कहीं फ्लाइट कैंसिल हो रही है। कहीं 12-12 घंटों का इंतजार। और कहीं बार-बार रिशेड्यूलिंग। गुरुवार को 550 से ज्यादा उड़ानें रद्द हुईं तो शुक्रवार को एक हजार से ज्यादा। उड़ानें रद्द होने या डिले होने से हजारों यात्रियों को परेशानियों का सामना करना पड़ा। और यह हुआ देश की सबसे बड़ी एयरलाइन कंपनी इंडिगो में। 


इंडिगो का यह संकट 2 दिसंबर से शुरू हुआ था। इंडिगो की फ्लाइट समय पर आने के लिए जानी जाती थीं लेकिन इस हफ्ते उसकी कुछ ही उड़ानें समय पर रहीं। सिविल एविएशन मिनिस्ट्री का डेटा बताता है कि 2 तारीख को इंडिगो की 35% उड़ानें ही समय पर थीं। 3 दिसंबर को 19.7% और 4 को 8.5% फ्लाइट ही समय पर आई थीं। 5 दिसंबर को तो सिर्फ 3.7% उड़ानें ही ऐसी थीं जो समय पर थीं। हालांकि, शुक्रवार को ही DGCA ने नियम वापस ले लिए थे तो इसका असर शनिवार को दिखा। शनिवार को इंडिगो की 20.7% उड़ानें समय पर पहुंच गई थीं।


यह सब कुछ इसलिए हुआ, क्योंकि पायलट और क्रू के लिए ड्यूटी टाइम को लेकर जो नए नियम आए थे, उसके हिसाब से इंडिगो ने तैयारी नहीं की। खुद इंडिगो ने भी इस बात को माना कि अंदाजा लगाने में उससे गलती हो गई। उसने डायरेक्टोरेट ऑफ जनरल सिविल एविएशन (DGCA) से फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन (FDTL) के नए नियमों में छूट मांगी थी। आखिरकार यात्रियों की परेशानी को देखते हुए DGCA ने इन नियमों को वापस ले लिया।


इंडिगो में जिस तरह के हालात बने, कुछ जानकार उसे 'जानबूझकर बनाए गए हालात' बता रहे हैं। उनका कहना है कि इंडिगो ने जानबूझकर ऐसा किया, ताकि DGCA पर दबाव बना सके। DGCA ने जब शुक्रवार को नियम वापस लिए तो सोशल मीडिया पर कई लोगों ने इसे 'ब्लैकमेलिंग' ही बताया। 

 

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क्या इंडिगो ने ब्लैकमेल किया?

4 दिन तक चली अफरा-तफरी के बाद आखिरकार DGCA ने शुक्रवार को नियम वापस ले लिए। इसके बाद से सोशल मीडिया पर तमाम यूजर्स सवाल उठा रहे हैं कि सरकार को इंडिगो की 'ब्लैकमेलिंग' के आगे नहीं झुकना चाहिए था।

 

 

कृतिका शिवस्वामी नाम की यूजर ने लिखा, 'इंडिगो का 65% मार्केट शेयर है और उसने DGCA को आसानी से परेशान कर दिया। इंडिगो के जानबूझकर डाले गए दबाव के आगे सरकार झुक गई। उन्हें यह पक्का करना चाहिए था कि इंडिगो नियमों का पालन करे, खासकर तब जब कोई दूसरा विकल्प नहीं है। आज DGCA ने नियम वापस ले  लिए और यात्रियों की सुरक्षा को खतरे में डाल दिया। बहुत बुरा।'

 

 

स्मिता बरुआ नाम की यूजर ने लिखा, 'इंडिगो ने बड़ी दिक्कतें पैदा करके DGCA को ब्लैकमेल किया। हजारों बेबस यात्रियों को परेशानी हुई। यह एक लंबा खेल है और मुझे भरोसा है कि इसके नतीजे भुगतने होंगे। एक यात्री के तौर पर मैं इंडिगो से तब तक यात्रा नहीं करूंगी, जब तक कोई दूसरा विकल्प न हो। यात्रियों को मोहरा समझना बंद कीजिए।'

