केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने मंगलवार को एक ट्वीट किया जिसके बाद लोगों को लगा कि डीजल और पेट्रोल सस्ता हो रहा है। हरदीप सिंह पुरी ने तेल कंपनियों को बधाई देते हुए लिखा कि कई जगहों पर डीजल और पेट्रोल सस्ता होगा। इस ट्वीट के बाद तेल कंपनियों ने सोशल मीडिया पर बयान जारी करके बताया कि उनके फैसले से डीजल-पेट्रोल के दाम कम नहीं हो रहे हैं। ऑयल मार्केटिंग कंपनियों (OMCs) ने यह भी बताया कि डीलर कमीशन को बढ़ाया जा रहा है लेकिन इससे आम ग्राहकों के लिए डीजल-पेट्रोल की कीमतें नहीं बदलेंगी।
डीलर का कमीशन बढ़ेगा, कुछ जगहों पर कीमत कम होगी, इंस्ट्रा स्टेट फ्रेट में बदलाव किया जाएगा जैसी बातें शायद थोड़ी मुश्किल लगें। इसलिए हम इस पूरे मामले को आसान भाषा में समझाने की कोशिश कर रहे हैं ताकि आप जान सकें कि OMCs ने क्या फैसला किया है, उसका असर किस पर होगा, आपके लिए डीजल-पेट्रोल की कीमतों में कितना बदलाव होगा। आइए समझते हैं पूरा मामला...
क्या है OMCs का फैसला?
अब तेल कंपनियों ने फैसला किया है कि पेट्रोल पंप चलाने वाले लोगों को जो कमीशन दिया जाता है उसमें बढ़ोतरी की जाएगी। यानी प्रति लीटर जो कमीशन पहले मिलता था अब वह थोड़ा ज्यादा मिलेगा। यह फैसला आज से ही लागू भी कर दिया गया है। तेल कंपनियों ने स्पष्ट भी किया है कि इससे ग्राहकों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। इसके साथ एक और फैसला किया गया है कि इंट्रा-स्टेट फ्रेट रैशनलाइजेशन किया जाएगा ताकि अलग-अलग जगह पर मिलने वाले तेल की कीमतों में इतना अंतर न हो। इससे दूर दराज वाले राज्यों या एक ही राज्य के सुदूर शहरों में तेल की कीमतों में डीजल-पेट्रोल उतना महंगा नहीं मिलेगा। यह फैसला फिलहाल झारखंड और महाराष्ट्र में लागू नहीं होगा क्योंकि वहां चुनाव हो रहे हैं और आचार संहिता लागू है।
इसके बारे में HPCL के पूर्व CMD एमके सुराना ने एक चैनल से बातचीत में कहा, 'ऑयल कंपनियां और डीलर असोसिएशन मिलकर डीलर कमीशन तय करती हैं। टर्निमल से दूर के इलाकों के लिए ढुलाई ज्यादा लगती है। यही वजह है कि अलग-अलग क्षेत्रों में कीमतें अलग-अलग होती हैं। ऐसे में इस फैसले से कीमतों पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है।' यहां यह भी बताते चलें कि डीलर कमीशन में बढ़ोतरी की मांग पिछले 7 साल से हो रही थी। लंबे समय के इंतजार के बाद हुए इस फैसले से 83 हजार से ज्यादा पेट्रोल पंप और उन पर काम करने वाले 10 लाख से ज्यादा कर्मचारियों को फायदा होगा।
सस्ता कहां होगा?
अब आते हैं हरदीप सिंह पुरी के ट्वीट पर। उन्होंने कुछ जगहों पर पेट्रोल-डीजल के दाम में कटौती वाली एक लिस्ट शेयर की है। इसके मुताबिक, कुछ जगहों पर डीजल-पेट्रोल की कीमत में 2 रुपये से लेकर 4 रुपये तक की कमी आने वाली है। यह कैसे हुआ इसे समझने के लिए हमें इंट्रा-स्टेट फ्रेज रैशनलाइजेशन को समझना होगा। दरअसल, तेल कंपनियों के डिपो से लेकर पेट्रोल पंप तक तेल पहुंचाने में जो खर्च आता है उसी को कम किए जाने की बात की गई है।
आम तौर पर डिपो से दूरी के हिसाब से यह खर्च तय होता है। यही वजह है कि डिपो के पास के शहर में डीजल पेट्रोल की कीमतें कम होती हैं और डिपो से दूर बसे शहर में कीमतें काफी ज्यादा होती हैं। इसको ऐसे समझ सकते हैं कि दिल्ली-मुंबई जैसे शहरों में डीजल-पेट्रोल की कीमतों की तुलना में पहाड़ों पर बसे इलाकों और पूर्वोत्तर के राज्यों में तेल महंगा होता है। कंपनियों के इस फैसले से इसी खर्च को कम किया जाएगा जिसके चलते ओडिशा, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों के सुदूर शहरों और इलाकों में डीजल-पेट्रोल सस्ता हो जाएगा।
कैसे चलता है डीजल-पेट्रोल का कारोबार?
भारत में डीजल-पेट्रोल का कारोबार कंपनियों के ग्रुप को OMC कहा जाता है। तेल की कीमतें ये कंपनियां मिलकर ही तय करती हैं। सरकार की ओर से तेल की कीमतों पर तब असर पड़ता है जब इस पर लगने वाले टैक्स में बदलाव किया जाता है। तेल कंपनियां पेट्रोल-डीजल बेचने के लिए पेट्रोल पंप खोलती हैं, जिसे चलाने का काम किसी और को मिलता है। जिस कीमत पर आप डीजल-पेट्रोल खरीदते हैं, उसमें ज्यादा हिस्सा तेल कंपनी का, सरकार की ओर से लगने वाला टैक्स और पेट्रोल पंप का कमीशन शामिल होता है। पेट्रोल पंप चलाने वाले लोगों की कमाई इसी कमीशन से होती है।

बता दें कि आप जिस कीमत पर पेट्रोल या डीजल खरीदते हैं उसमें एक्साइज ड्यूटी लगती है जो कि केंद्र सरकार तय करती है। सेल्स टैक्स या वैट लगता है जो राज्य सरकार लगाती है। इसके अलावा डीलर कमीशन भी इसी में शामिल होता है। पेट्रोलियम और नेचुरल गैस मंत्रालय की पेट्रोलियम प्लानिंग एंड अनैलसिस सेल के मुताबिक, 19 फरवरी 2019 को आखिरी बार डीलर कमीशन तय किया गया था। इसके हिसाब से पेट्रोल पर 2637.80 रुपये प्रति किलो लीटर और डीजल पर 2000.60 रुपये प्रति किलोलीटर का कमीशन पेट्रोल पंप मालिकों को मिलता है। इस कमीशन पर GST समेत कुछ कटौती भी होती है। पेट्रोल पंप की कैटगरी के मुताबिक, पंप के मालिकों को लाइसेंस फीस भी चुकानी होती है।