केंद्र की मोदी सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए बड़ा ऐलान किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में हुई कैबिनेट मीटिंग में 8वें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी मिल गई है। वेतन आयोग केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी और पेंशनर्स की पेंशन तय करता है।

5 पॉइंट्स में वेतन आयोग के बारे में सबकुछ

- 8वां वेतन आयोग क्यों?: 1 जनवरी 2016 से 7वें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू हैं। 31 दिसंबर 2025 को इसका कार्यकाल खत्म हो रहा है। इसलिए 8वें वेतन आयोग का गठन होगा।


- लागू कब से होगा?: अभी 8वें वेतन आयोग का गठन होगा। अध्यक्ष और दो सदस्यों की नियुक्ति की जाएगी। सिफारिशें मंजूर होने के बाद 1 जनवरी 2026 से लागू हो जाएगा।


- कितनों को फायदा होगा?: केंद्र के कुल 45 लाख कर्मचारी और 65 लाख पेंशनर्स को फायदा होगा। यानी कुल 1.15 करोड़ लोगों को। दिल्ली में 4 लाख कर्मचारियों को फायदा होगा।


- कितनी सैलरी बढ़ने की उम्मीद?: 7वें वेतन आयोग में सैलरी 2.57 से 2.78 फिटमेंट फैक्टर के आधार पर सैलरी बढ़ी थी। अगर 8वें वेतन आयोग में यही फिटमेंट फैक्टर रहता है तो सैलरी 2.57 से 2.78 गुना तक बढ़ने की उम्मीद है।


- राज्य के कर्मचारियों का क्या?: ज्यादातर राज्य सरकारें केंद्र के ही वेतन आयोग का पालन करती हैं। ऐसे में राज्यों में भी 8वें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू हो सकती हैं। ऐसा हुआ तो 1.40 करोड़ कर्मचारियों को फायदा हो सकता है।

7वें वेतन आयोग से क्या हुआ था?

फरवरी 2014 में तत्कालीन मनमोहन सरकार ने 7वें वेतन आयोग का गठन किया था। 1 जनवरी 2016 से इसकी सिफारिशें लागू हुई थीं। इससे मिनिमम सैलरी 7 हजार से बढ़ाकर 18 हजार हो गई थी। मैक्सिमिम सैलरी 2.50 लाख रुपये तय की गई थी। मिनिमम पेंशन बढ़कर 9 हजार रुपये और मैक्सिमम पेंशन 1.25 लाख रुपये हो गई थी। इसमें महंगाई भत्ता शामिल नहीं था।

8वें वेतन आयोग से क्या होगा? समझें गणित

7वें वेतन आयोग में 2.57 से 2.78 के बीच फिटमेंट फैक्टर के आधार पर केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी और पेंशन बढ़ाई गई थी। फिटमेंट फैक्टर सरकारी कर्मचारियों की सैलरी और पेंशन तय करने का फॉर्मूला होता है। इसी आधार पर अलग-अलग लेवल पर सैलरी और पेंशन बढ़ती है। इसमें भत्ते नहीं जुड़ते हैं। अगर साधारण भाषा में समझें तो फिटमेंट फैक्टर यानी कितना गुना सैलरी और पेंशन बढ़ेगी।


अगर मान लिया जाए कि 8वें वेतन आयोग में भी 2.57 फिटमेंट फैक्टर के आधार पर ही सैलरी बढ़ी तो इससे मैक्सिमम सैलरी 6.42 लाख और मिनिमम सैलरी 46 हजार रुपये से ज्यादा हो जाएगी।

इतनी बढ़ सकती है सैलरीः-

इसे ऐसे समझें। अभी मिनिमम सैलरी 18 हजार रुपये है। इसमें 2.57 का गुणा कीजिए। 18,000X2.57= 46,260। यानी कर्मचारियों की हर महीने की मिनिमम सैलरी 46,260 रुपये हो जाएगी। इस हिसाब से मिनिमम सैलरी 28,260 रुपये बढ़ जाएगी।


इसी तरह अभी मैक्सिमम सैलरी 2.50 लाख रुपये है। इसमें 2.57 का गुणा करें तो 2,50,000X2.57= 6,42,500। यानी हाई ग्रेड वाले अफसर की हर महीने की सैलरी 6,42,500 रुपये हो जाएगी। इस हिसाब से उनकी सैलरी 3,92,500 रुपये की बढ़ोतरी होगी।

