प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को अर्थशास्त्रियों के साथ अहम बैठक की। यह बैठक मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के दूसरे बजट से पहले हुई। इस बैठक में शिक्षा, नौकरियां और इन्फ्रास्ट्रक्चर को लेकर चर्चा हुई। इस मीटिंग का एजेंडा वैश्विक अनिश्चितता के दौर में भारत की विकास गति को बनाए रखना था।


बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने 2047 तक भारत को विकसित देश बनाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि सरकारी और निजी क्षेत्र, दोनों को एक ही लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए एक साथ काम करने की जरूरत है। 

बैठक में क्या हुआ?

यह बैठक अगले साल आने वाले बजट को ध्यान में रखते हुए की गई। अले साल 1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 2025-26 का बजट पेश करेंगी। यह उनका आठवां बजट होगा। इस बजट में विकास को बढ़ावा दिए जाने को लेकर और उपाय किए जाने की उम्मीद है, क्योंकि सितंबर तिमाही में विकास दर 5.4 फीसदी रही। यह सात तिमाही में सबसे कम है।


दिल्ली यूनिवर्सिटी में इंस्टीट्यूट ऑफ इकोनॉमिक ग्रोथ के डायरेक्टर चेतन घाटे ने बताया कि बैठक में भारतीय अर्थव्यवस्था के सभी पहलुओं पर चर्चा की गई। हालांकि, उन्होंने इस बारे में और जानकारी देने से इनकार कर दिया।


बैठक में एक अर्थशास्त्री ने जॉब और स्किल की बेमेलता की ओर इशारा किया। उन्होंने कहा कि नौकरियां होने के बावजूद स्किल नहीं होने के कारण रोजगार पैदा नहीं हो पा रहे हैं। इसलिए स्किल पर जोर देने की जरूरत है।

 

वैश्विक चुनौतियों से निपटने पर चर्चा

अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत समेत कई देशों पर टैरिफ बढ़ाने की बात कही है। ट्रंप अगले महीने 20 जनवरी को राष्ट्रपति पद संभालेंगे। अगर अमेरिका टैरिफ लगाता है तो इससे अनिश्चितता बढ़ सकती है। ऐसे में इस दौर में भी भारत कैसे आगे बढ़ेगा, इस पर भी बैठक में चर्चा हुई। ऐसे में मुख्य आर्थिक सलाहकार नागेश्वरन ने निजी निवेश बढ़ाने पर जोर दिया।


बैठक में शामिल एक अर्थशास्त्री ने इस बात पर भी जोर दिया कि लोकल मैनुफैक्चरिंग बढ़ाने के लिए अगले बजट में कुछ चीजों को कस्टम फ्री किया जाए। बताया जा रहा है कि सरकार सितंबर 2025 तक करीब 30 उत्पादों पर कस्टम ड्यूटी 0 से 5 फीसदी तक कर सकती है।