दिल्ली में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है। आखिरी मतदाता सूची (वोटर लिस्ट) चुनाव आयोग ने जारी कर दी गई है। चुनाव आयोग द्वारा 5 फरवरी 2025 को वोटिंग करवाई जाएगी और 8 फरवरी 2025 को नतीजे घोषित किए जाएंगे। वोटर लिस्ट में लगभग डेढ़ करोड़ मतदाता हैं जिनमें से 83 लाख पुरूष और 70 लाख से ज्यादा महिला वोटर्स हैं।

 

ऐसे में चुनाव के पहले बीजेपी और आम आदमी पार्टी एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं। इसी कड़ी में आम आदमी पार्टी ने बीजेपी को वोटर लिस्ट में से मतदाताओं के नाम हटवाए जाने को लेकर घेरने की कोशिश की है। आप का आरोप है कि आयोग जानबूझकर मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से हटा रहा है। सीएम आतिशी ने दिल्ली विधानसभा की वोटर लिस्ट में गलत तरीके से नाम जोड़ने और हटाने के आरोप लगाए है।

 

मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने इस पर जवाब देते हुए कहा, 'कुछ पार्टियों ने दावा किया कि कुछ समूहों को गलत तरीके से निशाना बनाया जा रहा है और मतदाता सूची से उनके नाम हटाए जा रहे हैं। मैं उनको बताना चाहता हूं कि किसी भी कीमत पर वोटर लिस्ट से किसी का नाम मनमाने ढंग से नहीं हटाया जा सकता।'

 

वोट काटने की साजिश

आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल और आतिशी ने निर्वाचन आयोग को निशाने पर लिया था। दोनों ने इस मामले में बीजेपी पर आरोप लगाया था कि नई दिल्ली विधानसभा सीट समेत कई और विधानसभा क्षेत्रों में वोटर लिस्ट से नाम काटे गए हैं। उनका कहना था, 'वोटर लिस्ट में से उन लोगों के और उन इलाकों से वोट काटे गए हैं जो आम आदमी पार्टी के खिलाफ हो सकते हैं। दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में AAP नेताओं के एक डेलिगेशन ने इस संबंध में अपनी शिकायत लेकर चुनाव आयोग के अधिकारियों से मुलाकात की थी।'

 

सीएम आतिशी ने कहा, 'जब चुनाव आयोग के बूथ लेवल अधिकारी घर-घर जा रहे थे, तो उन्हें (मतदाताओं को) क्यों नहीं शिफ्ट किया गया? इससे यह पता चलता है कि गलत तरीके से वोट काटने की साजिश चल रही है... 10% वोट जोड़े जाएं और 5% हटाए जाएं  यही साजिश चल रही है। सीएम ने कहा कि 6167 आवेदन में से 4283 आवेदन मात्र 84 लोगों ने डाली थी। यानी 84 लोगों ने 4 हजार से अधिक लोगों के वोट काटने के आवेदन किए।'


क्या बोले CEC राजीव कुमार?
इन आरोपों का जवाब देते हुए राजीव कुमार ने कहा, 'भारत में 2020 से 30 राज्यों में चुनाव हुए हैं और इनमें से 15 राज्यों में अलग-अलग पार्टियां जीतकर सत्ता में आई हैं। इससे स्पष्ट है कि चुनाव की पूरी प्रक्रिया कितनी पारदर्शी है। वोटर लिस्ट से नाम हटाने और जोड़ने की प्रक्रिया भी बहुत पारदर्शी है। यहां तक कि हम सभी राजनीतिक दलों को अधिकार देते हैं कि वे अपने स्तर पर बीएलओ की नियुक्ति करें। हर साल अक्टूबर में ड्राफ्ट रोल तैयार किया जाता है और नए लोगों को जोड़ा जाता है। उन लोगों के नाम वोटर लिस्ट से हटाए जाते हैं, जो दूसरी विधानसभा में शिफ्ट हो गए हैं या जिनकी मृत्यु हो गई हो।'