बुधवार, 20 नवंबर को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव होना था, लेकिन उसके एक दिन पहले शाम को खबर आई कि सुप्रिया सुले ने चुनाव में खर्च के लिए बिटक्वाइन का घोटाला किया है। बिटक्वाइन एक तरह की क्रिप्टोकरेंसी है। मामले पर काफी विवाद हुआ आरोप लगाए गए, खंडन किए गए. लेकिन इस लेख में हम क्रिप्टोकरेंसी को लेकर हुए राजनीतिक विवाद की बात नहीं करेंगे बल्कि आपको बताएंगे कि आखिर क्रिप्टोकरेंसी क्या है, इसे कैसे खरीदा जा सकता है, और कैसे इसमें स्कैम होते हैं।
क्या है क्रिप्टोकरेंसी
क्रिप्टोकरेंसी एक ऐसी मुद्रा है जिसका सिर्फ वर्चुअल या डिजिटल अस्तितत्व है, और लेनदेन को सुरक्षित करने के लिए क्रिप्टोग्राफी का उपयोग करता है। क्रिप्टोकरेंसी में कोई केंद्रीय जारी करने या विनियमन प्राधिकरण नहीं होता है, इसके बजाय लेनदेन रिकॉर्ड करने और नई इकाइयाँ जारी करने के लिए एक विकेन्द्रीकृत प्रणाली का उपयोग किया जाता है।
क्रिप्टोकरेंसी एक तरह की वर्चुअल या डिजिटल मुद्रा है, लेकिन इसे किसी बैंक या केंद्रीय संस्था द्वारा जारी नहीं किया जाता है और न ही इन्हें रेग्युलेट करने वाली कोई अथॉरिटी होती है, बल्कि यह ब्लॉकचेन टेक्नॉलजी पर काम करता है और नई मुद्रा को जारी करने के लिए डिसेंट्रलाइज्ड सिस्टम का प्रयोग करता है.
क्यों कहते हैं क्रिप्टोकरेंसी
इसे क्रिप्टोकरेंसी इसलिए कहते हैं क्योंकि यह ट्रांजेक्शन को वेरीफाई करने के लिए एन्क्रिप्शन या प्रयोग करता है। इसका मतलब यह हुआ क्रिप्टोकरेंसी को एक वॉलेट से दूसरे वॉलेट में ट्रांसफर करने के लिए एडवॉन्स्ड कोडिंग का उपयोग करता है। एन्क्रिप्शन का प्रयोग इसलिए किया जाता है ताकि सिक्युरिटी और सेफ्टी प्रदान किया जा सके।
क्रिप्टोकरेंसी कैसे करती है काम
क्रिप्टोकरेंसी ब्लॉक्चेन टेक्नॉलजी पर काम करते हैं। क्रिप्टोकरेंसी को जेनरेट करने को 'माइनिंग' कहते हैं। हालांकि, इसका जेनरेशन, सिस्टम द्वारा रेग्युलेट किया जाता है। इसे ब्रोकर के द्वारा भी खरीदा जा सकता है। इसमें भौतिक रूप से खरीददार के पास कुछ भी नहीं होता है बल्कि सब कुछ वॉलेट में ही होता है।
क्या होती है ब्लॉकचेन टेक्नॉलजी
यह एक तरह की सुरक्षित, डिसेंट्रलाइज़्ड और पारदर्शी तरीका है डेटा को स्टोर या रिकॉर्ड करने या शेयर करने का। ब्लॉकचेन टेक्नॉलजी डेटा को नेटवर्क में कई कंप्यूटर्स पर ब्लॉक्स में सेव करता है। इसीलिए इसे ब्लॉकचेन टेक्नॉलजी कहते हैं।
कब शुरू हुआ बिटक्वाइन
हालांकि, बिटक्वाइन की शुरुआत साल 2009 में ही हो गई थी, लेकिन यह ज्यादा पॉपुलर पिछले चार-पांच सालों से हुआ है. इसकी टेक्नॉलजी लगातार विकसित हो रही है और इस बात की पूरी संभावना है कि भविष्य में इसका उपयोग काफी बढे़गा। इस बात की भी संभावना है कि बॉण्ड, स्टॉक और दूसरे फाइनेंशिय ट्राजेक्शन भी क्रिप्टोकरेंसी में किए जाएं।
पर्यावरण पर डालता है गहरा असर
ये बात थोड़ी अजीब लग सकती है कि एक वर्चुअल मुद्रा के पर्यावरण पर क्या प्रभाव हो सकते हैं। लेकिन यह सच है कि क्रिप्टोकरेंसी के माइनिंग में यानी कि इसे जेनरेट करने में जो बिजली खर्च होती है उसकी वजह से पर्यावरण पर गहरे प्रभाव पड़ते हैं। सारी क्रिप्टोकरेंसी को छोड़ दीजिए, अगर सिर्फ बिटक्वाइन की बात करें तो 2020-21 में यूनाइटेड नेशंस यूनिवर्सिटी एंड अर्थ फ्यूचर जर्नल में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक ग्लोबल बिटक्वाइन नेटवर्क की वजह से 173.42 टेरावॉट बिजली खर्च हुई.
