पश्चिमी चंपारण जिले की बगहा विधानसभा सीट ऐतिहासिक क्षेत्र है। पूर्व मुख्यमंत्री केदार पांडेय 1957 में इसी विधानसभा सीट से विधायक चुने गए थे। वाल्मीकि नगर लोकसभा क्षेत्र में आने वाली यह सीट पिछले 20 साल से नेशनल डेमोक्रैटिक अलायंस (NDA) के कब्जे में है। एक ही पते पर कई वोट बनाए जाने के आरोपों को लेकर भी यह सीट इस बार खूब चर्चा में है। नेपाल सीमा के पास बसे इस क्षेत्र में त्रिवेणी संगम जैसे धार्मिक संथल हैं। यहां गंडन, पंचनद और सोनहा नदियों का मिलन होता है।

 

इस विधानसभा क्षेत्र का एक सिरा उत्तर प्रदेश बॉर्डर के बिल्कुल पास है। इस विधानसभा क्षेत्र के पूर्व में रामनगर, नरकटियागंज और लौरिया विधानसभा क्षेत्र हैं। खेती पर आधारित इस क्षेत्र के लिए नारायणी (गंडक) नदी बेहद अहम है। यही वजह है कि यहां खाद जैसे मुद्दे ही हर चुनाव में छाए रहते हैं। क्षेत्र में ब्राह्मण और राजपूत वर्ग की जनसंख्या ठीक-ठाक होने के चलते इन्हीं जातियों के कई नेता इस बार तैयारी भी कर रहे हैं।

 

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मौजूदा समीकरण

 

विधायक होने के नाते राम सिंह यहां से पहले दावेदार हैं। वहीं, पिछले चुनाव में राम सिंह से हारने वाले कांग्रेस के जयेश मंगलम सिंह भी क्षेत्र में पांच साल से लगातार सक्रिय हैं और अपना दावा मजबूत करने में जुटे हुए हैं। इस सीट पर कांग्रेस की दावेदारी मजबूत है और अगर कांग्रेस को टिकट मिलता है तो जयेश सिंह प्रमुख दावेदार होंगे। इसी सीट पर आरजेडी के राजेश यादव भी खूब मेहनत कर रहे हैं। इसी क्षेत्र में खूब सक्रिय दिख रहे रूपेश पांडेय भी अपनी दावेदारी ठोक रहे हैं और बीजेपी के साथ-साथ चिराग पासवान के भी संपर्क में हैं।

 

राजेश यादव का एक वीडियो खूब वायरल होता है जिसमें वह जयेश सिंह की तारीफ करते हैं। यह वीडियो जयेश सिंह ने भी शेयर किया है। इस वीडियो में राजेश कहते हैं कि अगर जयेश सिंह को टिकट मिलता है तो वह उनका साथ देंगे और अगर आरजेडी के कोटे से वह खुद लड़ते हैं तो उन्हें पूरी उम्मीद है कि जयेश सिंह उनका साथ देंगे। 

 

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2020 में क्या हुआ था?


2020 के चुनाव में बीजेपी ने अपने सिटिंग विधायक राघव शरण पांडेय का टिकट काट दिया था। इसी सीट से पूर्व विधायक रहे पूर्णमासी राम जन संघर्ष दल के टिकट पर चुनाव में उतरे। वहीं, कांग्रेस ने जयेश मंगलम सिंह को चुनाव में उतारा था। बीजेपी ने अपने विधायक का टिकट काटकर राम सिंह को चुनाव में उतारा था।

 

नतीजे आए तो बगावत के बावजूद बीजेपी चुनाव जीतने में सफल रही। सिविल सर्विस से राजनीति में आए राघव शरण पांडेय निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर लड़कर तीसरे नंबर पर रहे और उन्हें सिर्फ 6429 वोट मिले। वहीं, कांग्रेस के जयेश मंगलम सिंह को 59,993 वोट मिले और बीजेपी के राम सिंह 90,013 वोट पाकर यहां से जीतने में कामयाब रहे।

विधायक का परिचय

 

2020 में विधानसभा का चुनाव लड़ने से पहले राम सिंह बीजेपी के जिलाध्यक्ष हुआ करते थे। 12वीं तक पढ़े राम सिंह खेती-किसानी के कारोबार से जुड़े रहे हैं। 2020 में उनकी संपत्ति लगभग डेढ़ करोड़ रुपये से ज्यादा थी। इसी साल जनवरी में जुबान फिसलने के चलते राम सिंह चर्चा में आए थे। राम सिंह ने कह दिया था, 'यह एनडीए की सरकार है और इसमें कोई भी निर्दोष बच नहीं पाएगा।'

 

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सोशल मीडिया पर आपको ऐसे कई वीडियो मिलते हैं जो यह बताते हैं कि राम सिंह अपने क्षेत्र में कम दिखते हैं। लोग शिकायत करते हैं कि बहुत कम मौकों पर ही वह जनता के बीच नजर आते हैं। कई इलाकों के लोगों ने सार्वजनिक तौर पर कहा है कि इस चुनाव में राम सिंह का बहिष्कार किया जाएगा। हालांकि, वह बीजेपी या सरकार से जुड़े कार्यक्रमों में खूब दिखते हैं और संगठन के लिए लगातार काम भी करते रहते हैं। 

विधानसभा का इतिहास

 

इस विधानसभा सीट पर लंबे समय तक कांग्रेस का कब्जा रहा। पहले केदार पांडेय फिर नरसिंह बैठा और फिर त्रिलोकी हरिजन के सहारे कांग्रेस ने इस सीट पर 1990 तक अपना कब्जा बनाए रखा। रोचक बात है कि 1990 में हारने के बाद से अब तक कांग्रेस यह सीट फिर कभी नहीं जीत पाई है।

 

कांग्रेस के बाद पूर्णमासी राम लगातार पांच चुनाव बने और तीन पार्टियां बदलीं। 2009 से हर बार यहां से नया शख्स ही विधायक बना है।

 

  • 1957-केदार पांडेय, नरसिंह बैठा (कांग्रेस)
    1962-नरसिंह बैठा (कांग्रेस)
    1967-नरसिंह बैठा (कांग्रेस)
    1969-नरसिंह बैठा (कांग्रेस)
    1972-नरसिंह बैठा (कांग्रेस)
    1977-नरसिंह बैठा (कांग्रेस)
    1980-त्रिलोकी हरिजन (कांग्रेस)
    1985-रिलोकी हरिजन (कांग्रेस)
    1990-पूर्णमासी राम (जनता दल)
    1995-पूर्णमासी राम (जनता दल)
    2000-पूर्णमासी राम (आरजेडी)
    2005-पूर्णमासी राम (जेडीयू)
    2005-पूर्णमासी राम (जेडीयू)
    2009- कैलाश बैठा (जेडीयू)
    2010-प्रभात रंजन सिंह (जेडीयू)
    2015- राघव शरण पांडेय (बीजेपी)
    2020- राम सिंह (बीजेपी)