आपने इन दिनों देखा होगा कि इंश्योरेंस कंपनियां करोड़ों रुपये का इंश्योरेंस देने लगी हैं। टर्म प्लान लेने वाले लोगों को भी भारी भरकम राशि मिलती है। यह सब तब होता है जब इंश्योरेंस कंपनियां आपसे प्रीमियम के तौर पर बेहद कम पैसे लेती हैं। उदाहरण के लिए आप 4 से 5 हजार रुपये का प्रीमियम भरते हैं लेकिन इंश्योरेंस कंपनियां वादा करती हैं कि आपके बीमार पड़ने की स्थिति में आप 50 लाख रुपये से लेकर 1 करोड़ रुपये तक का इलाज मुफ्त में करवा सकते हैं। इसके लिए अब ये कंपनियां अस्पतालों से भी संबंध रखती हैं।

 

दरअसल, इंश्योरेंस कंपनियां फायदे में तब आती हैं जब उनके ग्राहकों की संख्या ज्यादा से ज्यादा होती है। इस तरह प्रीमियम ज्यादा आएगा। जरूरी नहीं है कि इंश्योरेंस लेने वाला शख्स तुरंत ही बीमार भी हो जाए। ज्यादातर लोग बीमार नहीं पड़ते या वे कभी भी इंश्योरेंस का फायदा नहीं ले पाते हैं। वहीं, इंश्योरेंस कंपनियां ये पैसे अलग-अलग जगहों पर निवेश करती हैं। इन पैसों से इंश्योरेंस कंपनियां अच्छा-खासा मुनाफा कमाती हैं। अपने फंड मैनेजर्स की मदद से इंश्योरेंस कंपनियां शेयर मार्केट, कॉरपोरेट बॉन्ड और अन्य जगहों पर ये पैसे लगाती हैं।

 

कैसे होता है फायदा?

कंपनियों की कोशिश यही होती है कि क्लेम लेने वालों की संख्या कम से कम रहे। यही वजह है कि अब कुछ मामलों में क्लेम लेने की सुविधा इंश्योरेंस लेने के कई महीने के बाद शुरू होती है। यानी अगर आपने इस महीने इंश्योरेंस खरीदा और तुरंत बीमार पड़ गए तो हो सकता है कि आपको इसका फायदा तुरंत नहीं मिलेगा। 

 

इसको और आसानी से समझिए। उदाहरण के लिए एक कंपनी 1000 रुपये प्रीमियम के हिसाब से 100 लोगों को इंश्योरेंस बेचती है। साल भर में एक शख्स 12 हजार रुपये देता है। इस तरह कंपनी को कुल प्रीमियम 1,20,00,00 रुपये मिलते हैं। अब प्रीमियम के हिसाब से अगर कंपनी इसमें से 50 लोगों को 10 हजार रुपये का क्लेम देती है तो उसके 5 लाख रुपये खर्च हो गए। इसके बावजूद कंपनी के पास 7 लाख रुपये बच गए। यह तब है जब कंपनी ने अपने पैसे कहीं निवेश नहीं किए। हालांकि, हर कंपनी निवेश करती हैं और उन पैसों से भी कमाई कर रही होती हैं। ऐसे में उनकी कमाई जारी रहती है।