झारखंड सीमा पर बसे बिहार के बांका जिले का अपना सियासी महत्व है। यह जिला क्रांतिकारी सतीश प्रसाद झा की जन्मभूमि है। आजादी के बाद शुरुआती वर्षों में बांका में कांग्रेस का प्रभाव रहा है। बाद में यहां सामाजिक न्याय से जुड़े दलों ने अपना दबदबा बढ़ाया। जिले में कुल पांच विधानसभा सीटें हैं। दो-दो पर बीजेपी और जेडीयू का कब्जा है। एक धोरैया सीट से आरजेडी के भूदेव चौधरी विधायक हैं।

 

बांका पहले भागलपुर जिले का महज एक अनुमंडल था, लेकिन 21 फरवरी 1991 को नया जिला बनाया गया। जिला मुख्यालय बांका शहर में है। जिले में मंदर पर्वत स्थित है। इसका उल्लेख स्कन्द पुराण में मिलता है। यहां हर साल बौंसी मेला लगता था। जिले का करीब 60 फीसद भूभाग पठारी क्षेत्र में आता है। बाकी हिस्सा समतल है। बेलहरणी, बडुआ, चान्दन और ओढ़नी जैसी नदियां यहां की मिट्टी को उपजाऊ बनाती हैं। जिले की अधिकांश आबादी खेती-किसानी पर निर्भर है। 11 में से सात प्रखंड की भूमि समतल है। चान्दन , कटोरिया , बौंसी और बेलहर में पहाड़ी इलाका पड़ता है।

 

बांका जिले की पांचों विधानसभा सीटों पर 11 नवंबर को मतदान होगा। 14 नवंबर को मतगणना होगी। समाजवादी विचारक और निबंधकार मधु लिमये ने 1973 में बांका से संसदीय चुनाव जीता था। बिहार के मुख्यमंत्री रह चुके चंद्रशेखर सिंह भी बांका से सासंद रह चुके हैं। मौजूदा समय में जेडीयू नेता गिरिधारी यादव यहां से सांसद हैं।

राजनीतिक समीकरण

बेलहर विधानसभा सीट पर कांग्रेस 1990 के बाद नहीं जीती है। बीजेपी का अभी तक खाता नहीं खुला है। 1990 के बाद से यहां की जनता जेडीयू और आरजेडी के बीच भरोसा जताती चली आ रही है। बेलहर में 13.43 फीसद अनुसूचित जाति के वोटर्स की हिस्सेदारी है, लेकिन सियासी तौर पर प्रभुत्व यादव समुदाय का है। 31.3 फीसद यादव मतदाता किसी का भी खेल बनाने और बिगाड़ने की ताकत रखते हैं। बेलहर में अब तक कुल 16 चुनाव हुए। इनमें से 8 बार यादव समुदाय के विधायक बने।

 

कटोरिया विधानसभा सीट का मिजाज अलग है। पिछले 10 साल से यहां मुख्य मुकाबला आरजेडी और बीजेपी के बीच होता है। अभी बीजेपी की निक्की हेंब्रम विधायक हैं। कटोरिया विधानसभा सीट अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए आरक्षित है। 12.08 फीसद मतदाता अनुसूचित जाति समुदाय से आते हैं। 9.18 प्रतिशत एसटी वोटर्स हैं। अगर दोनों समुदाय ने मिलकर वोटिंग करते हैं तो हार जीत तय करने में अहम भूमिका निभाते हैं। यहां मुस्लिम वोटर्स की हिस्सेदारी 11.1 फीसद है।

 

बांका विधानसभा सीट पर बीजेपी की अच्छी पकड़ है। बीजेपी को पहली जीत 1986 में मिली थी। पिछले तीन चुनाव से बीजेपी नेता राम नारायण मंडल जीत रहे हैं। बांका विधानसभा सीट पर मुख्य मुकाबला बीजेपी और आरजेडी के बीच देखने को मिलता है। यहां 13.5 फीसद मुस्लिम और 16.4 फीसद यादव मतदाताओं की भूमिका निर्णायक है। 11.26 प्रतिशत अनुसूचित जाति के मतदाता भी सियासी पासा पलटने की ताकत रखते हैं।

 

धोरैया विधानसभा सीट पर बीजेपी आज तक नहीं जीती है। यह सीट जेडीयू के गढ़ के तौर पर पहचानी जाती है। पिछले 25 साल से भूदेव चौधरी के सियासी करिश्मे को कोई भी दल चुनौती नहीं दे सका है। दल बदलने के बाद भी जनता का उन पर विश्वास कायम है। यहां यादव और मुस्लिम समीकरण का फायदा आरजेडी को मिलता है। विधानसभा क्षेत्र में करीब 15.8 फीसद यादव और 18 फीसद मुस्लिम मतदाता हैं।

 

अमरपुर विधानसभा सीट पर 2000 के बाद कुल छह चुनाव हो चुके हैं। आरजेडी और जेडीयू ने तीन-तीन चुनाव जीते हैं। 2000 से 2005 तक आरजेडी और इसके बाद से जेडीयू का कब्जा है। अमरपुर में 11.1 प्रतिशत यादव वोटर्स हैं। मुस्लिमों की हिस्सेदारी 10.5% फीसद है। अगर यह समुदाय एक साथ आते हैं तो इसका फायदा आरजेडी को मिल सकता है।

