बिहार के विधानसभा चुनाव में एक तरफ एनडीए गठबंधन की पार्टियां अपनी उपलब्धियां गिना रही हैं, दूसरी तरफ विपक्षी गठबंधन की पार्टियां नीतीश कुमार के 2 दशक से कायम शासन की खामिया गिना रही हैं। चुनावी मौसम में नीतीश कुमार की अगुवाई में एनडीए सरकार ने एक के बाद एक कई योजनाओं का ऐलान किया है। 

निगेटिव कैंपेनिंग बनाम पॉजिटिव कैंपेनिंग का नैरेटिव चुनाव में छाया हुआ है। विपक्ष के मुद्दों में बेरोजगारी, पलायन, शिक्षा, स्वास्थ्य, कानून-व्यवस्था, और भ्रष्टाचार छाए हुए हैं। कांग्रेस, SIR और वोट चोरी जैसे मुद्दों को उठा रही है, राष्ट्रीय जनता दल, कांग्रेस के मुद्दों पर ही अपनी राजनीति तय कर रही है। इंडिया ब्लॉक का कहना है कि बीजेपी और सत्तारूढ़ दल, चुनाव आयोग के साथ मिलकर मतदाता सूची में हेर-फेर कर रहे हैं। 

कांग्रेस, लेफ्ट और राष्ट्रीय जनता दल की अगुवाई में वोटर अधिकार योजना निकाल रही है। एनडीए सरकार विकास की योजनाएं गिना रही है। पीएम मोदी ने गया में 13,000 करोड़ की परियोजनाओं का उद्घाटन किया, नीतीश सरकार ने उद्योगों के लिए आर्थिक पैकेज और रेलवे इंटरलिंकिंग जैसे फैसले लिए हैं। एनडीए इसे प्रचार का आधार बना रही है।

यह भी पढ़ें: इंडिया ब्लॉक बनाम NDA: बिहार के चुनावी पिटारे में जनता के लिए क्या है?

इंडिया ब्लॉक के नैरेटिव में नया क्या है?

  • सांप्रदायिकता बनाम ध्रुवीकरण: इंडिया ब्लॉक का कहना है कि नीतीश कुमार, समाजवादी होते हुए भी अब बीजेपी की राजनीति कर रहे हैं। वह सांप्रदायिक राजनीति का हिस्सा हो गए हैं। नीतीश कुमार ने हाल ही में एक कार्यक्रम में मुस्लिम टोपी पहनने से इनकार किया था, टीका लगाने से भी इनकार कर दिया था। विपक्ष ने इसे सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के तौर पर पेश किया है। 

  • मतदाता सूची में हेरफेर: इंडिया ब्लॉक का कहना है कि बिहार में BJP-नीतीश सरकार ने चुनाव से पहले मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर हेरफेर किया। 65 लाख वोटरों के नाम काटे गए। जीवित लोगों को मृत घोषित कर उनके वोटिंग अधिकार छीने गए। BJP और नीतीश सरकार पर वोट चोरी के आरोप लगाए गए हैं। इसके विरोध में वोटर अधिकार यात्रा निकाली जा रही है।

    वोटर अधिकार यात्रा। (Photo Credit: PTI)
  • गुंडाराज: इंडिया ब्लॉक के नेता नीतीश कुमार सरकार पर कानून व्यवस्था संभालने में नाकाम होने के आरोप लगाए हैं। कांग्रेस और आरजेडी का कहना है कि बिहार अब देश का क्राइम कैपिटल बन गया है। पटना और मोतिहारी जैसे इलाकों में दिन-दहाड़े अपराध हो रहे हैं। सरकार अवैध शराब की तस्करी नहीं रोक पा रही है, रेत माफियाओं का आतकं बढ़ता जा रहा है। नीतीश कुमार का यह कार्यकाल कमजोर पेश पेश किया जा रहा है। 

  • कमजोर पुलिसिंग: इंडिया ब्लॉक ने यह भी आरोप लगाया है कि पुलिसकर्मियों की बिहार में हत्या हो जा रही है। पुलिस व्यवस्था लचर है, अपराध बेलगाम हो गया है। मार्च 2025 में ही 2 ASI की हत्या हुई थी, जिसके बाद विपक्ष ने नीतीश कुमार सरकार पर सवाल उठाया था।