इतनी बढ़ सकती है पेंशनः-

अभी सबसे लो ग्रेड के कर्मचारी को हर महीने कम से कम 9 हजार रुपये की पेंशन मिलती है। 2.57 के फिटमेंट फैक्टर से कैलकुलेशन करें तो 9,000X2.57= 23,130 होता है। यानी, रिटायर्ड कर्मचारी को हर महीने 23,130 रुपये की पेंशन मिल सकती है।


वहीं, सेक्रेटरी लेवल से रिटायर्ड अफसर को 1.25 लाख रुपये की पेंशन हर महीने मिलती है। 2.57 फिटमेंट फैक्टर के आधार पर 1,25,000X2.57= 3,21,250 रुपये की पेंशन मिलेगी। 

इससे सरकार पर कितना बोझ बढ़ेगा?

7वें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने के बाद सरकार पर 1 लाख करोड़ रुपये का बोझ आया था। अनुमान है कि 8वें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने के बाद सैलरी और पेंशन पर सरकार का कुल खर्च 4.64 लाख करोड़ रुपये हो सकता है। 

इससे अर्थव्यवस्था को क्या फायदा?

जब लोगों के पास पैसे आएंगे तो वो या तो खर्च करेंगे या बैंकों में जमा करेंगे। इससे अर्थव्यवस्था को फायदा होगा। पैसा बाजार में जाता है तो इससे मांग और खपत बढ़ती है। जब 7वें वेतन आयोग की सिफारिश लागू हुई थी तो अगले साल 2017-18 में गाड़ियों की बिक्री 14.22 फीसदी बढ़ गई थी। होम लोन में भी 11 फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी।

आजादी से अब तक कितनी बढ़ी सैलरी?

- पहला वेतन आयोगः मई 1946 से मई 1947 के बीच पहला वेतन आयोग रहा। श्रीनिवास वरदाचारी ने मिनिमम सैलरी 55 रुपये प्रतिमाह तय की। इससे 15 लाख कर्मचारियों को फायदा हुआ था।


- दूसरा वेतन आयोगः अगस्त 1947 से अगस्त 1959 तक लागू रहा। जगनाथ दास इसके अध्यक्ष थे। उन्होंने हर महीने की मिनिमम सैलरी 80 रुपये तय की। इससे 25 लाख कर्मचारियों को फायदा हुआ।


- तीसरा वेतन आयोगः अप्रैल 1970 से मार्च 1973 तक लागू रहा। रघुबीर दयाल इसके अध्यक्ष थे। इन्होंने मिनिमम सैलरी बढ़ाकर 185 रुपये प्रतिमाह की। इससे 30 लाख कर्मचारियों को फायदा हुआ।


- चौथा वेतन आयोगः सितंबर 1983 से दिसंबर 1986 तक लागू रहा। पीएन सिंघल की अध्यक्षता वाले आयोग ने मिनिमम सैलरी 750 रुपये प्रतिमाह किया। इससे 35 लाख कर्मचारियों को फायदा हुआ।


- 5वां वेतन आयोगः अप्रैल 1994 से जनवरी 1997 तक 5वें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू रहीं। रिटायर्ड जस्टिस एस. रत्नावेल पांडियन की अध्यक्षता वाले आयोग ने मिनिमम सैलरी 2,550 रुपये करने की सिफारिश की थी। इससे 40 लाख कर्मचारियों को फायदा हुआ।


- 6वां वेतन आयोगः अक्टूबर 2006 से मार्च 2008 तक लागू रहा। जस्टिस बीएन श्रीकृष्णा की अगुवाई वाले आयोग ने हर महीने की मिनिमम सैलरी 7,000 रुपये और मैक्सिमम सैलरी 80,000 रुपये की गई। इससे 60 लाख कर्मचारियों को फायदा हुआ।


- 7वां वेतन आयोगः 1 जनवरी 2016 से 7वें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू हैं। जस्टिस एके माथुर की अध्यक्षता वाले आयोग ने मिनिमम सैलरी 18,000 रुपये और मैक्सिमम सैलरी 2,50,000 रुपये करने की सिफारिश की थी। इससे 1 करोड़ से ज्यादा कर्मचारियों और पेंशनर्स को फायदा हुआ।

 

नोटः 8वें वेतन आयोग की सैलरी और पेंशन को लेकर ये सिर्फ अनुमान है। वास्तविक बढ़ोतरी आयोग की सिफारिश के आधार पर होगी।