बिहार के 243 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों में से एक अररिया विधानसभा सीट है। यह विधानसभा अररिया जिले का मुख्यालय भी है। पूर्वोत्तर बिहार में आने वाले अररिया के ठीक 50 किलोमीटर ऊपर नेपाल है, जबकि इसके पूरब में किशनगंज और दक्षिण में पूर्णिया जिला है। अररिया जिले से होकर सुवारा, काली, परमार और कोली नदियां गुजरती हैं। जिला मुख्यालय होने की वजह से यहां लोगों को बेहतर सुविधाएं मिलती हैं। 

 

विधानसभा में अररिया रेलवे स्टेशन है, जहां से लोकल और एक्सप्रेस ट्रेनें दोनों की चलती हैं। जिला कोर्ट यहीं हैं। इसके साथ में जिला अस्पताल यहीं होने के कारण ग्रामीण क्षेत्रों से लोग यहां इलाज कराने के लिए आते हैं। यहां मां खड़गेश्वरी काली मंदिर, विष्णु मंदिर, सत्यसंग मंदिर  हुसेनिया मस्जिद प्रसिद्ध धार्मिक स्थल मौजूद हैं। विधानसभा में पीपल्स कॉलेज अररिया है। हालांकि, अररिया जिला मुख्यालय होने की वजह से यहां मूलभूत सुविधाओं की कमी के साथ में उच्च शिक्षा के लिए ढांचे की मांग होती रही है।

मौजूदा समीकरण?

अररिया विधानसभा सीट 2015 से ही कांग्रेस के कब्जे में है। यहां से अबिदुर रहमान लगातार दो बार से विधायक हैं। 2020 में उन्होंने अररिया से जेडीयू को हराया था। 2015 में जेडीयू-आरजेडी का गठबंधन था और दोनों क्षत्रप पार्टियां मिलकर चुनाव लड़ी थी। इस चुनाव में यह सीट जेडीयू के हिस्से में आई थी। 2015 के चुनाव में अबिदुर रहमान ने जेडीयू की शगूफ्ता अजीम को 47,936 वोटों से मात दी थी। दरअसल, अररिया विधानसभा सीट पर मुस्लिम समुदाय की अच्छी-खासी आबादी है। चाणक्या के मुताबिक, यहां 56.3 फीसदी मुस्लिम हैं।

 

अररिया पर अबिदुर रहमान ने पिछले दो चुनाव जीतकर अपनी पकड़ मजबूत बना ली है। उनकी पकड़ को देखते हुए इस बात की उम्मीद है कि इस बार भी कांग्रेस उन्हीं को अपना उम्मीदवार बनाएगी। हालांकि, इस बात कांग्रेस महागठबंधन में शामिल है। यह देखना होगा कि यह सीट बंटवारे के बाद किसके हिस्से में आती है?

 

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2020 में क्या हुआ था?

अररिया विधानसभा सीट पर 2020 में कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी। जनता दल यूनाइटेड (JDU) दूसरे नंबर पर रही थी। 2020 में कांग्रेस के अबिदुर रहमान ने जेडीयू की शगूफ्ता अजीम को बड़े वोटों के मार्जिन से हराया था। हार का अंतर 47,936 वोटों का था। कांग्रेस के अबिदुर रहमान ने 54.84 फीसदी वोट पाते हुए 103,054 वोट हासिल किया था, जबकि शगूफ्ता अजीम को 55,118 वोट मिले। वहीं, इस सीट पर असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM के प्रत्याशी राशिद अनवर को 8,924 वोट मिले थे। इसके लोजपा के चंद्रशेखर सिंह बबन को  8,203 वोट मिले थे।

विधायक का परिचय

मौजूदा विधायक अबिदुर रहमान अररिया से लगातार दो बार से कांग्रेस के टिकट पर विधायक हैं। वह यहां से सबसे पहले 2015 में कांग्रेस के टिकट पर विधायक बने थे। 63 साल के अबिदुर रहमान लोक जनशक्ति पार्टी के अजय कुमार झा को मात दी थी। वह अररिया जिले के पुराने और दिग्गज नेता माने जाते हैं। 

 

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अबिदुर रहमान की पढ़ाई की बात करें तो वह 10 वीं पास हैं। उन्होंने 1980 में आजाद अकादमी अररिया से मैट्रिक की परीक्षा पास की थी। 2020 के उनके चुनावी हलफनामों के मुताबिक, उनकी आय का मुख्य स्रोत विधायकी रूप में उनका वेतन, कृषि और व्यवसाय है। पिछले हलफनामों के मुताबिक उनके पास 4.11 करोड़ रुपये की संपत्ति है।

विधानसभा सीट का इतिहास

अररिया विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र अररिया लोकसभा सीट का हिस्सा है। इस पर अभी तक कुल 18 विधानसभ चुनाव हुए हैं। इस सीट की संख्या 49 है। विधानसभा में अररिया सामुदायिक केंद्र और अररिया नगर परिषद है। यहां कभी की किसी एक पार्टी का दबदबा नहीं रहा है। यहां से अलग-अलग समय में विभिन्न पार्टियां चुनाव जीतती रही हैं।

 

1952- जियाउर्रहमान हाजी (कांग्रेस)
1957- जियाउर्रहमान हाजी (कांग्रेस)
1962- बालकिशन झा (कांग्रेस)
1967- शीतल प्रसाद गुप्ता (कांग्रेस) 
1969- शीतल प्रसाद गुप्ता (कांग्रेस)
1972- आजम (संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी)
1977- श्रीदेव झा (कांग्रेस)
1980- तसलिम्मुद्दीन (जनता पार्टी) 
1985- हालिम्मुद्दीन अहमद (कांग्रेस) 
1990- विनोद कुमार रॉय (निर्दलीय)
1995- विजय कुमार मंडल (बिहार पीपल्स पार्टी)
2000- विजय कुमार मंडल (निर्दलीय)
2005- प्रदीप कुमार सिंह (बीजेपी)
2005- प्रदीप कुमार सिंह (बीजेपी)
2009- विजय कुमार मंडल (लोजपा)
2010- जाकिर हुसैन खान (लोजपा)
2015- अबिदुर रहमान (कांग्रेस)
2020- अबिदुर रहमान (कांग्रेस)