संजय सिंह, पटना: राजनीति में चीजें कब बदल जाएं, यह कहना मुश्किल है। चीजें पल-पल बदलते रहती हैं। इसलिए कहा गया है कि राजनीति का खेल बड़ा निराला है। बक्सर के डुमरांव से पिता ददन पहलवान और उनके पुत्र करतार सिंह चुनावी अखाड़े में आमने सामने हैं। इधर अररिया जिले में नरपतगंज से टिकट नहीं मिलने से नाराज पार्टी के नेता अजय झा कफन ओढ़कर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
मधेपुरा के आलमनगर विधानसभा क्षेत्र से आरजेडी ने नवीन निषाद को टिकट दिया था, पर यह सीट वीआईपी में चला गया। उम्मीदवार तो नवीन ही रहे पर कुछ ही घंटों में झंडा बदल गया। इसी तरह बांका के अमरपुर विधानसभा क्षेत्र से कल नीतीश सरकार में मंत्री रहे जयंत राज कुशवाहा को नामांकन का पर्चा भरना था, पर वे दो मिनट विलंब से पहुंचे। उनका नामांकन नहीं हो सका। राजनीति में यह सब खेल चलता रहता है।
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बाप-बेटा एक-दूसरे के खिलाफ लड़ रहे चुनाव
बक्सर के डुमरांव विधानसभा क्षेत्र की स्थिति विचित्र है। यहां वाणिज्य कर विभाग के मंत्री रह चुके ददन पहलवान ने बहुजन समाजवादी पार्टी से नामांकन दाखिल किया है। ददन पहले जेडीयू में थे। अब उनके पुत्र निर्दलीय चुनाव मैदान में डटे हैं। मंत्री रहने के दौरान वह सुर्खियों में थे। जेडीयू ने उनका टिकट 2020 के चुनाव में काट दिया था। टिकट कटने के बाद भी वे निर्दलीय चुनाव मैदान में उतर गए थे लेकिन वह चुनाव हार गए। पिता-पुत्र के राजनीतिक युद्ध की चर्चा पूरे इलाके में हो रही है। यह तो वक्त बताएगा कि कौन किस पर भारी पड़ता है।
कुछ ही घंटों में बदल गया बैनर पोस्टर
मधेपुरा के आलमनगर विधानसभा क्षेत्र से नवीन निषाद को आरजेडी ने टिकट दिया था। नवीन निषाद नामांकन की तैयारी के लिए आरजेडी का बैनर पोस्टर बनवा चुके थे। महागठबंधन के सीट शेयरिंग में यह सीट VIP प्रमुख मुकेश सहनी के कोटे में चला गया। नवीन निषाद परेशान हो गए। उनका पुराना परिचय मुकेश सहनी से था। मुकेश सहनी ने वीआईपी से नामांकन भरने में हामी भर दी। उनका पुराना परिचय काम आया कुछ ही घंटे में नवीन को बैनर पोस्टर और झंडा बदलना पड़ा। फिर उन्होंने अपना नामांकन वीआईपी से किया।
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लेट पहुंचे मंत्री नहीं हुआ नामांकन
भवन निर्माण मंत्री रहे जयंत कुशवाहा को कल बांका के अमरपुर विधानसभा क्षेत्र से नामांकन करना था। मंत्री को समय का ध्यान नहीं रहा। नामांकन के लिए 3:00 बजे तक का ही समय निर्धारित है। वह 3:02 बजे नामांकन के लिए पहुंचे। निर्वाची पदाधिकारी ने चुनाव आयोग के नियम का हवाला देते हुए नामांकन लेने से मना कर दिया। उन्हें निराश होकर लौटना पड़ा। उनके समर्थक भी हैरान रह गए। वे अपना नामांकन अब आज करेंगे। अब उन्हें दोहरे खर्च का सामना करना पड़ेगा।
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शरद यादव के बेटे को नही मिला टिकट
एक समय था जब शरद यादव लोगों को टिकट देते थे। आज शरद के पुत्र शांतनु बुंदेला को बेटिकट होना पड़ा। उन्हें तेजस्वी यादव ने टिकट देने का आश्वासन दिया था। टिकट नहीं मिलने से नाराज शांतनु ने अपने एक्स हैंडल पर लिखा है, 'मेरे साथ राजनीतिक षडयंत्र हुआ है। समाजवाद की हार हुई है।' शरद यादव की पुत्री सुभाषिनी यादव ने अपने भाई का समर्थन करते हुए राजद नेता तेजस्वी यादव के खिलाफ ट्वीट किया है। ट्वीट में उन्होंने लिखा है कि जो अपने खून के नहीं हुए, वे दूसरों के क्या सगे होंगे। जो अपने परिवार के वफादार नहीं हैं, वे किसी और के लिए कैसे भरोसेमंद हो सकते हैं ?