आज के डिजिटल युग में, डेटा एक्सपर्ट का मतलब सिर्फ आंकड़ों को देखना नहीं रह गया है। यह वह व्यक्ति होता है जो डेटा को अलग-अलग तरहों से इस्तेमाल करके फैसले लेने में मदद करता है। यानी कच्चे डेटा को प्रोसेस करके ऐसे इनसाइट्स तैयार करना जो निर्णय लेना आसान बनाएं। डेटा एक्सपर्ट में आमतौर पर स्टैटिस्टिक्स, प्रोग्रामिंग, SQL, डेटा विजअलाइज़ेशन जैसी स्किल्स शामिल होती हैं। वे मात्र रिपोर्ट तैयार नहीं करते बल्कि पैटर्न, ट्रेंड और भविष्य की संभावनाओं का विश्लेषण भी करते हैं। खेलों की दुनिया में यह प्रोफेशन तेजी से बढ़ रहा है और क्रिकेट में तो इसका खूब इस्तेमाल हो रहा है।
भारत में क्रिकेट का बहुत ज्यादा क्रेज है। आज इस फील्ड से सिर्फ खिलाड़ी ही नहीं बल्कि इनके अलावा भी लाखों लोगों का करियर जुड़ा है। पिछले एक दशक में डेटा बेस्ड फैसले लेने का ट्रेंड क्रिकेट में बढ़ रहा है। IPL, अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट और T20 लीग जैसे फॉर्मेट में 'क्रिकेट एनालिटिक्स' सिलेक्शन और परफॉर्मेंस को वैज्ञानिक रूप दे दिया है। अब गेंदबाजी में स्लोअर डिलीवरी का चयन करना, बल्लेबाज के स्ट्राइक रेट को जांचना, पिच के अनुसार टीम को सिलेक्ट करना और विपक्षी टीम की कमजोरियों को समझने के लिए डेटा का उपोग किया जाता है। क्रिकेट में बॉल बाय बॉल स्टैटिस्टिक्स, रन रेट, विकेट, खिलाड़ी के पिछसे रिकॉर्ड, पिच की हिस्ट्री जैसी जानकारी शामिल होती है और इस जानकारी को प्रोसेस करने का काम डेटा एक्सपर्ट का ही होता है।
डेटा एक्सपर्ट का क्रिकेट में क्या काम?
क्रिकेट में डेटा एक्सपर्ट की भूमिका कई तरह से होती है। वे सबसे पहले डेटा कलेक्ट करते और क्लीन करते हैं यानी सुनिश्चित करते हैं कि डेटा में कोई गलती ना हो। इसके बाद वे विश्लेषण करते हैं जैसे कि कौन-से खिलाड़ी ने किन परिस्थितियों में बेहतर प्रदर्शन किया, विरोधी टीम की कमजोरियां क्या हैं, और मैच की स्थिति के हिसाब से कौन-सी रणनीति उपयुक्त रहेगी। इसके अलावा वे मॉडल बनाते हैं जो भविष्य में प्रदर्शन का अनुमान लगा सकते हैं जैसे कि रन प्रिडिक्शन मॉडल, विकेट गिरने की संभावनाएं या पावरप्ले में रन रेट का अनुमान। मीडिया ब्रॉडकास्ट में भी ये इनसाइट्स तुरन्त प्रस्तुत किए जाते हैं ताकि दर्शक समझ सकें टीम की रणनीति किस तरह से बदल रही है।
फिटनेस में डेटा का उपयोग
क्रिकेट में खिलाड़ियों की फिटनेस और इंजरी मैनेजमेंट भी अब डेटा पर निर्भर हो चुका है। डेटा एक्सपर्ट खिलाड़ियों के वर्कलोड, रनिंग पैटर्न, बॉलिंग स्पीड, मैचों की संख्या और रिकवरी टाइम का विश्लेषण करते हैं। इससे यह समझने में मदद मिलती है कि किसी खिलाड़ी को कब आराम देना चाहिए और कब खिलाना सुरक्षित है। खासकर तेज गेंदबाजों के लिए यह बेहद जरूरी होता है क्योंकि ओवरयूज से इंजरी का खतरा बढ़ जाता है। इस तरह डेटा एक्सपर्ट खिलाड़ियों के करियर को लंबा और सुरक्षित बनाने में भी योगदान देते हैं।
काम कैसे करते हैं?
डेटा एक्सपर्ट का काम तकनीकी होता है लेकिन उसका लक्ष्य स्पोर्ट्स निर्णयों को मजबूत बनाना है। तकनीकी प्रक्रिया में सबसे पहले डेटा सोर्सिंग शामिल होता है जिसमें क्रिकशीट, IPL ball-by-ball डेटा, ट्रैकिंग डेटा और पिच/कंडीशन डेटा इकट्ठा किया जाता है। इसके बाद डेटा प्रोसेसिंग होती है, जिसमें Python या R में स्क्रिप्ट लिखकर डेटा को साफ और उपयोग योग्य बनाया जाता है। इसके बाद विश्लेषणात्मक मॉडल बनते हैं और लास्ट में डेटा को विजुअलाईजेशन के जरिये प्रस्तुत किया जाता है ताकि कोच, प्रबंधन और खिलाड़ी उसे सरलता से समझ सकें। डेटा एक्सपर्ट को खेल की गहरी समझ भी चाहिए होती है।
क्रिकेट में नौकरी कैसे मिलती है?
क्रिकेट में डेटा विशेषज्ञ बनने के कई रास्ते हैं। सबसे पहले जरूरी है आप संबंधित सेक्टर में एजुकेशन पूरी करें और जरूरी स्किल्स को सीख लें। स्किल्स में सांख्यिकी, मशीन लर्निंग, Python/R, SQL, और विजुअलाईजेशन टूल्स शामिल होते हैं। उसके बाद, आपको क्रिकेट-फोकस्ड प्रोजेक्ट्स अपने पोर्टफोलियो में रखने चाहिए। यह दिखाता है कि आप वास्तविक खेल डेटा के साथ काम कर सकते हैं। इसके अलावा, सोशल मीडिया (LinkedIn) पर नेटवर्किंग, इंडस्ट्री इंटर्नशिप भी मदद करता है। टॉप फ्रेंचाइजी और खेल टेक कंपनियां अक्सर इंगेजमेंट के जरिये रिज्यूमे स्कैन करती हैं और प्रैक्टिकल स्किल्स को प्राथमिकता देती हैं।
लगातार बढ़ रही मांग
क्रिकेट में भी अब फुटबॉल और बेसबॉल की तरह अब तेजी से डेटा बेस्ड फैसले लिए जाने लगे हैं। टी20 प्रारूप में रणनीति, गेंदबाजी प्लान और फील्ड सेटअप जैसी चीजें अब डेटा एनालिटिक्स पर आधारित हैं। इससे डेटा एक्सपर्ट्स की मांग लगातार बढ़ रही है। यह मांग न सिर्फ टीमों में बल्कि ब्रॉडकास्ट नेटवर्क, मीडिया एनालिटिक्स प्लेटफॉर्म, और तकनीकी स्पोर्ट्स कंपनियों में भी। भविष्य में, एआई और मशीन लर्निंग का और ज्यादा उपयोग होने से क्रिकेट में डेटा साइंस का दायरा और बढ़ेगा। इसमें रियल टाइम इनसाइट्स और पर्फॉर्मेंट प्रिडिक्शन शामिल होंगे। कुल मिलाकर इस सेक्टर में आने वाले समय में अवसर और ज्यादा बढ़ेंगे।
