दिल्ली विधानसभा चुनाव में इस बार कांग्रेस पार्टी आम आदमी पार्टी (AAP) को चुनौती देने के लिए उसी का पुराना फॉर्मूला अपना रही है। 2013 में जब AAP का उदय हुआ था तब AAP के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने सीएम रहीं शीला दीक्षित के सामने चुनाव लड़ा था। इस बार अरविंद केजरीवाल के खिलाफ शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित कांग्रेस के उम्मीदवार हैं। अब मौजूदा सीएम आतिशी के खिलाफ कालकाजी सीट पर कांग्रेस ने अपनी फायर ब्रांड नेता और AAP की पूर्व विधायक रहीं अल्का लांबा को टिकट दे दिया है। कांग्रेस ने सिर्फ एक सीट पर टिकट का ऐलान करते हुए अपनी दूसरी लिस्ट जारी की है। टिकट मिलने से पहले ही अल्का लांबा कालकाजी विधानसभा क्षेत्र में सक्रिय भी हो चुकी हैं।

 

यह वही अल्का लांबा हैं जिन्होंने चांदनी चौक से चार बार के कांग्रेस विधायक प्रहलाद सिंह साहनी को 2015 में चुनाव हरा दिया था। हालांकि, 2020 आने से पहले ही वह AAP के खिलाफ हो गईं। 2020 में प्रह्लाद सिंह साहनी AAP के चुनाव पर टिकट लड़े और अल्का लांबा चांदनी चौक सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ीं। तब अल्का लांबा को सिर्फ 3881 वोट मिले और वह तीसरे नंबर पर रह गईं। इस बार कांग्रेस ने न सिर्फ उनकी सीट बदली है बल्कि उन्हें बड़े मुकाबले में उतार दिया है।

कौन हैं अल्का लांबा?

 

अल्का लांबा छात्र जीवन से ही राजनीति में सक्रिय हैं। कॉलेज के दिनों में वह NSUI का स्टेट गर्ल कन्वीनर बनाया गया। 1995 में वह NUSI की ओर से दिल्ली यूनिवर्सिटी छात्र संघ की अध्यक्ष भी बनीं। कुछ समय बाद वह NSUI की राष्ट्रीय अध्यक्ष भी बनीं। साल 2002 में अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की महासचिव भी बनीं और 2006 में कांग्रेस में औपचारिक तौर पर शामिल हो गईं। 2003 में अल्का लांबा ने बीजेपी के वरिष्ठ नेता मदन लाल खुराना के खिलाफ मोती नगर से चुनाव लड़ा लेकिन हार गईं। वह दिसंबर 2014 में कांग्रेस छोड़कर आम आदमी पार्टी में शामिल हुई थीं। 

AAP से मनमुटाव के चलते 3-4 साल में ही उन्होंने दूरी बना ली। अक्तूबर 2019 में अल्का लांबा ने फिर से कांग्रेस का दामन थाम लिया। 2020 में वह कांग्रेस के टिकट पर चुनाव भी लड़ीं। हालांकि, इस बार उन्हें कांग्रेस ने चांदनी चौक के बजाय कालकाजी सीट से उतारा है। मौजूदा समय में वह कांग्रेस वर्किंग कमेटी की सदस्य और ऑल इंडिआ महिला कांग्रेस की अध्यक्ष भी हैं।

कालकाजी सीट का इतिहास क्या है?

 

कालकाजी सीट पर पंजाबी अच्छी-खासी संख्या में हैं। 1993 में यहां से बीजेपी की पूर्णिमा सेठी ने चुनाव जीता था। उसके बाद तीन बार कांग्रेस के सुभाष चोपड़ा ने चुनाव जीता था। 2013 में शिरोमणि अकाली दल के हरमीत सिंह कालका चुनाव जीते थे। 2015 में AAP के अवतार सिंह ने इस सीट से चुनाव जीता और 2020 में आतिशी यहां से विधायक बनीं।