इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) ने चुनाव आयोग की राह आसान कर दी है। अब पर्चे गिनने का बोझ अधिकारियों पर कम है। मशीनें, खुद कितने वोट दर्ज हैं, इसकी गणना करती हैं। पहले पोस्टल बैलेट की गिनती होती है, फिर ईवीएम से मत गिने जाते हैं। जब पोस्ट बैलेट की गिनती शुरू हो जाती है, उसके आधे घंटे बाद ईवीएम मशीनों से पड़े गए वोटों की गिनती होती है। 

ईवीएम मशीनों से भी हो रही गिनती, राउंड में की जाती है। रिटर्निंग अधिकारी हर राउंड की गिनती के बाद रुझान दिखाते हैं। वे बताते हैं कि कौन का प्रत्याशी रुझानों में आगे चल रहा है, कौन पीछे चल रहा है। वे जिस नंबर का जिक्र करते हैं, वह एक राउंड के अंत में अपडेट की गई संख्या होती है। 

कैसे होती है वोटों की गिनती?
जिस काउंटिंग रूम में वोटों की गिनती होती है, वहां बैलेटिंग यूनिट (BU), कंट्रोल यूनिट (CU) और वोटर वरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) रखा होता है। बैलेटिंग यूनिट वह टूल होता है, जिस पर प्रत्याशी वोट करते हैं। बीयू, सीयू से कनेक्ट रहता है। सीयू में ही वोट दर्ज होते हैं। जब गिनती होती है, तो सीयू को ही कंट्रोल रूम में रखा जाता है। काउंटिग हॉल में वोटों की गिनती की जाती है। 

जब सीयू को काउंटिंग रूम में निकाला जाता है तो इसकी जांच की जाती है कि कहीं कुछ संदिग्ध तो नहीं है, कहीं मशीनें की अदलाबदली तो नहीं हुई है। अधिकारी जब संतुष्ट हो जाते हैं, तब वोटों की गितनी शुरू की जाती है। वोटों की गिनती बहुत आसान होती है। 

सीयू में ही एक रिजल्ट बटन होता है, जिसे अधिकारी प्रेस करते हैं। यह प्रेस करने पर डिस्पे पैनल पर रिजल्ट नजर आने लगते हैं। डिस्प्ले पैनल हर शख्स को स्पष्ट रूप से दिखाया जाता है। चुनाव वर्यवेक्षक, परिणामों को नोट करते हैं। वोटिंग एजेंट खुद टेबल पर नहीं बैठे होते हैं, उन्हें दिखाया जाता है। जब सभी पक्ष संतुष्ट होते हैं, तभी वोटों की गिनती आगे बढ़ाई जाती है। 


वोटिंग के बाद मशीनों का क्या होता है?
मतगणना पूरी होने के बाद ईवीएम को फिर से स्टोर में भेज दिया जाता है, जिससे जब कहीं दोबारा चुनाव हों, तो उन्हें इस्तेमाल में लाया जा सके।