किसी के साथ कोई अपराध हो, कोई अन्याय का शिकार हो, किसी के हितों की रक्षा करनी हो या फिर किसी को न्याय देना हो, यह सब भारत अदालतों की जिम्मेदारी है। देश की तमाम अदालतें भारत के संविधान और उसके नियमों के तहत काम करती हैं। संविधान को समझने, उसके नियमों को लागू करवाने, पीड़ित व्यक्ति को सुनने, आरोपित का पक्ष जानने और आखिर में न्याय करने की जिम्मेदारी अदालत में बैठे जज की होती है। ऐसे में जज की भूमिका बहुत अहम हो जाती है। जज बनने के लिए कानून पढ़ना बेहद जरूरी होता है।
अगर आप भी कानून में रुचि रखते हैं और इस फील्ड में अपना करियर बनाना चाहते हैं तो आपके लिए यह समझना बेहद जरूरी है कि इस क्षेत्र में कैसे आगे बढ़ सकते हैं। आइए जानते हैं कि हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में जज कैसे बनते हैं और इसके लिए कितनी योग्यता चाहिए?
कैसे बन सकते हैं जज?
बता दें कि देश में अदालतें जिले के स्तर से शुरू होकर देश के स्तर तक हैं। राज्य की सर्वोच्च अदालतों को हाई कोर्ट और देश की सर्वोच्च अदालतों को सुप्रीम कोर्ट कहा जाता है। ऐसे में हाई कोर्ट के जज की जिम्मेदारी काफी अहम हो जाती है और यही वजह है कि इस पद पर बैठने वाले शख्स की योग्यता भी बेहद खास होनी चाहिए।
सबसे पहली योग्यता यही है कि कानून की डिग्री जैसे कि LLB/LLM होनी चाहिए। इस डिग्री के बाद ही आप वकालत का काम शुरू कर सकते हैं। आगे चलकर बार काउंसिल ऑफ इंडिया का पेपर पास करना होता है, इस परीक्षा को पास करने के बाद ही आप देश में वकालत जारी रख सकते हैं।
हाई कोर्ट का जज बनने के लिए सबसे अहम योग्यता यह है कि आप पिछले 10 साल से या तो वकील का काम कर रहे हों या फिर किसी अन्य न्यायिक अधिकारी के तौर पर प्रैक्टिस कर रहे हों। इतनी योग्यता होने के बाद आप ज्यूडिशियल सर्विस की परीक्षा देकर आप जज बन सकते हैं। इस परीक्षा में प्री, मेन्स और इंटरव्यू होते हैं। लगभग हर राज्य में इस तरह की परीक्षाएं आयोजित कराई जाती हैं। परीक्षा के अलावा अनुभव रखने वाले वकीलों को भी हाई कोर्ट का जज बनाया जा सकता है। हालांकि, उसकी प्रक्रिया अलग होती है और उन्हें रेकमेंड करके जज बनाया जाता है।
सुप्रीम कोर्ट में जज कैसे नियुक्त होते हैं?
कानून की डिग्री के साथ-साथ पहली शर्त यह है कि अभ्यर्थी ने किसी एक हाई कोर्ट या फिर दो या दो से ज्यादा हाई कोर्ट में कम से कम 5 साल जज के पद पर काम किया हो। इसके अलावा, दूसरी शर्त यह है कि वह हाई कोर्ट में 10 साल तक वकील रहा हो। एक तीसरी योग्यता भी होती है कि अगर किसी शख्स के बारे में राष्ट्रपति को लगता है कि वह सुप्रीम कोर्ट का जज बनने के योग्य है तो उसे जज बनाया जा सकता है।