2025 के केंद्रीय बजट से पहले, इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (ICAI) ने पति-पत्नी के लिए एक नई टैक्स व्यवस्था का प्रस्ताव रखा है। इसमें प्रस्ताव दिया गया है कि पति-पत्नी को सिंगल टैक्सेबल यूनिट यानी कि दोनों की कुल आमदनी को एक करके टैक्स वाली व्यवस्था में जोड़ा जाए। यह व्यवस्था अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों में पहले से लागू है, जिसमें पति-पत्नी दोनों अपने कुल आमदनी को मिलाकर एक आयकर रिटर्न दाखिल करते हैं।

क्या है प्रस्ताव?

ICAI के इस प्रस्ताव के तहत शादीशुदा जोड़ों को यह विकल्प दिया जाएगा कि वे आयकर अलग-अलग दाखिल करें या एकसाथ। प्रस्ताव में यह भी बताया गया कि इस व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य उन परिवारों को लाभ देना है, जहां केवल एक ही व्यक्ति पैसे कमा रहा है। इससे न सिर्फ टैक्स में राहत मिलेगी, बल्कि टेक्स चोरी को रोकने में भी मदद मिले सकती।

संयुक्त आयकर के लिए प्रस्तावित कर स्लैब:

 

6 लाख रुपए तक: कोई टैक्स नहीं
6-14 लाख रुपए: 5% टैक्स
14-20 लाख रुपए: 10% टैक्स
20-24 लाख रुपए: 15% टैक्स
24-30 लाख रुपए: 20% टैक्स
30 लाख रुपए से अधिक: 30%टैक्स

 

इस प्रणाली के तहत, बेसिक एक्सेम्पशन लिमिट यानी टैक्स सिमा के दायरे से बाहर रकम को 3 लाख रुपए से बढ़ाकर 6 लाख रुपए किया जाएगा। साथ ही, सरचार्ज सीमा को भी 50 लाख रुपए से बढ़ाकर 1 करोड़ रुपए रुपए तक करने का सुझाव दिया गया है। 1 करोड़ रुपए से 2 करोड़ रुपए पर 10% सरचार्ज, 2 करोड़ रुपए से 4 करोड़ रुपए पर 15% सरचार्ज और 4 करोड़ रुपए से अधिक पर 25% सरचार्ज का सुझाव दिया गया है। इसके अलावा, वेतनभोगी पति-पत्नी दोनों को मानक कटौती (Standard Deduction) का लाभ मिले ।

वर्तमान आयकर प्रणाली

वर्तमान में, भारत में पति-पत्नी दोनों ही अलग-अलग कर रिटर्न दाखिल करते हैं। इस प्रणाली में अगर किसी भी एक व्यक्ति आय ज्यादा होती है और दूसरे की कम या कोई आमदनी नहीं होती है, तो परिवार को ज्यादा वाले पर टैक्स का भुगतान करना पड़ता है। हालांकि, अगर दोनों लोगों की आमदनी है, तो वे व्यक्तिगत कटौतियों (Deductions) का लाभ ले सकते हैं।

दूसरी ओर, संयुक्त आयकर प्रणाली में, जैसे कि अमेरिका में, पति-पत्नी की आय को मिलाकर दाखिल किया जाता है। इससे कर की कुल देनदारी कम होती है और परिवार को अतिरिक्त कटौतियों और कर क्रेडिट का लाभ मिलता है।

किन देशों में है सिंगल टैक्सेबल यूनिट?

ICAI द्वारा दिया गया प्रस्ताव नया नहीं है बल्कि ऐसा कुछ देशों में पहले से होता आ रहा है। इन देशों में अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, फ्रांस, जर्मनी, साउथ कोरिया, जापान और कनाडा शामिल हैं। यहां पति-पत्नी की कुल आमदनी का एक ही टैक्स का भुगतान करते हैं।