दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने रविवार को एक लिस्ट जारी की। इस लिस्ट में एक ही नाम था और वो था मोहन सिंह बिष्ट का। मोहन सिंह बिष्ट अब तक करावल नगर सीट से लड़ते आ रहे थे, लेकिन इस बार वो मुस्तफाबाद सीट से उम्मीदवार हैं। करावल नगर सीट से बीजेपी ने कपिल मिश्रा को उम्मीदवार बनाया है। इस बात से बिष्ट नाराज हो गए थे और निर्दलीय ही चुनाव लड़ने की धमकी दे डाली थी।

बिष्ट का रुठना और फिर मान जाना

करावल नगर सीट से मोहन सिंह बिष्ट 5 बार के विधायक हैं। शनिवार को बीजेपी ने जब उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट जारी की, तो उसमें बिष्ट का नाम नहीं था। बिष्ट की जगह बीजेपी ने इस बार कपिल मिश्रा को करावल नगर से टिकट दिया है। इसके बाद बिष्ट नाराज हो गए थे।


करावल नगर से टिकट न मिलने पर बिष्ट बागी हो गए थे। उन्होंने इसे बीजेपी की 'बड़ी गलती' बताया था। बिष्ट ने कहा था, 'बीजेपी को लगता है कि वो किसी भी टिकट देगी और वो जीत जाएगा। ये तो वक्त ही बताएगा कि बुराड़ी, करावल नगर, घोंडा, सीलमपुर, गोकुलपुरी और नंद नगरी सीट पर क्या होता है।'


बिष्ट ने कहा था, 'जो लोग कड़ी मेहनत करते हैं, उनका बीजेपी में कोई वजूद नहीं है। सिर्फ चापलूसी करने वालों को इनाम मिल रहा है।' बिष्ट ने धमकी देते हुए कहा था कि वो करावल नगर सीट के अलावा किसी और दूसरी जगह से चुनाव नहीं लड़ेंगे। उन्होंने 17 जनवरी से पहले करावल नगर सीट से पर्चा भरने की धमकी दी थी।


बिष्ट की नाराजगी के बाद बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने रविवार को उनसे मुलाकात की और मनाया। देर शाम बीजेपी ने मोहन सिंह बिष्ट को मुस्तफाबाद से उम्मीदवार बनाया। टिकट मिलने के बाद बिष्ट ने कहा, 'पार्टी के साथ मेरा पुराना नाता है। जब आप कड़ी मेहनत करते हैं और उसका फल नहीं मिलता तो दुख होता है।' उन्होंने मुस्तफाबाद से जीतने का दावा भी किया।

बिष्ट की नाराजगी क्यों नहीं झेल सकती बीजेपी?

मोहन सिंह बिष्ट की नाराजगी बीजेपी पर भारी पड़ सकती थी। मोहन सिंह बिष्ट दिल्ली में बीजेपी का पहाड़ी चेहरा हैं। पहाड़ी वोटरों में बिष्ट की पैठ है।

नई दिल्ली, आरके पुरम, दिल्ली कैंट, बुराड़ी, करावल नगर, पटपड़गंज, मुस्तफाबाद, बदरपुर, पालम और द्वारका जैसी सीटों पर पहाड़ी वोटरों की अच्छी-खासी आबादी है। करावल नगर और मुस्तफाबाद में 50 फीसदी से ज्यादा पहाड़ी वोटर्स हैं। माना जाता है कि दिल्ली में लगभग 30 लाख वोटर्स पहाड़ी हैं।

पहाड़ियों के बड़े नेता हैं बिष्ट

मोहन सिंह बिष्ट उत्तराखंड से आते हैं और यहां पहाड़ियों के बड़े नेता हैं। करावल नगर सीट से वो 5 बार के विधायक हैं। 1998 के बाद से अब तक सिर्फ 2015 में ही बिष्ट चुनाव हारे हैं। 2015 के चुनाव में कपिल मिश्रा ने करावल नगर से बिष्ट को हराया था। कपिल मिश्रा तब आम आदमी पार्टी में थे। कपिल मिश्रा को बिष्ट को हराने का इनाम भी मिला था। उन्हें आम आदमी पार्टी की सरकार में मंत्री बनाया गया था। हालांकि, बाद में नाराजगी के चलते मिश्रा आम आदमी पार्टी छोड़कर बीजेपी में आ गए थे।

बड़ा वोटबैंक, लेकिन अब तक सिर्फ 2 विधायक

दिल्ली के चुनाव में पहाड़ियों को अच्छा-खासा वोट बैंक है लेकिन इसके बावजूद अब तक सिर्फ दो उत्तराखंडी ही विधायक बन चुके हैं। दोनों ही उत्तराखंडी बीजेपी के टिकट से विधानसभा पहुंचे हैं। सबसे पहले 1993 के चुनाव में मंडावली सीट से मुरारी सिंह पंवार जीते थे। उनके बाद 1998 में मोहन सिंह बिष्ट करावल नगर से विधायक बने। बीजेपी, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने कई उत्तराखंडियों को टिकट दिया है, लेकिन कोई भी जीत नहीं सका।