भारत की अर्थव्यवस्था में ग्रामीण क्षेत्रों और सूक्ष्म उद्योगों की भूमिका हमेशा से अहम रही है, लेकिन इनोवेशन, तकनीक और पूंजी की कमी के कारण गांवों के पारंपरिक व लघु उद्योग बड़े पैमाने पर विकसित नहीं हो पाए। इसी खाई को पाटने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने ASPIRE योजना की शुरुआत की। यह योजना न सिर्फ ग्रामीण युवाओं को उद्यमिता के लिए प्रोत्साहित करती है, बल्कि कृषि-आधारित उद्योगों, स्टार्टअप और रोजगार पैदा करने में मदद करती है। आत्मनिर्भर भारत और वोकल फॉर लोकल जैसे अभियानों के संदर्भ में ASPIRE योजना को ग्रामीण औद्योगीकरण की रीढ़ माना जाता है।

 

ASPIRE (A Scheme for Promotion of Innovation, Rural Industry and Entrepreneurship) योजना को MSME मंत्रालय द्वारा लागू किया गया है। इसका मुख्य उद्देश्य ग्रामीण और अर्द्ध-शहरी क्षेत्रों में इनोवेशन आधारित उद्योग, एग्री-स्टार्टअप, हस्तशिल्प, फूड प्रोसेसिंग और स्थानीय संसाधनों पर आधारित व्यवसायों को बढ़ावा देना है। यह योजना खास तौर पर उन युवाओं को टारगेट करती है जो नौकरी ढूंढने के बजाय खुद का उद्यम शुरू करना चाहते हैं।

कैसे हुई शुरुआत

ASPIRE योजना की औपचारिक शुरुआत 2015–16 के आसपास की गई थी, जब सरकार ने यह महसूस किया कि PMEGP जैसी योजनाएं स्वरोजगार को तो बढ़ावा दे रही हैं, लेकिन इननोवेशन और टेक्नोलॉजी सपोर्ट की कमी है। ASPIRE इसी कमी को पूरा करने के लिए लाई गई, ताकि ग्रामीण उद्यम सिर्फ छोटे स्तर तक सीमित न रहें, बल्कि भविष्य में स्केलेबल बिजनेस बन सकें।

 

इस योजना का पहला उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा करना है, ताकि पलायन को रोका जा सके। दूसरा बड़ा उद्देश्य एग्री-बेस्ड इंडस्ट्री को संगठित और आधुनिक बनाना है। तीसरा लक्ष्य स्टार्टअप कल्चर को गांवों तक पहुंचाना है, ताकि इनोवेशन सिर्फ शहरों तक सीमित न रहे। इसके अलावा, ASPIRE योजना का मकसद महिलाओं, कारीगरों और युवाओं को उद्यमिता की मुख्यधारा में लाना भी है।

दो तरह से मॉडल

ASPIRE योजना मुख्य रूप से दो संस्थागत ढांचों पर आधारित है। पहला है Livelihood Business Incubator (LBI) और दूसरा Technology Business Incubator (TBI)। LBI का उद्देश्य पारंपरिक और ग्रामीण व्यवसायों को स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग मॉडल, ट्रेनिंग और मार्केट लिंक देना है, जबकि TBI टेक्नोलॉजी-आधारित स्टार्टअप, इनोवेशन और रिसर्च को बढ़ावा देता है। इन दोनों के माध्यम से सरकार गांवों में एक पूरा बिजनेस इकोसिस्टम तैयार करना चाहती है।

 

LBI उन उद्यमों के लिए बनाया गया है जो पहले से गांवों में मौजूद हैं, जैसे अगरबत्ती, फ्लाई ऐश ब्रिक, डेयरी, फूड प्रोसेसिंग, हैंडीक्राफ्ट, खादी, बांस उत्पाद और निर्माण सामग्री से जुड़े छोटे उद्योग। LBI के जरिए उद्यमियों को मशीनरी, डिजाइन सपोर्ट, स्किल ट्रेनिंग और मार्केटिंग में मदद दी जाती है। इससे परंपरागत उद्योगों की उत्पादकता बढ़ती है और लागत घटती है।


