केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण जब-जब बजट पेश करती थीं, मध्यम वर्ग का एक तबका अपनी नाराजगी जाहिर कर ही देता था। लोगों की शिकायत होती थी कि गरीबों के लिए है, अमीरों के लिए है लेकिन मध्यम वर्ग के लिए नहीं है। इस बार केंद्रीय बजट में मध्यम वर्ग के लिए बड़ी राहत है।
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने 12 लाख रुपये तक की आय को करमुक्त कर दिया है। सरकार ने 12 लाख रुपये तक की आय का टैक्स स्लैब तो जारी किया है लेकिन उस पर कोई सरचार्ज नहीं लगेगा। यह सिर्फ इसलिए किया गया है कि जिससे टैक्स की गणना हो सके।
वित्तमंत्री ने कहा था, '12 लाख रुपये तक की आमदनी पर अब कोई आयकर नहीं लगेगा। इसमें जब स्टैंडर्ड डिडक्शन भी जोड़ देंगे तो वेतनभोगी लोगों के लिए 12.75 लाख रुपये की करयोग्य आय पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। इस फैसले से मध्यम वर्ग पर करों को काफी हद तक कम करने में मदद मिलेगी। उनके पास ज्यादा पैसा छोड़ने, घरेलू खपत, बचत और निवेश बढ़ाने का मौका होगा।'
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कितने लोगों को लाभ होगा?
देश में जिन लोगों की वार्षिक आय 5 लाख से लेकर 30 लाख रुपये तक के बीच में है, उन्हें मध्यम वर्ग के दायरे में रखा जाता है। पीपुल्स रिसर्च ऑन इंडियाज़ कंज़्यूमर इकोनॉमी की रिपोर्ट बताती है कि देश की 40 फीसदी आबादी मध्यम वर्ग में आती है। देश की 60 करोड़ आबादी 'मिडिल क्लास' है।
न्यू टैक्स रीजीम का टैक्स स्लैब है क्या? समझिए
स्लैब |
टैक्स |
0 से 4 लाख रुपये तक | 0% |
4 लाख रुपये से 8 लाख रुपये तक | 5% |
8 लाख रुपये से 12 लाख रुपये तक | 10% |
12 लाख रुपये से 16 लाख रुपये तक | 15% |
20 लाख रुपये से लेकर 24 लाख रुपये तक | 20% |
24 लाख रुपये से ज्यादा | 30% |
सरकार को घाटा कितना होगा?
एक अनुमान के मुताबिक सरकार आयकर में छूट देकर टैक्स रेवेन्यू में करीब 1 लाख करोड़ का घाटा सहेगी। सरकार को होने वाले नुकसान की रकम बहुत ज्यादा है। सरकार ने खुद माना है कि वित्त वर्ष 2025 में राजकोषीय घाटा 4.8 प्रतिशत रहेगा। इसे वित्त वर्ष- 26 में 4.4 प्रतिशत करने का लक्ष्य रखा गया है। वित्तमंत्री ने शनिवार को कहा, 'साल 2024-25 के लिए राजकोषीय घाटे का संशोधित अनुमान जीडीपी का 4.8 प्रतिशत है, जबकि बजट अनुमान 2025-26 में राजकोषीय घाटा जीडीपी का 4.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है।'
सरकार पैसे कैसे कमाएगी?
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सरकार की आय के लिए असेट मोनेटाइजेशन स्कीम पर ध्यान दिया है। इसके पहला चरण पूरा हो चुका है। दूसरे चरण के तहत साल 2025 से 2030 तक के लिए सरकार कुछ संपत्तियों को बेचेगी। सरकार आने वाले 5 साल में अपनी 10 लाख करोड़ रुपये की संपत्तियों को बेचेगी। डिवैल्युएशन को बढ़ावा दिया जाएगा।
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हर साल करीब 2 लाख करोड़ रुपये की संपत्तियां बेची जाएंगी। बिक्री से जो आय होगी, उससे बजट का घाटा पूरा किया जाएगा, नए निवेश पर ध्यान दिया जाएगा, संगठनात्मक विकास परप पैसे खर्च किए जाएंगे।
सरकार का GST कलेक्शन बढ़ रहा है। सरकार अप्रत्यक्ष कर के जरिए ज्यादा कमाई करती है। साल 2023 की तुलना में दिसंबर 2024 तक सरकार ने 1.77 लाख करोड़ रुपये जीएसटी से कमाए हैं। महंगे उत्पाद, सरकार को अच्छी कमाई कराते हैं।
असेट मोनेटाइजेशन है क्या?
सरकार जब किसी सरकारी संगठन के इस्तेमाल में न आने वाली संपत्तियों को बेचकर कमाई करती है तो इसे असेट मोनेटाइडेशन कहते हैं। कुछ संपत्तियों को लीज पर दिया जाता है, कुछ का ट्रासंफर किया जाता है, कुछ सेक्टर में विनिवेश (Divestment) को बढ़ावा दिया जाता है। जैसे रेलवे में अगर सरकार विनिवेश का फैसला लेती है तो वह अपने शेयर बेच सकती है। सरकार प्राइवेट सेक्टर को यह संपत्तियां सौंपती है, जिससे उसे अच्छी राजस्व हासिल होता है।
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बजट पर कितना खर्च करेगी सरकार?
केंद्रीय बजट 2025-26 पर होने वाला अनुमानित खर्च 50 लाख करोड़ रुपये है। यह मौजूदा वित्त वर्ष के मुकाबले करीब 7.4 प्रतिशत ज्यादा है। 2024-25 का अनुमानित खर्च 41 लाख करोड़ रुपये था। बजट के अनुमानित खर्च बढ़ने की कई वजहें हैं। इस बार बजट में जन कल्याणकारी योजनाओं पर ज्यादा पैसे खर्च करने की तैयारी है। मार्केट लोन, फिस्कल बिल, शिक्षा, रक्षा और कृषि क्षेत्र के लिए लिए सरकार ने विशेष ध्यान दिया है। यही वजह है कि सरकार का खर्च बढ़ा है, ऐसे में कमाई के लिए सरकार, सरकारी संपत्तियों को बेचने के विकल्प पर ध्यान दे रही है।