हाल ही में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म Reddit पर एक पोस्ट वायरल हुई, जिसमें दावा किया गया कि Zomato के अंदरूनी हालात काफी खराब हो गए हैं। इस पोस्ट में आरोप लगाया गया कि कंपनी बाजार में अपना हिस्सा खो रही है और कर्मचारियों पर दबाव बनाया जा रहा है कि वे हर महीने कम से कम सात बार Zomato से ऑर्डर करें। साथ ही, कार्यालय में अन्य प्रतिस्पर्धी ऐप्स से खाना मंगवाने पर भी प्रतिबंध लगाने की बात कही गई।

 

इन तमाम आरोपों पर Zomato के फाउन्डर और CEO दीपिंदर गोयल ने अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने इन खबरों को 'पूरी तरह से बेबुनियाद' बताया। दीपिंदर गोयल ने कहा कि कंपनी न तो घाटे में है और न ही कर्मचारियों पर किसी तरह का दबाव डाला जा रहा है कि वह सिर्फ Zomato से ही खाना मंगवाएं। उन्होंने जोर देकर कहा कि Zomato 'स्वतंत्रता के अधिकार' का पूरी तरह समर्थन करता है और सभी को अपनी पसंद से फैसला लेने का पूरा हक है।

 

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दीपिंदर ने कहा, 'यह सफाई देना भी शर्मनाक है लेकिन कई लोगों ने चिंता जताई थी, इसलिए जरूरी लगा।' साथ ही उन्होंने उन सभी लोगों का धन्यवाद किया जिन्होंने हालात जानने के लिए उनसे संपर्क किया।

 

Reddit पोस्ट में क्या कहा गया था?

'Spiritual-Mode-5374' नाम के एक यूजर ने Reddit के StartUpIndia ग्रुप में पोस्ट किया था कि Zomato के हालात बिगड़ते जा रहे हैं। पोस्ट में दावा किया गया कि कंपनी के एक आंतरिक बैठक में लीडरशिप ने माना है कि वे Zepto Cafe और Swiggy जैसी कंपनियों के मुकाबले बाजार में हिस्सेदारी खो रहे हैं। इसके बाद कर्मचारियों पर Zomato से ऑर्डर करने के लिए दबाव बनाया गया।

 

पोस्ट में और भी आरोप लगाए गए जैसे कि आंतरिक अव्यवस्था, ऑफिस पॉलिटिक्स, कर्मचारियों पर अत्यधिक दबाव और ग्राहकों तथा रेस्टोरेंट पार्टनरों के बीच असंतोष बढ़ना। इसमें यह भी कहा गया कि Zomato का असली मुनाफा अब केवल प्लेटफॉर्म फीस पर निर्भर है और दीर्घकालिक स्थिरता को लेकर चिंता कम होती जा रही है।

 

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सोशल मीडिया पर परिएक्शन

दीपिंदर गोयल की सफाई पर सोशल मीडिया पर मिली-जुली प्रतिक्रिया देखने को मिली। एक यूजर ने कहा कि इतनी बड़ी हस्ती को इस तरह सफाई देनी पड़ रही है, यह दुखद है। वहीं, एक अन्य ने सुझाव दिया कि अगर आरोप गलत हैं तो कंपनी को आंकड़ों के साथ सबूत पेश करना चाहिए, सिर्फ खंडन करना काफी नहीं है।