वहीं TBI का फोकस नए और टेक्नोलॉजी-ड्रिवन स्टार्टअप पर होता है, खासकर कृषि, फूड प्रोसेसिंग, रिन्यूएबल एनर्जी और रूरल सर्विस के क्षेत्र में। यहां युवाओं को प्रोटोटाइप डेवलपमेंट, मेंटरशिप, रिसर्च सपोर्ट और निवेश से जोड़ने का काम किया जाता है। TBI के जरिए गांवों में भी स्टार्टअप कल्चर को बढ़ावा देने की कोशिश की जा रही है।

मिलेगा सरकारी अनुदान

ASPIRE योजना के तहत सरकार LBI और TBI की स्थापना के लिए अनुदान देती है। आमतौर पर एक LBI के लिए कई करोड़ रुपये तक का प्रोजेक्ट सपोर्ट उपलब्ध कराया जाता है, जिसमें इंफ्रास्ट्रक्चर, ट्रेनिंग और ऑपरेशनल खर्च शामिल होते हैं। यह सहायता सीधे व्यक्तिगत उद्यमी को न देकर, संस्थानों, NGO, शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी एजेंसियों के माध्यम से दी जाती है, ताकि संसाधनों का बेहतर उपयोग हो सके।

पात्रता क्या है?

ASPIRE योजना का लाभ वे संस्थाएं उठा सकती हैं जो ग्रामीण विकास, MSME या स्किल ट्रेनिंग के क्षेत्र में काम कर रही हों। व्यक्तिगत स्तर पर इसका अप्रत्यक्ष लाभ ग्रामीण युवा, किसान, कारीगर, महिला समूह और माइक्रो उद्यमियों को मिलता है। खास बात यह है कि योजना ग्रामीण भारत पर केंद्रित है, इसलिए शहरी स्टार्टअप की तुलना में यहां स्थानीय जरूरतों को प्राथमिकता दी जाती है।

बिजनेस बढ़ाने पर जोर

ASPIRE योजना को PMEGP, मुद्रा योजना और CGTMSE जैसी योजनाओं के साथ जोड़कर देखा जाता है। जहां PMEGP शुरुआती पूंजी और सब्सिडी देता है, वहीं ASPIRE बिजनेस को टिकाऊ और इनोवेटिव बनाने में मदद करता है। इस तरह यह योजना केवल ‘दुकान खोलने’ तक सीमित नहीं रहती, बल्कि बिजनेस को आगे बढ़ाने की रणनीति देती है।

रोजगार में बढ़ोत्तरी

कई राज्यों में ASPIRE के तहत स्थापित LBI ने स्थानीय किसानों को फूड प्रोसेसिंग से जोड़ा है। उदाहरण के तौर पर, किसी जिले में दाल और मसाला प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित कर किसानों की उपज को सीधे वैल्यू-एडेड प्रोडक्ट में बदला गया। इससे किसानों को बेहतर दाम मिले और स्थानीय युवाओं को रोजगार मिला। यह मॉडल दिखाता है कि ASPIRE कैसे कृषि और उद्योग को जोड़ती है।


ASPIRE योजना का सबसे बड़ा असर स्थानीय रोजगार सृजन में देखा गया है। छोटे-छोटे उद्योगों के माध्यम से न सिर्फ प्रत्यक्ष रोजगार पैदा हुआ, बल्कि ट्रांसपोर्ट, पैकेजिंग और मार्केटिंग जैसे सेक्टर में भी अवसर बने। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था में नकदी का प्रवाह बढ़ा और पलायन में कमी आई।

क्या हैं चुनौतियां?

हालांकि ASPIRE योजना की अवधारणा मजबूत है, लेकिन जमीनी स्तर पर कुछ चुनौतियां भी हैं। कई जगहों पर जागरूकता की कमी, संस्थागत क्षमता का अभाव और बाजार से जुड़ाव न होने की समस्या सामने आती है। इसके अलावा, कुछ राज्यों में LBI और TBI की संख्या अपेक्षाकृत कम है, जिससे योजना का प्रभाव सीमित रह जाता है।

 

अगर ASPIRE योजना को राज्यों की नीतियों और जिला स्तर की योजनाओं से बेहतर ढंग से जोड़ा जाए, तो यह ग्रामीण भारत में औद्योगिक क्रांति ला सकती है। डिजिटल मार्केटिंग, ई-कॉमर्स और ONDC जैसे प्लेटफॉर्म के साथ इसे जोड़कर ग्रामीण उद्यमों को राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचाया जा सकता है।