रिपोर्ट के मुताबिक अगर बिटक्वाइन को एक देश मान लें, तो ऊर्जा का उपयोग करने के मामले में दुनिया का 27वें नंबर का देश होता, जो कि 23 करोड़ की आबादी वाले पाकिस्तान से ऊपर है।
या कहें कि इसकी वजह से 84 बिलियन पाउंड कोयले को जलाने या 190 नेचुरल गैस संचालित प्लांट से जितना कार्बन फुटप्रिंट उत्पन्न होता है. इस कार्बन के प्रभाव को न्यूट्रलाइज़ करने के लिए 390 करोड़ पेड़ लगाने पड़ेंगे जो कि नीदरलैंड, स्विटजरलैंड और डेनमार्क जैसे देशों के मिले जुले एरिया के बराबर का क्षेत्र घेरेगा।
कितने तरह की हैं क्रिप्टोकरेंसी
वैसे तो हज़ारों क्रिप्टोकरेंसी मौजूद हैं लेकिन कुछ खास तरह की क्रिप्टोकरेंसी बिटक्वाइन, ईथीरियम, लाइटक्वाइन, रिपल इत्यादि हैं।
कितनी सुरक्षित है क्रिप्टोकरेंसी
दरअसल, क्रिप्टोकरेंसी ब्लॉकचेन टेक्नॉलजी पर काम करती है, इसलिए इसे हैक करना लगभग असंभव है। इसके अलावा क्रिप्टोकरेंसी टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन का भी प्रयोग करता है, जिसका अर्थ है कि ट्रांजेक्शन के लिए यूजरनेम और पासवर्ड के साथ रजिस्टर्ड नंबर पर ओटीपी भी भेजा जाता है. हालांकि, इससे यह नहीं कहा जा सकता है कि इसे हैक नहीं किया जा सकता।
दूसरी बात सरकार द्वारा जारी की जाने वाली मुद्रा के विपरीत इसकी वैल्यू पूरी तरह से डिमांड एंड सप्लाई पर आधारित होता है. इसलिए इसकी वैल्यू कितनी घटेगी और कितनी बढ़ेगी कुछ कहा नहीं जा सकता। फिर इसका कोई रेग्युलेटर नहीं है इसलिए इसे रेग्युलेटरी सुरक्षा भी प्राप्त नहीं है। अतः इसकी सेफ्टी को लेकर बहुत ज्यादा निश्चिंत नहीं हुआ जा सकता।
भारत में क्या कहता है कानून
भारत में क्रिप्टोकरेंसी को लीगल टेंडर नहीं माना जाता है. हालांकि, यह गैर-कानूनी नहीं है. इसका अर्थ यह है कि आप इसे खरीद और बेच तो सकते हैं, लेकिन रोज़मर्रा के ट्राजेक्शन नहीं कर सकते। आरबीआई, सेबी और वित्त मंत्रालय इस पर नजर रखते हैं।
साल 2022 के केंद्रीय बजट में तत्कालीन वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस पर 30 फीसदी का टैक्स और एक प्रतिशत टीडीएस लगाने की घोषणा की थी।
कैसे होता है फ्रॉड
फ्रॉड करने वाला शख्स आपको डेटिंग ऐप, सोशल मीडिया प्लेफॉर्म के जरिए आपसे जान-पहचान बनाकर बाद में इन्वेस्टमेंट के लिए आपको राज़ी कर सकता है, और बिटक्वाइन अपने वॉलेट में ट्रांसफर करने की बात कहकर आपसे ठगी कर सकता है। ऐसा कई बार फ्रॉड करने वाला शख्स आपके दोस्त का सोशल मीडिया अकाउंट हैक करके भी कर सकता है।
या कोई व्यक्ति इन्वेस्टमेंट मैनेजर बनकर भी आपको कॉल कर सकता है और आपसे इन्वेस्टमेंट करवाने की बात कह सकता है. हालांकि, वह कह सकता है कि वह इन्वेस्टमेंट कराएगा लेकिन बिटक्वाइन उसके खाते में ट्रांसफर करना पड़ेगा. एक बार आप पैसे ट्रांसफर कर देते हैं तो आप उसे वापस नहीं पा सकते। इसी तरह से स्कैमर्स बहुत से तरीकों से आपको संपर्क कर सकते हैं. लेकिन आपको इनसे सावधान रहना होगा।