साल 2024 आर्थिक गतिविधियों को लेकर काफी व्यस्त और उठापटक वाला रहा। इस साल इलेक्टोरल बॉण्ड के मुद्दे से लेकर हिंडनबर्ग और सेबी प्रमुख माधबी बुच तक का मुद्दा छाया रहा। आरबीआई को लेकर भी खबरें आईं और भारत के आर्थिक विकास दर का भी मुद्दा प्रमुखता से छाया रहा।
आर्थिक जगत में इस साल और क्या क्या हुआ आइए जानते हैं-
1. इलेक्टोरल बॉण्ड का मुद्दा- इस साल इलेक्टोरल बॉण्ड का मुद्दा काफी छाया रहा। चुनावी पार्टियों की फंडिंग के लिए मोदी सरकार द्वारा लाए गए इलेक्टोरल बॉण्ड को विपक्ष ने काफी जोर-शोर से उठाया। विपक्ष ने लगातार आरोप लगाया कि सत्ता पक्ष इसके जरिए पूंजीपतियों से गलत तरीके से पैसे ले रही है। बात सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गई और अदालत ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया को आदेश दिया कि वह सारे रिकॉर्ड पब्लिक के सामने रखे ताकि लोग जान सकें कि किसने किसको कितना पैसा दिया। लोकसभा चुनाव के तुरंत पहले आए इस फैसले ने मोदी सरकार को बैकफुट पर ला दिया।
2. गौतम अदाणी हिंडनबर्ग विवाद- गौतम अदाणी के ऊपर अमेरिकी शॉर्ट सेलर कंपनी ने कथित अनियमितताओं के आरोप लगाए थे। इसके बाद अदाणी की कंपनियों के शेयर के दाम काफी गिर गए थे। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले सीबीआई जांच के आदेश देने से मना कर दिया था। कोर्ट ने सेबी द्वारा इसकी जांच कराने को कहा था जबकि सेबी ने गौतम अदाणी को निर्दोष पाया था। हिंडनबर्ग का आरोप था कि अदाणी ने शेल कंपनियों के जरिए अपनी कंपनियों के शेयरों में हेरफेर किया है।
3. सेबी की चेयरपर्सन माधबी बुच - सेबी की चेयरपर्सन माधबी बुच भी सुर्खियों में रहीं। न उनके ऊपर स्टाफ के साथ गलत व्यवहार करने के आरोप लगे बल्कि कांग्रेस ने लगातार उनको निशाना बनाया। दरअसल, अमेरिकी शॉर्ट सेलर कंपनी ने उनके और उनके पति के अदाणी ग्रुप के साथ कथित संबंधों को लेकर आरोप लगाए थे। इसके बाद वह विवादों से घिर गई थीं।
4. गौतम अदाणी पर रिश्वत देने के आरोप- इसी साल गौतम अदाणी पर भारत में सोलर एनर्जी से जुड़ा कॉन्ट्रैक्ट पाने के लिए भारतीय अधिकारियों को लगभग 2200 करोड़ रुपये से ज्यादा की रिश्वत देने का आरोप लगा है। अमेरिकी अटॉर्नी ऑफिस ने आरोप लगाते हुए कहा था कि अदाणी ने अपनी कंपनी अदाणी ग्रीन एनर्जी को सोलर एनर्जी से जुड़े प्रोजेक्ट्स और कॉन्ट्रैक्ट दिलाने के लिए भारतीय अधिकायों को 2100 करोड़ रुपए से ज्यादा की रिश्वत दी है। उन्होंने इस बात को उन अमेरिकी बैंकों और इंवेस्टर्स छिपाया, जिनसे अडानी ग्रुप ने इस प्रोजेक्ट के लिए अरबों डॉलर जुटाए थे।
5. कोयला ओवर-इनवॉयसिंग मामला- अदाणी के ऊपर इस साल कोयले के इंपोर्ट पर ओवर-इन्वॉयसिंग का मामला फिर से उठा।। नवंबर में इसकी जांच के लिए फिर से एक बार मांग उठी। दरअसल, यह 2014 में शुरू हुई एक बड़ी जांच का हिस्सा था। अदाणी समूह ने टैक्स हैवन्स में धन पहुंचाने और भारत में बिजली की कीमतें बढ़ाने के लिए अपने कोयले के आयात की ओवर-इन्वॉयसिंग की थी। ओवर-इन्वॉयसिंग का अर्थ है कि कोयले को कम कीमत में खरीदकर उसकी ज्यादा कीमत दिखाई गई थी।
6. रुपये का नीचे गिरना- इस साल रुपया ऑल टाइम लो पर दिखा. नवंबर में एक डॉलर के मुकाबले में रुपये 83 रुपये के स्तर पर आ गया। इसकी वजह घरेलू बाजारों में निगेटिव सेंटीमेंट और एफआईआई की बिकवाली को कारण माना जा रहा था।
7. बैंको द्वारा केवाईसी किया जाना- इस साल अक्तूबर के महीने में बैंकों द्वारा अचानक से काफी लोगों के अकाउंट को फ्रीज़ कर दिया गया और उनसे केवाईसी करवाने के लिए कहा गया। इनमें तमाम लोग ऐसे थे जो कि अपने होम ब्रांच से दूसरे शहर रह रहे थे जिसकी वजह से उनको लंबी यात्राएं करके अपने बैंक अकाउंट को दोबारा ऐक्टिवेट कराना पड़ा।
8. धीमी आर्थिक विकास की दर- पिछले साल की तुलना में इस साल भारत की इकोनॉमिक ग्रोथ कम रही. पिछले साल 2023 में जहां यह पहले क्वॉर्टर में 8.6 प्रतिशत, दूसरे क्वॉर्टर में 8.1 प्रतिशत और तीसरे क्वॉर्टर में 8.6 प्रतिशत रही, वहीं इस साल पहले क्वॉर्टर में इकोनॉमिक ग्रोष 7.8 प्रतिशत, दूसरे क्वॉर्टर में 6.7 प्रतिशत और तीसरे क्वॉर्टर में 5.4 प्रतिशत रहा।
9. मुकेश अंबानी की लोन डील- भारत के सबसे अमीर व्यक्ति मुकेश अंबानी का 3 बिलियन डॉलर यानी कि लगभग 25 हजार करोड़ के लोन के लिए अप्लाई करना भी काफी चर्चा में रहा। माना जा रहा है कि इस साल का किसी भारतीय द्वारा लिया जाने वाला यह सबसे बड़ा लोन होगा। मुकेश अंबानी द्वारा यह लोन अपने पिछले उधार को चुकता करने के लिए किया जा रहा है।
10. रतन टाटा का निधन- इस साल भारतीय उद्योग जगत की एक काफी बड़ी हस्ती रतन टाटा के निधन की भी खबर सुर्खियों में रही। 9 अक्तूबर को 86 साल की उम्र में मुंबई के ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल में उनका निधन हो गया था।