बक्सर जिला, बिहार के भोजपुरी बेल्ट का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो अपनी ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान के लिए जाना जाता है। गंगा नदी के तट पर बसा यह जिला न केवल अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए मशहूर है, बल्कि प्राचीन काल से लेकर आधुनिक भारत के इतिहास में भी इसका विशेष स्थान रहा है। बक्सर का नाम सुनते ही रामायण काल के विश्वामित्र आश्रम और 1857 की क्रांति की याद ताजा हो जाती है। यह जिला अपने धार्मिक महत्व, ऐतिहासिक युद्ध और सांस्कृतिक धरोहरों के लिए देश भर में प्रसिद्ध है।


बक्सर का इतिहास अत्यंत प्राचीन और समृद्ध है। रामायण काल में यह विश्वामित्र ऋषि के आश्रम के रूप में जाना जाता था, जहां भगवान राम और लक्ष्मण ने शिक्षा प्राप्त की थी। विश्वामित्र के मार्गदर्शन में राम ने ताड़का वध और अन्य राक्षसों का संहार किया था, जिससे इस क्षेत्र का धार्मिक महत्व और बढ़ गया। बक्सर का नाम ‘व्याघ्रसर’ से उत्पन्न माना जाता है, जो बाद में अपभ्रंश होकर बक्सर हो गया।

 

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ऐतिहासिक दृष्टिकोण से बक्सर का सबसे महत्वपूर्ण योगदान 1764 में हुआ बक्सर का युद्ध है। यह युद्ध ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी और मुगल सम्राट शाह आलम द्वितीय, मीर कासिम और अवध के नवाब शुजा-उद्-दौला की संयुक्त सेना के बीच लड़ा गया था। इस युद्ध में ब्रिटिश सेना की जीत ने भारत में ब्रिटिश शासन की नींव को और मजबूत किया। इसके अलावा, 1857 की क्रांति में भी बक्सर ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यहां के स्थानीय लोगों ने अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह में सक्रिय भाग लिया था।


बक्सर अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत के लिए भी जाना जाता है। गंगा नदी के किनारे बसे होने के कारण यह हिंदुओं के लिए एक पवित्र तीर्थस्थल है। यहां का रामरेखा घाट और नाथ बाबा मंदिर विशेष रूप से प्रसिद्ध हैं। नाथ बाबा मंदिर में हर साल हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। इसके अलावा, बक्सर में स्थित सीता-राम विवाह स्थल भी धार्मिक महत्व रखता है, जहां माना जाता है कि भगवान राम और माता सीता का विवाह हुआ था।

 

बक्सर का छठ पूजा उत्सव भी पूरे बिहार में प्रसिद्ध है। गंगा के घाटों पर लाखों लोग छठ माता की पूजा करने आते हैं, और यह पर्व यहां की सांस्कृतिक एकता और भक्ति का प्रतीक है। इसके अलावा, बक्सर में कई प्राचीन मंदिर और आश्रम हैं, जो इसकी धार्मिक समृद्धि को दर्शाते हैं।

राजनीतिक समीकरण

बक्सर जिले में कुल चार विधानसभा सीटें हैं- बक्सर, ब्रह्मपुर, राजपुर और डुमरांव। ये सीटें बक्सर और भोजपुर लोकसभा क्षेत्रों में बंटी हुई हैं। राजनीतिक दृष्टिकोण से बक्सर में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) का प्रभाव रहा है। पिछले कुछ वर्षों में बीजेपी ने इस क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत की है। 2024 के लोकसभा चुनाव में बक्सर लोकसभा सीट पर बीजेपी ने जीत हासिल की थी, और यह सीट लंबे समय से एनडीए के कब्जे में रही है।

 

बक्सर में सामाजिक समीकरण भी राजनीति को प्रभावित करते हैं। यहां यादव, राजपूत, ब्राह्मण और दलित समुदायों की अच्छी-खासी आबादी है, जो चुनावी नतीजों को तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। बीजेपी ने सामाजिक गठजोड़ और स्थानीय मुद्दों को उठाकर अपनी स्थिति मजबूत की है, जबकि आरजेडी और अन्य विपक्षी दल सामाजिक न्याय और स्थानीय विकास के मुद्दों को उठाते रहे हैं।

विधानसभा सीटों का विवरण

  1. बक्सर: इस सीट पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच बराबर की लड़ाई देखने को मिलती है। पिछले दो बार से कांग्रेस के संजय कुमार तिवारी इस सीट पर जीत दर्ज करते रहे हैं। उसके पहले बीजेपी जीतती रही है और उसके पहले 1990 और 1995 में सीपीआई से मंजू प्रकाश यहां से विधायक थे। शुरुआती दौर में भी इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा है।

  2. ब्रह्मपुर: इस सीट पर मुख्यतः आरजेडी और कांग्रेस का कब्जा रहा है। 2010 को छोड़कर साल 2000 से इस सीट पर लगातार आरजेडी जीतती आई है। उसके पहले कांग्रेस का इस सीट पर दबदबा रहा है। ललन प्रसाद सिंह, ऋषिकेश तिावीर, अजीत चौधरी और शंभूनाथ यादव इस सीट पर खास चेहरे रहे हैं। मौजूदा वक्त में शंभूनाथ यादव यहां से आरजेडी से विधायक हैं।

  3. राजपुर: यह अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट है। साल 2005 से 2015 तक इस सीट पर लगातार जेडीयू का कब्जा रहा है। हालांकि, पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने इस सीट पर जीत दर्ज की थी। इसके पहले 1985 और 199 में बीजेपी ने जीत दर्ज की थी। इस तरह से माना जा सकता है कि इस सीट पर एनडीए की अच्छी पकड़ है। मौजूदा वक्त में कांग्रेस के विश्वनाथ राम यहां से कांग्रेस के विधायक हैं।

  4. डुमरांव: इस सीट पर अब तक 17 बार विधानसभा के चुनाव हो चुके हैं जिनमें से सात बार कांग्रेस ने और दो बार जेडीयू ने जीत दर्ज की है। बाकी बार अन्य पार्टियों को जीत मिली। दद्दन सिंह इस सीट पर खास चेहरा हैं। 2000 और 2005 में वह यहां से विधायक थे इसके बाद 2015 में फिर उन्होंने जेडीयू से चुनाव जीता। हालांकि, पिछली बार कम्युनिस्ट पार्टी के अजीत कुश्वाहा को जीत मिली। जेडीयू इस सीट पर सिर्फ दो बार जीती है। इस तरह से देखा जाए तो बीजेपी या जेडीयू की यहां पर बहुत ज्यादा पैठ नहीं है। 2024 के संसदीय चुनाव में ददन सिंह ने बक्सर से निर्दलीय लोकसभा का चुनाव भी लड़ा था लेकिन वह जीत नहीं सके।

जिले का प्रोफाइल

बक्सर जिले की कुल जनसंख्या लगभग 17 लाख है, और इसका क्षेत्रफल 1624 वर्ग किलोमीटर है। जिले में 2 अनुमंडल (बक्सर और डुमरांव), 11 प्रखंड और 1142 गांव हैं। जनसंख्या घनत्व 1002 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है, और लिंगानुपात 912 महिलाएं प्रति 1000 पुरुष हैं। जिले की साक्षरता दर 70.14% है, जो बिहार के औसत से बेहतर है।

 

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मौजूदा स्थिति

  • कुल सीटें: 4

  • कांग्रेस: 2

  • आरजेडीः 1

  • सीपीआई (माले): 1