बैंकिंग सिस्टम किसी भी देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ मानी जाती है। माना जाता है कि अगर बैंकिंग सिस्टम कोलैप्स करता है तो पूरे देश की इकॉनमी कोलैप्स कर जाती है। सरकार भी इस बात को लेकर काफी संवेदनशील रहती है कि बैंकिग व्यवस्था पर लोगों को भरोसा बना रहे। हममें से अधिकतर लोग न सिर्फ रुपये-पैसे बैंक अकाउंट में जमा करते हैं, बल्कि अपने गहने-ज़ेवरात और कीमती सामान बैंक लॉकर में रखते हैं।
लेकिन हाल ही में लखनऊ की एक घटना ने सबको चौंका दिया। लखनऊ के चिनहट में चोरों ने इंडियन ओवरसीज़ बैंक के 42 लॉकर को तोड़ दिया और उसमें रखे सामान को लेकर फरार हो गए।
इसके बाद सबके मन में इस बात का डर है कि क्या लॉकर में रखा हमारा सामान सुरक्षित है और अगर ऐसी स्थिति आती है को कौन जिम्मेदार होगा।
क्या है बैंक की जिम्मेदारी?
1 जनवरी 2022 से आरबीआई द्वारा जारी नए दिशा निर्देशों के मुताबिक बैंक लॉकर में आगजनी, चोरी, बिल्डिंग के ढहने या बैंक कर्मचारियों द्वारा धोखाधड़ी करने पर बैंकों को हर्जाना देना होगा। हालांकि, यह देनदारी बहुत ज्यादा नहीं है। अगर इनमें से किसी घटना के कारण कस्टमर का नुकसान होता है तो बैंक उसे मिलने वाले लॉकर के किराए का सौ गुना देने के लिए जिम्मेदार है। यानी कि मान लीजिए कि आपने किसी बैंक में एक लॉकर ले रखा है और उसका वार्षिक किराया आप 1700 रुपये देते हैं तो बैंक हर्जाने के रूप में सिर्फ 1 लाख 70 हजार रुपये ही देगी।
कब नहीं मिलेगा मुआवजा?
बैंक किसी भी तरह की प्राकृतिक आपदा जैसे भूकंप, बाढ़, तूफान इत्यादि की वजह से हुए नुकसान की भरपाई करने के लिए बाध्य नहीं होगा। इसके अलावा आतंकवादी हमला होने पर, दंगा होने पर, शहर में प्रदर्शन की वजह से या ग्राहक की लापरवाही से क्षति होने पर बैंक मुआवजा देने के लिए जिम्मेदार नहीं होगा।
बहुत से लोग लॉकर में नकदी भी रख देते हैं। अगर आप नकदी रखते हैं और वह किसी कारण से खराब या नष्ट हो जाता है तो इसके लिए बैंक जिम्मेदार नहीं होगा और न ही इसका आपको हर्जाना मिलेगा। हालांकि, बैंक इसकी इजाज़त नहीं देता है क्योंकि इससे मनी लॉन्डरिंग की संभावना बढ़ती है।
क्या रख सकते हैं लॉकर में?
आप बैंक लॉकर में गहने, सोना-चांदी इत्यादि बहुमूल्य धातुएं, जरूरी डॉक्युमेंट व प्रॉपर्टी के पेपर्स वगैरह रख सकते हैं। इसके अलावा आप हथियार, विस्फोटक सामान, सड़ने-गलने वाली चीजें व जहरीले सामान नहीं रख सकते।
क्या हो अगर लॉकर की चाभी खो जाए तो?
अगर किसी कस्टमर की लॉकर की चाभी खो जाती है तो उसे बैंक को रिपोर्ट करना होगा और साथ ही पुलिस स्टेशन में भी रिपोर्ट दर्ज करानी होगी। इसके बाद बैंक एफआईआर की कॉपी व अन्य डॉक्युमेंट्स को वेरिफाई करने के बाद नई चाभी बनवाएगा। इसके लिए कस्टमर को बैंक के नियमानुसार फीस भरनी पड़ेगी।
बैंक कब तोड़ सकता है लॉकर?
कुछ खास परिस्थितियों में बैंक लॉकर को तोड़ भी सकता है। अगर किसी लॉकर का किराया तीन साल तक जमा नहीं किया जाता है या सात साल तक लॉकर निष्क्रिय पड़ा रहता है तो बैंक उस कस्टमर से संपर्क करने की कोशिश करता है।
इसके लिए बैंक रजिस्टर्ड पते पर पत्राचार करता है और ईमेल व फोन नंबर के जरिए संपर्क करने की कोशिश करता है।
अगर इन दोनों तरीकों से भी संपर्क नहीं हो पाता है तो बैंक एक स्थानीय और एक अंग्रेजी अखबार में इश्तिहार देगा। उस पर भी अगर कोई बैंक से संपर्क नहीं करता है तो बैंक दो गवाहों की मौजूदगी में लॉकर को तोड़ सकता है। लॉकर को तोड़े जाने के वक्त इस पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी करवानी होगी।
बाद में यदि कोई व्यक्ति पूरे डॉक्युमेंट के साथ संपर्क करता है तो बैंक सामान को दस्तावेज वेरिफाई करके उसे सौंप देगा।
बैंक अकाउंट में कितने रुपये सेफ?
लॉकर की तरह ही बैंक अकाउंट को लेकर भी नियम है। यदि कोई बैंक किन्हीं कारणों से दिवालिया हो जाता है तो ग्राहक को डिपॉज़िट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन (डीआईसीजीसी) के जरिए ग्राहकों को 5 लाख रुपये दिया जाएगा।