शनिवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2025-26 के लिए बजट पेश किया। इस बजट में उन्होंने तमाम घोषणाएं कीं. सीतारमण ने इनकम टैक्स को 12 लाख तक के लिए टैक्स-फ्री कर दिया। इसके अलावा टैक्स फ्री इनकम की स्लैब में भी बदलाव किया गया है।

 

वेतनभोगी वर्ग के साथ साथ वित्त मंत्री ने अन्य वर्गों को भी साधने की भी कोशिश की। बजट में उन्होंने चार सेक्टर्स को विकास का इंजन बताया। यह सेक्टर हैं- कृषि, एमएसएमई, निवेश और निर्यात।

 

तो इस लेख में हम इस बात की पड़ताल करेंगे कि इन चारों क्षेत्रों की बात निर्मला सीतारमण ने क्यों की और इसकी ग्रोथ से देश की अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ेगा?

खेती से कैसे होगा आर्थिक विकास

भारत में एक कृषि एक ऐसा सेक्टर है जिस पर काफी बड़ी जनसंख्या अपनी आजीविका के लिए निर्भर है। भारत में करीब 42 प्रतिशत जनसंख्या कृषि कार्यों में लगी हुई है और देश की जीडीपी में इसका योगदान 18.2 प्रतिशत है। 

 

खेती न सिर्फ देश की भारी-भरकम जनसंख्या को भोजन उपलब्ध कराती है बल्कि इस लाभ का प्रतिशत भी काफी अच्छा है। आंकड़ों के मुताबिक एग्रीकल्चर रिसर्च में अगर एक रुपया खर्च किया जाता है तो इससे लगभग 13 गुना का लाभ देता है।

 

ज़ाहिर है देश की इतनी बड़ी जनसंख्या की आय बढ़ेगी तो देश के विकास में काफी बड़ा योगदान होगा। साथ ही चूंकि कृषि रिटर्न ऑन इन्वेस्टमेंट अच्छा है यानी कि जितना पैसा इन्वेस्ट किया जाता है उससे कहीं ज्यादा रिटर्न मिलता है तो ऐसे में अगर कृषि की तरफ लोगों को प्रेरित किया जा सकेगा तो विकास को गति मिल सकेगी।

 

कृषि को गति देने के लिए इस बार के बजट में सरकार ने कई घोषणाएं की हैं-

 

प्रधानमंत्री धन धान्य कृषि योजना

 

केसीसी की लिमिट को 3 लाख से बढ़ाकर 5 लाख करना।

 

कॉटन की उत्पादकता को बढ़ाने के लिए मिशन

 

बिहार में मखाना बोर्ड का गठन

MSME कैसे करेगा योगदान

देश में मार्च 2024 तक कुल करीब 6.3 करोड़ एमएसएमई उद्योग हैं। इनमें भी 97 प्रतिशत उद्योग माइक्रो इंडस्ट्रीज हैं। उद्यम रजिस्ट्रेशन पोर्टल के डेटा के मुताबिक स्मॉल स्केल की इंडस्ट्रीज 1.5 प्रतिशत हैं जबकि मीडियम साइज की इंडस्ट्रीज 0.8 प्रतिशत हैं।

 

देश की करीब 11 करोड़ जनसंख्या की आजीविका का स्रोत एमएसएमई सेक्टर है, जो कि काफी बड़ी जनसंख्या है। वहीं जीडीपी में इसका योगदान 30 प्रतिशत है। 

 

इन एमएसएमई का देश के निर्यात में 45 प्रतिशत का योगदान है। जाहिर है एमएमएमई सेक्टर की अगर ग्रोथ होती है तो और ज्यादा से ज्यादा लोगों के लिए आजीविका के साधन विकसित किए जा सकेंगे, साथ ही देश की जीडीपी को भी बढ़ाया जा सकेगा।

 

हाल के दिनों में एमएसएमई सेक्टर को कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा था, इसी को साधने के लिए निर्मला सीतारमण ने इस सेक्टर को बढ़ावा देने की घोषणा की है।

 

एमएसएमई को बढ़ावा देने कि लिए सरकार ने कई घोषणाएं की हैं-

 

इसको बढ़ावा देने के लिए सरकार माइक्रो इंटरप्राइजेज के लिए सरकार कस्टाइज़्ड क्रेडिट कार्ड जारी करेगी जिसकी लिमिट 5 लाख तक होगी। पहले साल में 10 लाख क्रेडिट कार्ड जारी किए जाने की योजना है।

 

वहीं पहली बार के उद्यमियों के लिए अगले पांच सालों में 2 करोड़ रुपये तक का लोन दिए जाने की योजना है।

निवेश को बढ़ाने से क्या होगा?

किसी भी देश के आर्थिक विकास के लिए निवेश बहुत ही जरूरी होता है क्योंकि बिना निवेश के न ही कृषि सहित न ही मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का विकास हो सकता है और न ही सर्विस सेक्टर का।

 

किसी भी उद्यम या व्यापार को शुरू करने के लिए पूंजी की जरूरत होती है। ऐसे में पूंजी का एक स्रोत होता है अपनी खुद की जमा पूंजी और दूसरा होता है ऋण।

 

सरकार अलग अलग मदों में निवेश करके न सिर्फ इन्फ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाती है बल्कि लोगों के हाथ में पूंजी भी पहुंचाती है। इसी पूंजी का उपयोग करके लोगों की आय बढ़ती है और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलता है।

 

सरकार ने अलग-अलग सेक्टर्स में निवेश की योजना बनाई है-

 

सक्षम आंगनवाडी और पोषण योजना 2.0

 

आईआईटी की क्षमता बढा़ई जाएगी

 

मेडिकल एजुकेशन को बढ़ावा देने के लिए अगले पांच सालों में 75 हजार सीटें बढ़ाई जाएंगी।

 

स्कूलों में 50 हजार लैब सेटअप की जाएगी

 

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को बढ़ावा देने के लिए 500 करोड़ रुपये

 

राज्यों को सपोर्ट करने के लिए डेढ़ लाख करोड़ का पैकेज

 

जल जीवन मिशन

 

पीएम रिसर्च फेलोशिप

निर्यात को बढ़ावा देने से क्या होगा?

किसी भी देश के विकास में निर्यात का काफी बड़ा हाथ होता है। निर्यात को बढ़ावा देने से फॉरेन करेंसी देश में आती है और विदेशी मुद्रा भंडार में भी बढ़ोत्तरी होती है।

 

निर्यात बढ़ने से न सिर्फ रोजगार बढ़ता है बल्कि बाहर से निवेश भी आता है। साल 2024 में निर्यात 814 बिलियन डॉलर रहने का अनुमान है जो कि साल 2023 की तुलना में 5.58 प्रतिशत की वृद्धि थी।

 

इसमें मर्केंडाइड एक्सपोर्ट के 441.5 रहने का अनुमान था जबकि सर्विस सेक्टर के एक्सपोर्ट का 372 बिलियन डॉलर रहने का अनुमान है।

 

निर्यात को भी बढ़ाने के लिए भी सरकार ने कई कदम उठाए हैं-

 

एक्सपोर्ट प्रमोशन मिशन बनाना

 

भारत ट्रेड नेट का गठन

 

एयरकार्गो के लिए वेयरहाउसिंग फेसिलिटी

 

एसएचजी की क्रडिट जरूरतों को पूरा करने के लिए  ग्रामीण क्रेडिट स्कोर


यह भी पढ़ेंः 'ब से बजट, ब से बिहार,' ट्रोल क्यों हो रही हैं निर्मला सीतारमण?