पुराने जमाने में जब लोग पैसे लेकर आया जाया करते थे तो बदमाश रास्ते में छिनैती, डैकती या लूट जैसी घटनाओं को अंजाम देते थे। समय के साथ टेक्नोलॉजी आई और डिजिटल ट्रांजैक्शन शुरू हो गया। यानी अब आपको बिना अपने खाते से पैसों को भौतिक रूप में निकाले ही किसी दूसरे तक ट्रांसफर कर देने की सुविधा मिल गई। काम आसान हुआ, पैसे सुलभता से दूसरी जगह तक पहुंचने लगे लेकिन ठगों और लुटेरों ने इसे भी नहीं छोड़ा। 21वीं सदी में डिजिटल ट्रांजैक्शन में भी तरह-तरह की धोखाधड़ी होने लगी है।
इन अपराधियों ने दर्जनों तरीके खोज निकाले हैं और हर दिन लोग इनका शिकार हो रहे हैं। अब ये साइबर अपराधी अपने घर पर बैठे-बैठे ही लोगों के बैंक खातों से पैसे निकाल लेते हैं और उन्हें चूना लगा देते हैं। केंद्र सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, हर साल देश के लोगों के लगभग 2 से 4 हजार करोड़ रुपये ऐसी ही धोखाधड़ियों में चले जा रहे हैं। इतना ही नहीं, यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI) के लेनदेन करने वाले लोग भी हर साल हजारों करोड़ रुपये गंवा दे रहे हैं।
हाल ही में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की ओर से दिए गए आंकड़ों के मुताबिक, पिछले तीन साल में फाइनेंशियल फ्रॉड में गंवाए जा रहे रुपयों में कमी जरूर आई है लेकिन अभी भी यह राशि बहुत ज्यादा है। टीएमसी के सांसद सौगत राय द्वारा पूछे गए एक सवाल के जवाब में वित्त मंत्रालय ने बताया है कि साल 2023-24 में 2715 करोड़ रुपये फाइनेंशियल फ्रॉड में गंवा दिए गए। ये रुपये भारत के आम लोगों के थे, जो किसी न किसी वजह से साइबर ठगों का शिकार बने।
सैकड़ों करोड़ गंवा रहे हैं हर राज्य के लोग
RBI की तरफ से बैंकों और अन्य संस्थानों को इसके बारे में निर्देश भी जारी किए गए हैं। हालांकि, अभी भी ऐसे मामले खत्म नहीं हुए हैं। समय के साथ देखा गया है कि वित्तीय धोखाधड़ी के मामले अलग-अलग तरह से बढ़ते ही जा रहे हैं। RBI ने जो डेटा जारी किया है उसमें सिर्फ उन मामलों को सामने किया गया है जिनमें 1 लाख या उससे ज्यादा रुपये की धोखाधड़ी शामिल है। इन आंकड़ों के मुताबिक, इस तरह की धोखाधड़ी के सबसे ज्यादा मामले, तमिलनाडु, दिल्ली और महाराष्ट्र में सामने आ रहे हैं। 2023-24 में तमिलनाडु में 663.63 करोड़ रुपये, महाराष्ट्र में 391 करोड़, कर्नाटक में 243 करोड़ और केरल में 200 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के मामले सामने आए हैं।

UPI भी नहीं है सुरक्षित!
UPI लेनदेन को सबसे सुरक्षित माना जाता है लेकिन आंकड़े गवाही दे रहे हैं कि इसके जरिए लेनदेन करने वाले लोग भी धोखाधड़ी का शिकार हो रहे हैं। सांसद डॉ. आलोक कुमार सुमन की ओर से पूछे गए सवाल के जवाब में वित्त मंत्रालय ने आंकड़े रखे हैं। मंत्रालय ने बताया है कि इस तरह के मामलों की रोकथाम के लिए आरबीआई ने साल 2020 में सेंट्रल पेमेंट फ्रॉड इन्फॉर्मेशन रजिस्ट्री (CPFIR) की शुरुआत की थी। यह एक वेब पोर्ट है जिसके जरिए इस तरह की धोखाधड़ी की शिकायत की जा सकती है।
इस तरह की धोखाधड़ी को रोकने के लिए बैंक अपने ग्राहकों को लगातार जागरूक करते हैं। उन्हें साइबर क्राइम से बचने के तरीके बताए जाते हैं। PIN, ओटीपी, टू फैक्टर ऑथिंटेकेशन, SMS अलर्ट और अन्य तरीकों से अपने बैंक खाते और UPI वॉलेट को सुरक्षित रखने की सलाह दी जाती है। इसके बावजूद UPI लेनदेन के जरिए होने वाली धोखाधड़ी का शिकार हो रहे लोगों की संख्या और इसके जरिए गंवाई जाने वाली संख्या काफी ज्यादा है।
UPI फ्रॉड के जरिए हर साल लाखों करोड़ रुपये धोखाधड़ी के जरिए गंवाए जा रहे हैं। वित्त मंत्रालय की ओर से दिए गए जवाब के मुताबिक, साल 2022-23 में 139.15 लाख करोड़ रुपये और 2023-24 में 199.96 लाख करोड़ रुपये UPI फ्रॉड में गंवा दिए गए। इस साल यानी 2024-25 में सितंबर महीने तक 122.05 लाख करोड़ रुपये गंवा दिए गए।
क्या है फाइनेंशियल फ्रॉड?
इन दिनों हर आए दिन मामले आते हैं कि किसी के बैंक खाते से पैसे कट गए, किसी को निवेश का झांसा देकर पैसे ठग लिए गए, किसी का करीबी बनकर किसी ने पैसे ट्रांसफर कर लिए तो किसी ने खुद को बैंक का अधिकारी बताकर ठगी कर ली। कई बार लोगों की आईडी या मोबाइल फोन चुराकर भी इस तरह की ठगी की जाती है। इन्हें क्रेडिट कार्ड फ्रॉड, इनवेस्टमेंट फ्रॉड, पेमेंट फ्रॉड, आइडेंटिटी चोरी और रिटर्न फ्रॉड जैसे नामों से जाना जाता है।
धोखाधड़ी से कैसे बचें?
- किसी से भी अपनी नेटबैंकिंग के पासवर्ड, ओटीपी, पिन, सीवीवी या ऐसी संवेदनशील जानकारी शेयर न करें।
- ध्यान रखें कि बैंक कर्मचारियों के पूछने पर भी इस तरह की जानकारी न दें।
- बैंक भी बार-बार आगाह करते हैं कि बैंक कर्मचारी इस तरह की जानकारी नहीं पूछ सकते।
- समय-समय पर नेटबैंकिंग का पासवर्ड बदलते रहें और पिन या पासवर्ड कहीं न लिखें।
- फोन करके पैसे मांगने वालों या किसी करीबी रिश्तेदार का नाम लेकर पैसे मांगने वालों से सावधान रहें।
- वॉट्सऐप पर मैसेज या कॉल करके पैसे मांगे जाने पर इसकी पुष्टि कर लें।
- किसी भी अनजान लेनदेन की जानकारी तुरंत साइबर क्राइम टीम को दें।
- कार्ड खो जाने पर तुरंत इसकी सूचना बैंक को दें।