुकसान हो सकता है।
  • बिहार में अभी भी बिजली सप्लाई सुनिश्चित करना एक बड़ा बुनियादी ढांचात्मक सुधार मांगता है। इसके साथ ही बिहार अपनी बिजली की मांग का एक बड़ा हिस्सा एनटीपीसी (NTPC) से प्राप्त करता है। बिजली की जरूरत के लिए किसी और पर निर्भरता, बड़े औद्योगिक निवेशकों को सुरक्षा का भाव नहीं देती।

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इससे जुड़ी अन्य चुनौतियां

बिहार के सामने सेमीकंडक्टर उद्योग के विकास में कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। जैसे-

  • बुनियादी ढांचे की कमी- सेमीकंडक्टर फैब को 24x7 बिजली आपूर्ति और अल्ट्रा-प्योर पानी की आवश्यकता होती है, जिसकी उपलब्धता बिहार में अभी भी एक चुनौती है।
  • ट्रांसपोर्टेशन का खर्च: प्रमुख बंदरगाहों से दूर होने के कारण लॉजिस्टिक्स और ट्रांसपोर्टेशन पर खर्च अन्य तटीय राज्यों की तुलना में अधिक हो सकती है।
  • इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनियों को आकर्षित करना- बड़ी इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनियां, जैसे फॉक्सकॉन, ने पहले भी बिहार में इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण की संभावनाओं का पता लगाया था। राज्य में इस सेक्टर में मौजूद कुछ कंपनियों को वह माहौल मुहैया कराना जिससे और कंपनियां आकर्षित हो, यह एक बड़ी चुनौती है।
  • बेहतर इकोसिस्टम- नीति आयोग के जारी रिपोर्ट के अनुसार, फैब के लिए 200 से अधिक सहायक कंपनियों का एक बेहतर इकोसिस्टम चाहिए, जिसका बिहार में फिलहाल अभाव है।

बिहार में सेमीकंडक्टर जैसे ऊर्जा-गहन उद्योग को आकर्षित करने के लिए, राज्य को सिर्फ पर्याप्त बिजली की मात्रा नहीं बल्कि विश्वास, जीरो प्रॉब्लम और एक ट्रांसमिशन इंफ्रास्ट्रक्चर पर भारी निवेश की जरूरत है जिस पर सरकार को काम करने की जरूरत है। बिहार को केंद्र की नीति का लाभ उठाने के लिए अपनी आईटी और इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम डिजाइन और विनिर्माण (ESDM) नीति को मजबूत करना होगा।