 

 

इसी तरह आदि अचिंत नाम के यूजर ने लिखा, 'इंडिगो को 18 महीने का नोटिस दिया गया था और फिर भी उसने तैयारी नहीं की, जबकि एयर इंडिया ने 500 पायलट पहले ही हायर कर लिए थे। यह गड़बड़ पूरी तरह से इंडिगो का मिसमैनेजमेंट, ब्लैकमेल और घमंड है।'

 

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आखिर कितना बड़ा है इंडिगो का साम्राज्य?

इंडिगो इस वक्त भारत की सबसे बड़ी एयरलाइन कंपनी है। 2006 में नई दिल्ली से इंफाल के बीच इंडिगो की पहली फ्लाइट ने उड़ान भरी थी। आज इसका भारत की 65% से ज्यादा मार्केट पर कब्जा है। 


DGCA के डेटा के मुताबिक, अक्टूबर में इंडिगो का मार्केट शेयर 65.6% रहा है। इस साल जनवरी से अक्टूबर तक लगभग 13.74 करोड़ यात्रियों ने हवाई सफर किया है। इसमें से 8.86 यात्रियों ने इंडिगो की फ्लाइट से सफर किया है। इसका मतलब हुआ कि हर तीन में से दो यात्रियों ने इंडिगो की फ्लाइट चुनी है।


इंडिगो के बाद टाटा ग्रुप की एयर इंडिया का मार्केट शेयर अक्टूबर में 25.7% रहा है। जनवरी से अक्टूबर तक एयर इंडिया ग्रपु की फ्लाइट से 3.66 करोड़ यात्रियों ने सफर किया है। इसका मतलब हुआ कि 91.3% मार्केट सिर्फ इंडिगो और एयर इंडिया का ही दबदबा है। 


इन दोनों के अलावा, अक्टूबर में अकासा एयर का मार्केट शेयर 5.2% और स्पाइस जेट का 2.6% रहा है। इनके अलावा अलायंस एयर, फ्लाई बिग, फ्लाई91, इंडिया वन एयर और स्टार एयर जैसी कंपनियों का मार्केट शेयर 1% से भी कम है।

 

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और कमाई में कहां ठहरती है इंडिगो?

इंडिगो की फ्लीट में 400 से ज्यादा विमान हैं। हर दिन 2,300 से ज्यादा विमान उड़ान भरते हैं। इंडिगो की वेबसाइट के मुताबिक, भारत की 90 और दुनिया की 40 जगहों पर इंडिगो के विमान उड़ान भरते हैं।


इतना बड़ा मार्केट शेयर होने के बावजूद इंडिगो का रेवेन्यू एयर इंडिया से बहुत ज्यादा नहीं है। 2024-25 में एयर इंडिया का रेवेन्यू 78,636 करोड़ रुपये था। जबकि, इंडिगो का रेवेन्यू 84,098 करोड़ रुपये रहा। इससे पहले 2023-24 में एयर इंडिया का रेवेन्यू 66,556 करोड़ और इंडिगो का 68,904 करोड़ रुपये था।


हालांकि, एयर इंडिया के मुकाबले इंडिगो फायदे में रहने वाली एयरलाइन है। 2024-25 में एयर इंडिया को 10,859 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था। वहीं, इंडिगो को 7,258 करोड़ रुपये का फायदा हुआ था।


इतना ही नहीं, इंडिगो की मार्केट कैप 2 लाख करोड़ रुपये से भी ज्यादा है। 5 साल में इंडिगो की मार्केट कैप 215% बढ़ी है। दिसंबर 2020 में इंडिगो की मार्केट कैप 66,577 करोड़ रुपये थी।