विधानसभा सीटें

धोरैया विधानसभा: यहां अब तक कुल 17 चुनाव हो चुके हैं। यहां की जनता ने कांग्रेस पर पांच बार भरोसा जताया। पांच बार ही सीपीआई को मौका दिया। जेडीयू को चार बार लोगों ने जिताया। एक-एक बार निर्दलीय, समता पार्टी और आरजेडी को मौका मौका मिला। 1972 से 1995 तक सीपीआई नेता नरेश दास पांच बार विधायक बने। नरेस दास के बाद  भूदेव चौधरी का सियासी दबदबा शुरू हुआ। वह चार बार धोरैया से जीतकर विधानसभा पहुंचे। जेडीयू नेता मनीष कुमार और कांग्रेसी मौलाना समीनुद्दीन दो-दो बार विधायक रहे।

 

बांका विधानसभा: यहां बीजेपी का मुकाबला आरजेडी से होता है। पिछले तीन चुनाव में उसे कोई सियासी शिकस्त नहीं मिली है। बीजेपी की टिकट पर राम नारायण मंडल छह बार चुनाव जीत चुके हैं। अब तक हुए 20 चुनाव में से बीजेपी और कांग्रेस को 7-7 बार जीत मिली। बांका की जनता ने बिंध्यबासिनी देवी को दो बार जीताकर विधानसभा भेजा। उनके अलावा जावेद इकबाल अंसारी और ठाकुर कामाख्या प्रसाद सिंह को तीन-तीन बार जिताया। आरजेडी को 2005 और 2010 में दो बार जीत मिली। यहां की जनता ने जनता पार्टी, जनता दल, संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी और बीजेएस पर एक-एक बार भरोसा जताया। 

 

कटोरिया विधानसभा: 1952 से 1961 तक कांग्रेस का दबदबा रहा। 1962 में पहली बार कटोरिया विधानसभा सीट से गैर-कांग्रेसी दल को जीत मिली। कांग्रेस आखिरी बार 1990 में जीती थी। 2010 में बीजेपी पहली बार जीती। 2020 में उसे दूसरी जीत मिली। सबसे अधिक चार बार कांग्रेस ने जीत का परचम लहराया। 2000, 2005 (नवंबर) और 2015 में आरजेडी ने जीत हासिल की। कटोरिया की जनता ने दो बार जनता दल के प्रत्याशियों पर भरोसा जताया। इसके अलावा लोक जनशक्ति पार्टी,  भारतीय जनसंघ, स्वतंत्र पार्टी, जनता पार्टी, कांग्रेस (यू), आईसीएस और निर्दलीय को एक-एक बार जिताया।

 

बेलहर विधानसभा: विधानसभा चुनाव में पहला चुनाव 1962 में हुआ। कांग्रेस को जीत मिली। इसके बाद यहां की जनता ने अगले 10 साल उस पर भरोसा नहीं जताया। कांग्रेस को दूसरी जीत 1972 में मिली। यहां मुख्य मुकाबला आरजेडी और जेडीयू के बीच होता है। 2005 से 2015 तक जेडीयू ने जीत हासिल की। 2019 के उपचुनाव में आरजेडी के रामदेव यादव ने जेडीयू को शिकस्त दी। अगले साल यानी 2020 के चुनाव में जेडीयू ने आरजेडी से बेलहर सीट छीन ली। आरजेडी को तीन, जेडीयू और कांग्रेस को चार-चार बार जीत मिली। दो बार संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी पर जनता ने विश्वास जताया। एक समय यह सीट रामदेव यादव के गढ़ के तौर पर जानी जाती थी। वे कुल चार बार विधायक रहे। 


अमरपुर विधानसभा: विधानसभा सीट पर लोगों को दलों से अधिक चेहरों पर भरोसा है। सिर्फ दो नेताओं को छोड़कर सभी ने अमरपुर सीट से दो बार से अधिक जीत हासिल की है। 1995 से 2005 तक सुरेंद्र प्रसाद सिंह चार बार विधायक बने। उनके बाद जनार्दन मांझी को दो बार मौका मिला। मौजूदा समय में यहां से जेडीयू के जयंत राज विधायक हैं। अमरपुर सीट पर जनता, दल, भारतीय जनसंघ और जनता पार्टी को एक-एक कामयाबी मिली। संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी ने दो बार जीत हासिल की। कांग्रेस को चार, आरजेडी और जेडीयू के प्रत्याशियों ने तीन-तीन बार जीत दर्ज की। 

जिले का प्रोफाइल

बांका जिला कुल 3019.3465 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला है। जिले की पूर्वी और दक्षिणी सीमा झारखण्ड के गोड्डा और देवघर से लगती है। पश्चिम में जमुई और उत्तर-पूर्व में मुंगेर जिला पड़ता है। उत्तर में भागलपुर जिला है। जिले में कुल 11 प्रखंड हैं। 20 लाख की आबादी वाले इस जिले में कुल 2000 गांव हैं। बांका, अमरपुर, बौंसी, साहबगंज और कटोरिया जिले के प्रमुख बाजार हैं। 23 पुलिस थानों से जिले की कानून-व्यवस्था पर नजर रखी जाती है।

 

कुल विधानसभा सीटें: 5

बीजेपी: 2
जेडीयू: 2
आरजेडी: 1