हायर एजुकेशन में कोई भी डिग्री या सर्टिफिकेट कोर्स पूरा करने के बाद छात्रों को फाइनल डिग्री और मार्कशीट लेने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है। यूनिवर्सिटी और कॉलेजों की तरफ से की जाने वाली इस लेटलतीफी के चक्कर में कई छात्रों को आगे की पढ़ाई और नौकरी में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। कई बार तो छात्रों के हाथ से बेहतरीन मौके निकल जाते हैं। यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (UGC) ने साल 2008 में डिग्री और परीक्षाओं को लेकर नियम बनाए थे लेकिन इन नियमों का पालन ज्यादातर यूनिवर्सिटी नहीं करती हैं।

 

साल 2008 में डिग्री और परीक्षाओं के समय को निर्धारित करते हुए यूजीसी ग्रांट ऑफ डिग्री एंड अदर अवार्ड बाय यूनिवर्सिटीज रेगुलेशन, 2008 लागू किए थे। इसमें परीक्षाओं की तारीख से लेकर डिग्री और अन्य अवार्ड देने के लिए समय सीमा निर्धारित कर दी गई थी। हालांकि, इन नियमों का पालन कई यूनिवर्सिटीज में नहीं हो रहा है। यूजीसी को इन नियमों की अनदेखी को लेकर लगातार शिकायतें मिल रही हैं। अब यूजीसी के सचिव ने यूनिवर्सिटीज को पत्र लिखकर नियमों का पालन करने के लिए कहा है और चेतावनी दी है कि अगर वे ऐसा नहीं करते तो यूजीसी अपने अधिकारों का प्रयोग करते हुए कार्रवाई करेगी। 

 

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क्या हैं नियम?

  • दीक्षांत समारोह यानी कन्वोकेशन और परीक्षा की तारीखों को लेकर यूनिवर्सिटी को शैक्षणिक सत्र शुरू होने की शुरुआत में एक कैलेंडर जारी करना होगा। इसमें क्लास, परीक्षाएं, रिजल्ट और डिग्री देने की तारीखें शामिल होंगी। इन नियमों में कहा गया है कि अगर जरूरत पड़े तो यूनिवर्सिटी एक से ज्यादा बार डिग्री पुरस्कार आयोजित करवा सकती है।
  • डिग्री देने के लिए समय सीमा भी तय की गई है। यूजीसी के नियमों के अनुसार, जिस तारीख को कोई छात्र हायर एजुकेशन का कोर्स पूरा करता है और डिग्री लेने के योग्य हो जाता है, उसके 180 दिनों यानी 6 महीने के भीतर उसे डिग्री मिल जानी चाहिए।
  • यूनिवर्सिटी को डिग्री-अवार्ड प्रोग्राम यानी कन्वोकेशन के लिए कम से कम 30 दिन पहले जानकारी देनी होगी।
  • अगर यूनिवर्सिटी कन्वोकेशन करवाती है तो सभी योग्य छात्रों को कन्वोकेशन में ही डिग्री दी जाएगी। अगर यूनिवर्सिटी कन्वोकेशन आयोजित नहीं करवाती तो अन्य तरीकों जैसे पोस्ट ऑफिस के जरिए छात्रों को डिग्री दी जानी चाहिए। 
  •  UGC Rules

नियम ना मानने पर होगी कार्रवाई

यूजीसी के नियमों में यूनिवर्सिटी और कॉलेजों को साफ दिशा निर्देश दिए गए हैं। यह नियम केंद्र सरकार, राज्य सरकार या फिर केंद्र शासित राज्यों के कानून के तहत स्थापित यूनिवर्सिटी पर लागू होता है। ये नियम सबी Deemed यूनिवर्सिटी पर भी लागू होते हैं। इन सभी संस्थानों से मान्यता प्राप्त कॉलेजों पर भी यूजीसी के यह नियम लागू होते हैं। अगर कोई संस्थान इन नियमों को नहीं मानता और कैलेंडर के हिसाब से परीक्षाएं या फिर डिग्री नहीं देता तो उस पर कार्रवाई की जा सकती है।

 

यूजीसी के पास ऐसे संस्थानों को नोटिस देने का अधिकार है। इसके साथ ही इन संस्थानों पर फाइन भी लगाया जा सकता है। यूनिवर्सिटी को हर साल इस संबंध में यूजीसी को रिपोर्ट सौंपनी होती है। अगर नियमों का पालन नहीं होता तो यूजीसी यूनिवर्सिटी को अपनी बात रखने का मौका देगी और अगर संतुष्ट ना हो तो यूनिवर्सिटी पर कार्रवाई करने के लिए भारत सरकार को सिफारिश कर सकती है। इसके बाद सरकार यूनिवर्सिटी की फंडिंग रोक सकती है या फिर यूनिवर्सिटी की मान्यता रद्द करके डिफाल्टर घोषित कर सकती है।

 

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नहीं होता नियमों का पालन

इन सभी नियमों के बावजूद यूनिवर्सिटी और कॉलेज नियमों का पालन नहीं करते हैं। देरी से रिजल्ट जारी करना और उसके बाद सर्टिफिकेट और डिग्री निर्धारित समय पर ना देनी की शिकायतें यूजीसी के पास लंबे समय से आ रही थी। कई यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में रिजल्ट जारी करने में देरी करने और सर्टिफिकेट ना देने के कारण छात्रों ने विरोध भी दर्ज करवाया। देरी से परीक्षाएं आयोजित करवाने से रिजल्ट लेट होता है और छात्रों को अगले कोर्स में एडमिशन लेने में दिक्कत होती है।

 

इसके साथ ही कई छात्र समय से डिग्री ना मिल पाने के कारण योग्य होने के बाद भी नौकरी के लिए अप्लाई नहीं कर पाते। इससे उनके करियर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। ग्रेजुएशन के बाद पोस्ट ग्रेजुएशन कोर्स में एडमिशन लेने के लिए अप्लाई करते हैं लेकिन डिग्री या मार्कशीट नहीं मिलने के कारण उन्हें समस्या आती है। इनमें सबसे ज्यादा दिक्कत विदेश जाने वाले छात्रों को आती है। यूनिवर्सिटी छात्रों से प्रोविजनल डिग्री और प्रोविजनल रिजल्ट के नाम पर पैसा वसूलती हैं। 

UGC ने दी चेतावनी

नियमों की अनदेखी की शिकायतें मिलने के बाद यूजीसी ने अब यूनिवर्सिटीज को चेतावनी जारी कर दी है। यूजीसी ने बताया कि उन्हें छात्रों से समय से डिग्री ना मिलने की शिकायतें मिलती रही हैं और अगर यूनिवर्सिटी ने नियमों का पालन नहीं किया तो उन पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। यूजीसी के सचिव प्रोफेसर मनीष जोशी ने हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूट्स को एक लेटर लिखा है। इस लेटर में लेटलतीफी को लेकर इंस्टीट्यूट्स को चेतावनी जारी की गई है। इस लेटर में कहा गया है कि यूजीसी के पास यूनिवर्सिटी की लेटलतीफी के मामले लगातार आ रह हैं और इन मामलों में वह जल्द कदम उठाएंगे।