  • केंद्र की कठपुतली: इंडिया ब्लॉक का दावा है कि नीतीश कुमार स्वतंत्र रूप से सरकार नहीं चला रहे, बल्कि केंद्र में बैठे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के दबाव में हैं। राहुल गांधी और तेजस्वी यादव बार-बार दावा कर रहे हैं कि बिहार को गुजरात से चलाने की साजिश रची जा रही है। नीतीश जांच एजेंसियों के दबाव में विशेष राज्य के दर्जे जैसे अहम मुद्दे पर चुप गए हैं। 

    केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान, केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। (Photo Credit: PTI)

    यह भी पढ़ें: राहुल गांधी की राजनीतिक यात्राओं से कांग्रेस को क्या हासिल हुआ है?


    NDA का नैरेटिव क्या है?
  • जंगलराज: बीजेपी और जेडीयू की ओर से बार-बार लालू यादव और राबड़ी देवी की सरकार की याद दिलाई जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तक बार-बार अपनी जनसभाओं में कह रहे हैं कि तेजस्वी यादव अगर मुख्यमंत्री बने तो अपने पिता-माता की तरह बिहार को अपराध की राजधानी बना देंगे, अपहरण का धंधा फलेगा-फूलेगा बिहार में जंगलराज की वापसी हो जाएगी। 1990 से लेकर 2000 तक का दशक बिहार में कुख्यात रहा है। इस दौरान अपहरण, हत्याओं और बढ़ते अपराध की वजह से बिहार चर्चा में रहा। 

  • विकास, रोजगार और समृद्धि: एनडीए की ओर से बार-बार कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार ने लाखों लोगों को रोजगार दिया है। अगले 5 साल में करीब 1 करोड़ लोगों को रोजगार दिया जाएगा। राज्य का बुनियादी ढांचा नीतीश कुमार के सुशासन सरकार में बेहतर हुआ है। उद्योग धंधों की स्थापना हुई है।  

  • कानून-व्यवस्था: एनडीए सरकार का कहना है कि जंगलराज के दौर से नीतीश कुमार बिहार को बाहर लेकर आए हैं। अगर उनके हाथों में सत्ता नहीं रही तो जेडीयू बिहार को फिर उसी दौर में ले जाएगा जब बिहार में अपराध आम हो जाएंगे। बिहार एक अरसे तक जातीय और सांप्रदायिक हिंसा की भेंट चढ़ता रहा, बिहार में अपराध और नक्सलवाद उद्योग की तरह विकसित हो गए थे।

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार। (Photo Credit: PTI)
  • उद्योग: सरकार ने नए तरीके से उद्योग स्थापित करने के लिए विशेष आर्थिक पैकेज का ऐलान किया है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हाल ही में ऐलान किया था कि अब उद्यमियों को विशेष आर्थिक पैकेज दिया जाएगा। सरकार चाहती है कि राज्य में उद्योगों की संख्या बढ़े इसलिए नए उद्यमियों को कई योजनाओं में अब बड़ी छूट दी जाएगी।

  • जन कल्याणकारी योजनाएं: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक के बाद एक कई चुनावी ऐलान कर रहे हैं। गया में भी उन्होंने विधवा पेंशन को 400 से बढ़ाकर 1100 रुपये मासिक कर दिया। वृद्ध और दिव्यांगजनों की पेंशन भी 400 से 1100 रुपये कर दी गई, जिससे 1.12 करोड़ लोगों को लाभ पहुंच सकता है। 125 यूनिट तक फ्री बिजली का ऐलान कर चुके हैं, 39 लाख लोगों को सरकारी नौकरी और 1 करोड़ को रोजगार देने का वादा कर चुके हैं। बिहार के लिए 17 नए औद्योगिक पार्क और पर्यटन को बढ़ावा देने का वादा भी नीतीश कुमार ने किया है।

    एक तरफ जहां विपक्ष सत्तारूढ़ दल की खामियां गिना रहा है, सरकार अपनी योजनाओं को लेकर बेहद मुखर है। एनडीए की पार्टियों का दावा है कि एक बार फिर बिहार में नीतीश कुमार की ही सरकार बनने जा रही है।