आज से ठीक 78 साल पहले भारत के नक्शे पर अंग्रेजों ने एक रेखा खींची और इसे दो हिस्सों में बांट दिया। इस तरह से जन्म हुआ पाकिस्तान का। वही पाकिस्तान जिसका ख्वाब मोहम्मद अली जिन्ना ने देखा था। यह जिन्ना की जिद ही थी, जिस कारण पाकिस्तान बन पाया। अगर शायद जिन्ना नहीं होते तो पाकिस्तान भी नहीं बन पाता। खैर, पाकिस्तान बना और भारत को एक ऐसा पड़ोसी मिला जो न तो खुद चैन से बैठता है और न ही बैठने देता है।

 

1947 में जब बंटवारे के बाद भारत और पाकिस्तान बने, तब दोनों की ही नई शुरुआत थी। भारत और पाकिस्तान, दोनों को ही शुरू से शुरू करना था। अंग्रेज गए तो भारत और पाकिस्तान, दोनों को ही एक ऐसी अर्थव्यवस्था मिली थी, जो उस वक्त सबसे कमजोर अर्थव्यवस्थाओं में से एक थीं।

 

नए-नए आजाद हुए भारत और पाकिस्तान ने खूब मेहनत की। लगभग 200 सालों बाद अंग्रेजों से आजाद हुए भारत और पाकिस्तान ने विकास पर ध्यान दिया। दिलचस्प बात यह है कि शुरुआती कुछ दशकों में भारत की तुलना में पाकिस्तान की ग्रोथ रेट कहीं ज्यादा थी। पाकिस्तान से कई मामलों में आगे रहने वाला भारत अर्थव्यवस्था में उससे पिछड़ गया था। हालांकि, बाद में समय का पहिया घूमा और भारत कहीं ज्यादा आगे निकल गया। आज भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। वहीं, पाकिस्तान दुनिया के उन मुल्कों में से एक है, जिस पर दिवालिया होने की तलवार लटकती रहती है।

जब भारत से आगे था पाकिस्तान

बंटवारे के बाद लगभग चार दशकों तक भारत के मुकाबले पाकिस्तान ज्यादा तेजी से तरक्की कर रहा था। दोनों ही ऐसे देश हैं, जिनकी अर्थव्यवस्था पर कृषि पर टिकी थी। कई दशकों तक पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था सालाना औसतन 6 फीसदी की दर से बढ़ रही थी, जबकि भारत की दर 4 फीसदी थी।

 

IMF का डेटा बताता है कि 1982 में भारत की GDP ग्रोथ 3.5 फीसदी थी, जबकि पाकिस्तान की ग्रोथ रेट 7.6 फीसदी थी। साल 1991 में जब भारत ने अपना बाजार दुनियाभर के लिए खोला तब GDP ग्रोथ रेट 1.1 फीसदी थी। वहीं, उस साल पाकिस्तान ने 5.5 फीसदी की दर से ग्रोथ की थी।

 

भारत ने 1991 में जब उदारीकरण की नीति अपनाई और दुनिया के लिए बंद पड़ी अर्थव्यवस्था को खोला तो इसका असर आर्थिक ग्रोथ पर दिखा। साल 2000 तक भारत और पाकिस्तान की GDP ग्रोथ रेट लगभग बराबर रही। 2010 में भारत ने 8.5 फीसदी और पाकिस्तान ने 2.3 फीसदी की ग्रोथ हासिल की थी। 2024 में भारत की GDP ग्रोथ रेट 6.5 फीसदी रही थी, जबकि इसी साल पाकिस्तान की ग्रोथ सिर्फ 2.5 फीसदी थी

 

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आज PAK से 10 गुना बड़ी अर्थव्यवस्था है भारत

वैसे तो अर्थव्यवस्था के लिहाज से भारत हमेशा से पाकिस्तान पर भारी पड़ा है। साल 1975 तक पाकिस्तान से 9 गुना ज्यादा बड़ी अर्थव्यवस्था भारत की थी। तब भारत की GDP 98 अरब डॉलर थी।

 

हालांकि, बाद में पाकिस्तान ने इस अंतर को काफी हद तक कम किया। साल 1991 के उदारीकरण ने भारत की अर्थव्यवस्था को खूब बढ़ाया लेकिन इस दौरान पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था भी अच्छी बढ़ी। साल 2000 तक पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था भारत की एक चौथाई के बराबर आ गई थी।

 

इसके बाद फिर भारत ने बाउंस बैक किया और पाकिस्तान को पछाड़ता चला गया। 2004 तक पाकिस्तान के मुकाबले भारत की अर्थव्यवस्था 5.6 गुना, 2009 में 7.2 गुना और 2019 में 8.8 गुना ज्यादा थी।

 

आज भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। भारत की GDP 4.2 ट्रिलियन डॉलर है। वहीं, पाकिस्तान की 374 अरब डॉलर के आसपास है। इसका मतलब हुआ कि आज के समय में भारत और पाकिस्तान की GDP में 10 गुना से भी ज्यादा बड़ा अंतर है। IMF का अनुमान है कि 2027 तक भारत की GDP 5 ट्रिलियन और 2029 तक 6 ट्रिलियन डॉलर के पार चली जाएगी।

 

 

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अर्थव्यवस्था में कहां टिकते हैं दोनों देश?

