वित्तीय वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही में भारत का आर्थिक विकास धीमा पड़ गया है। इस साल सितंबर की तिमाही में भारत की जीडीपी ग्रोथ 5.4 प्रतिशत रही। पिछले साल की इसी तिमाही में यह 8.1 प्रतिशत रही थी। यही नहीं इसी साल की पहली तिमाही में भी जीडीपी ग्रोथ 6.7 प्रतिशत रही थी।

क्या रहा कारण

शुक्रवार को एनएसओ द्वारा जारी किए गए एक रिपोर्ट के मुताबिक मैन्युफैक्चरिंग और खनन क्षेत्र में धीमी ग्रोथ के साथ साथ सरकारी खर्चों में धीमापन और कमजोर निजी खपत (Private Consumption) इसकी वजह रही।

 

मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर, जो कुल सकल मूल्य वर्धित ग्रॉस वैल्यू ऐडेड (जीवीए) उत्पादन का 17 प्रतिशत से अधिक है, जुलाई-सितंबर में केवल 2.2 प्रतिशत बढ़ा, जबकि अप्रैल-जून में 7 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी और पिछले वर्ष इसी अवधि में 14.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।

 

खनन पर लंबे समय तक बारिश का बहुत बुरा असर पड़ा है, क्योंकि जुलाई-सितंबर में इसमें 0.1 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई, जबकि पिछली तिमाही में 7.2 प्रतिशत और एक साल पहले की अवधि में 11.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।


कृषि क्षेत्र रहा बेहतर

प्राथमिक क्षेत्रों में कृषि क्षेत्र ही एकमात्र ऐसा क्षेत्र रहा, जिसमें जुलाई-सितंबर में 3.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि पिछली तिमाही में यह 2 प्रतिशत और एक साल पहले की समान अवधि में 1.7 प्रतिशत था। 

 

निर्माण क्षेत्र में दूसरी तिमाही में 7.7 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जो पहली तिमाही के 10.5 प्रतिशत और एक साल पहले की समान अवधि के 13.6 प्रतिशत से कम है।

 

सेवा क्षेत्र में भी रही कमी

सेवा क्षेत्र में दूसरी तिमाही में 7.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि पहली तिमाही में 7.2 प्रतिशत और एक साल पहले इसी अवधि में 6 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। जुलाई-सितंबर में निजी अंतिम उपभोग व्यय (Private Final Consumption Expenditure), जो उपभोग मांग (Consumption Demand) का संकेतक है, 6 प्रतिशत बढ़कर 24.82 लाख करोड़ रुपये हो गया, जबकि पहली तिमाही में 7.4 प्रतिशत और एक साल पहले 2.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।