वित्रमंत्री निर्मला सीतारमण केंद्रीय बजट 2025 पेश करने वाली हैं। जिस सेक्टर को केंद्रीय बजट से सबसे ज्यादा उम्मीदें हैं, उनमें से हेल्थ सेक्टर भी एक है। फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स का दावा है कि केंद्रीय मंत्री इस सेक्टर को बड़ी सौगात दे सकती हैं। हेल्थ केयर इंडस्ट्री को बूस्ट की जरूरत है। 

फरर्माक्युटिकल और हेल्थकेयर इंडस्ट्री इस उम्मीद में है कि यहां निवेश बढ़ाया जाएगा। जानकारों का कहना है कि सरकार का लक्ष्य भारत के हेल्थ केयर और फार्मा सेक्टर को करीब 40 हजार करोड़ बनाने की तैयारी की जा रही है। इस सेक्टर में अनुमान जताया गया है कि इसका कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट 9 फीसदी की दर स बढ़ रहा है।

अब ऐसे में सवाल है कि मेडिकल इंडस्ट्री को बजट 2025 से उम्मीदें क्या हैं। आइए एक्सपर्ट्स से समझते हैं।

किस उम्मीद में है हेल्थ केयर सेक्टर?
ईटी नाउ की ने SRM ग्लोबल हॉस्पिटल्स के सीओओ डॉ. वीपी चंद्रशेखरन के हवाले से बताया है कि इस सेक्टर की चुनौतियां क्या हैं। उन्होंने कहा, 'भारत के हेल्थकेयर सेक्टर ने प्रगति की है लेकिन इसे सपोर्ट करने वाला फाइनेंशियल इन्फ्रास्ट्रक्चर पीछे रह गया है। सेंट्रल गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम (CGHS) और एक्स-सर्विसमेन कंट्रीब्युटरी हेल्थ स्कीम (ECHS) की रिंबर्समेंट प्रक्रियाएं अपर्याप्त हैं।'

डॉ. वीपी चंद्रशेखरन ने कहा, 'कोरोनरी अर्टरी बाइपास ग्राफ्टिंग (CABG) प्रॉसेस पर खर्च करीब 4.5 से 5 लाख रुपये के बीच में होता है। CGHS केवल 1.4 लाख रुपये रिम्बर्स करता है, वहीं ECHS इससे भी कम देता है। इसी तरह एक अपेंडेक्टोमी, की लागत 60 हजार रुपये आती है, जिसके लिए रिम्बर्समेंट केवल 20 से 24 हजार मिलती है। इनकी ओर से मिलने वाली वित्तीय मदद कम होती है, मेंटिनेंस इन्फ्रास्ट्रक्चर और स्टाफ की सैलरी इससे कवर नहीं हो पाती है।'

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डॉ. वीपी चंद्रशेखरन ने कहा, 'हेल्थ सर्विस एक प्रगतिशील समाज की आधारशिला है। सरकार के लिए यही सही समय है कि वह इस सेक्टर को प्राथमिकता दे। सर्विस प्रोवाइडर से लेकर पेशेंट तक हर वर्ग को वह संसाधन मिले, जिसके वे हकदार हैं।' 

किस उम्मीद में है हेल्थ-केयर सेक्टर?
हाबिल्ड के संस्थापक और योग ट्रेनर सौरभ बोथरा ने ने कहा, 'जैसे इलाज और अस्पताल को जीएसटी से छूट दी गई है, उसी तरह हमें प्रिवेंटिव हेल्थ केयर जैसे वेलनेस प्रोग्राम, योग, ध्यान और फिटनेस गतिविधियों लिए भी ऐसा करना चाहिए। ये सेवाएं लोगों को लंबे समय तक स्वस्थ रखने में मदद करती हैं और अस्पतालों पर दबाव को भी कम करती हैं।'

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सौरभ बोथरा ने कहा, '4 में से 1 हिंदुस्तानी हाई ब्लड प्रेशर से पीड़ित है। 21करोड़ से ज्यादा लोग डायबिटीज के पेशेंट हैं। पुरानी बीमारियों की वजह से हेल्थ केयर सेक्टर प्रभावित हो रहा है। योग और वेलनेस जैसे प्रोग्राम इन जोखिमों को कम कर सकते हैं। लोग महंगे इलाज से बच सकते हैं। वेलनेस सर्विस से GST हटनी चाहिए।' वेलनेस सेक्टर के लोग भी इस उम्मीद में हैं कि उन्हें केंद्रीय बजट से राहत मिल सकती है।