  • GDP: किसी देश की आर्थिक सेहत कैसी है? इसका पता GDP से ही लगता है। यही तय करती है कि कोई देश आर्थिक तौर पर कितना मजबूत है? IMF का डेटा बताता है कि भारत की GDP 4 ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा है। वहीं, पाकिस्तान अभी 400 अरब डॉलर को भी पार नहीं कर पाया। आप यह समझ लीजिए, तमिलनाडु की GDP भी पाकिस्तान से ज्यादा है।
  • प्रति व्यक्ति आय: किसी देश में रहने वाले लोग सालाना औसतन कितना कमा लेते हैं? इसका पता वहां की प्रति व्यक्ति आय से चलता है। IMF के आंकड़ों के मुताबिक, भारत में प्रति व्यक्ति 2.88 हजार डॉलर है, यानी लगभग ढाई लाख रुपये। वहीं, पाकिस्तान में हर व्यक्ति की औसतन कमाई 1.58 हजार डॉलर है, यानी भारत से आधी।
  • कारोबार: भारत और पाकिस्तान के कारोबार में तो जमीन-आसमान का अंतर है। 2024-25 में भारत ने 820 अरब डॉलर का एक्सपोर्ट (निर्यात) और 915 अरब डॉलर का इम्पोर्ट (आयात) किया था। वहीं, पाकिस्तान के आंकड़ों से पता चलता है कि उसने 2024-25 में 32 अरब डॉलर का निर्यात और 58 अरब डॉलर का निर्यात किया था।
  • कर्ज और उधारी: पाकिस्तान सरकार के इकोनॉमिक सर्वे के मुताबिक, उस पर मार्च 2025 तक बाहरी कर्ज 87.4 अरब डॉलर था। हालांकि, इसमें बाकी दूसरी उधारियां भी जोड़ी जाएं तो यह 131 अरब डॉलर होता है। यह उसकी GDP का 35% से भी ज्यादा है। वहीं, RBI की रिपोर्ट बताती है कि मार्च 2025 तक भारत पर बाहरी कर्ज 736.3 अरब डॉलर था, जो GDP का 19% है।
  • विदेशी मुद्रा भंडारः अगर दूसरे देश से कुछ आयात करना है तो उसकी पेमेंट डॉलर में करनी होती है। इसके लिए विदेशी मुद्रा भंडार जरूरी है। RBI के मुताबिक, 8 अगस्त 2025 तक भारत के पास कुल 688.8 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार था। वहीं, पाकिस्तान सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, उसके पास जुलाई तक 14.5 अरब डॉलर का ही विदेशी मुद्रा भंडार है।

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क्यों आगे नहीं बढ़ पा रहा पाकिस्तान?

भारत और पाकिस्तान दोनों ही एक ही दिन आजाद हुए लेकिन आज दोनों की तुलना नहीं की जा सकती। आज पाकिस्तान जहां दिवालिया होने की कगार पर है, वहीं भारत चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। अगले दो साल में भारत की GDP 5 ट्रिलियन डॉलर को भी पार कर जाएगी।

 

ऐसे में सवाल उठता है कि पाकिस्तान क्यों आगे नहीं बढ़ पाया? इसका सीधा सा जवाब है कि भारत ने एक ओर जहां आर्थिक सुधार अपनाए तो दूसरी ओर पाकिस्तान आतंकवाद में ही उलझा रहा। पाकिस्तान उस कश्मीर को पाने की ख्वाहिश रखता है, जो उसका कभी नहीं रहा। इसके लिए वह आतंकवाद को पालता-पोसता है। संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबंधित लिस्ट में कई ऐसे आतंकी संगठन और आतंकी हैं, जिनका ताल्लुक पाकिस्तान से है।

 

इसके अलावा, भारत जहां दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, वहीं पाकिस्तान में सिर्फ नाममात्र का लोकतंत्र है। पाकिस्तान को भी आजाद हुए 78 साल हो गए हैं लेकिन इनमें से 32 साल सेना का राज रहा है। जनरल अयूब खान से लेकर जनरल जिया उल हक और जनरल परवेज मुशर्रफ तक ने चुनी हुई सरकारें गिराकर सत्ता पर कब्जा किया। अप्रैल 2022 में इमरान खान की सरकार का तख्तापलट हो गया था। माना जाता है कि सेना उनसे नाराज थी, इसलिए उनका तख्तापलट करवाया गया।

 

पाकिस्तान में आज भले हुई चुनी हुई सरकार है लेकिन इसकी चाभी सेना के पास ही है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ हैं लेकिन सारे फैसले नए-नए फील्ड मार्शल बने आर्मी चीफ जनरल असीम मुनीर लेते हैं।

 

पाकिस्तान की खस्ताहाल आर्थिक हालत की एक बड़ी वजह उसकी सेना ही है। एक ओर पाकिस्तानी सेना के जनरलों ने अरबों डॉलर की संपत्ति बनाई, सेना पर खर्च बेतहाशा बढ़ाया, जिसका खामियाजा वहां की आम जनता को भुगतना पड़ा। आज हालात यह हैं कि अगर चीन और IMF मदद न करें तो पाकिस्तान दिवालिया हो जाए। उसके पास इतना पैसा भी नहीं बचे कि कुछ दिन का आयात बिल चुका सके।