दुनियाभर में इस्तेमाल की जाने वाली चीजें हर जगह न तो पैदा होती हैं और न ही पैदा किया जा सकता है। ऐसे में हर चीज का बिजनेस शुरू हो गया है। अब दुनिया के किसी एक कोने में पैदा होने वाली सब्जी दूसरे कोने में पहुंच जाती है तो दूसरे कोने में बनने वाले खिलौने को किसी दूसरे महाद्वीप का बच्चा खेलता है। यह सब अगर संभव हो पाया है तो उसकी एक बड़ी वजह है कंटनेर शिपिंग। इसी के जरिए हर तरह का सामान एक देश से पैक करके दूसरे देश में भेजा जाता है। इसके जरिए कंटेनर शिपिंग का कारोबार करने वाले लोग अच्छी खासी कमाई करते हैं और एक बहुत बड़ी इंडस्ट्री इसके लिए काम करती है। आइए समझते हैं कि कंटेनर शिपिंग का पूरा कारोबार कैसे चलता है।

 

आपने भी कई बार ट्रकों और मालगाड़ियों पर लदे कंटेनर को देखा होगा। ये कंटेनर कई तरह के होते हैं। कुछ ऊपर से खुले होते हैं, कुछ को बगल से खोला जा सकता है, कुछ एकदम कमरे के जैसे होते हैं जिनके दरवाजे खोलकर सामान रख दिया जाता है और भेज दिया जाता है। दवाओं, कच्चा मांस और सब्जियों को एक देश से दूसरे देश में भेजने के लिए रेफ्रिजेरेटेड कंटनेर का इस्तेमाल होता है। वहीं, तेल जैसे तरल पदार्थों को भेजने के लिए टैंकरों का इस्तेमाल किया जाता है।

 

कैसे जाता है सामान?

इनको एक जगह से दूसरे जगह भेजने का काम शिपिंग कंपनियां करती हैं। लोग अपने काम इन शिपिंग कंपनियों तक पहुंचा देते हैं। यही कंपनियां इन चीजों को पैक करके कंटेनर में लोड करवा देती हैं। बंदरगाहों पर इन कंटेनरों को पानी के बड़े-बड़े जहाजों में रखवाया जाता है और फिर समुद्र के रास्ते दूसरे देश भेज दिया जाता है। वहां, दूसरे देश के बंदरगाह पर इन्हें उतारा जाता है। कई बार उसी कंपनी का दफ्तर दूसरे देश में होता है या वह किसी दूसरी कंपनी को सामान भेजती है, जो आपका सामान आपके घर या आपके द्वारा दिए गए पते तक पहुंचा देती है।

कंपनियों का फायदा यह होता है कि एक कंटेनर भर का सामान न होने पर वह अलग-अलग लोगों के सामान जुटाकर एक ही कंटेनर में भर देती हैं और दूसरे देश में पहुंचा देती हैं। कई बार लोग यही कंटेनर खरीद लेते हैं और उसे किराए पर दे देते हैं। शिपिंग कंपनियां ऐसे लोगों को किराया भी देती हैं क्योंकि कई शिपिंग कंपनियां अपना खुद का शिपिंग कंटेनर नहीं खरीदती हैं।