पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल में एक चीज जो बहुत समान हैं और वो है- सादगीपूर्ण जीवन! भले दोनों अपनी राजनीतिक करियर में बहुत आगे पहुंच गए हो लेकिन दोनों ही नेता जमीन से जुड़े रहे। दोनों की छवि एक सादगीपूर्ण राजनेता के रूप में उभरी।

 

एक तरफ ममता दीदी हमेशा से सफेद या क्रीम रंग की पतली बॉर्डर वाली सूती साड़ियां, हवाई चप्पलें और छोटी मारुति कार में घूमते हुए दिखती है। दूसरी तरफ अरविंद केजरीवाल भी सूती शर्ट, साधारण चप्पल पहनकर और वैगन आर कार में यात्रा करके खुद को 'आम आदमी का नेता' में खुद को दिखाने की कोशिश करते है। ममता दीदी कितनी सादगी से रहती है उसका उदाहरण कोलकाता के हरीश चटर्जी लेन स्थित उनके पुराने घर में देखा जा सकता है। सादगीपूर्ण जीवन जीने की समानताएं होने के बावजूद दोनों ही नेताओं पर भारतीय जनता पार्टी ने आरोपों की बौछार भी की। 

राजनीति में टिकने का माइंड गेम

राजनीति में कैसे टिकना है यह ममता दीदी अच्छे से जानती हैं। उन्हें यह पता है कि राजनीति में दिखावे का बहुत महत्व है। सिंगूर और नंदीग्राम दौरे में भी ममता बनर्जी में कोई बदलाव नहीं देखा गया। सूती साड़ी और हवाई चप्पल पहनकर ममता एक तरीके से राजनीति में यह दिखाने की कोशिश कर रही है कि वह एक मुख्यमंत्री के पद पर होते हुए कितना साधारण जीवन जीती हैं। हालांकि, शारदा चिटफंड घोटाले में उन्होंने खुद को बचाने में बहुत चुतराई भी दिखाई। यहीं कारण है कि भाजपा द्वारा लगाए गए आरोपों के बावजूद दीदी की सत्ता बनीं रहीं। 

केजरीवाल भी नक्शे कदम पर...

वहीं, भाजपा ने केजरीवाल की सादगी और विनम्र दिखने वाली छवि को भी धराशायी किया। केजरीवाल ने हमेशा से खुद को एक साधारण नेता के रूप में पेश करने की कोशिश लेकिन भाजपा ने मुख्यमंत्री आवास को 'शीश महल' नाम देकर उनके लाइफस्टाइल को सभी के सामने उजागर किया। इसमें भाजपा कुछ हद तक सफल भी रहीं। दरअसल, भाजपा ने 'शीश महल' की तस्वीरों और CAG रिपोर्ट का इस्तेमाल यह दिखाने के लिए किया कि केजरीवाल अब 'कट्टर ईमानदार' नहीं रहे और उनका सरल और आम दिखने का प्रयास केवल दिखावा है। भाजपा का चुनावी कैंपेन 'मफलर मैन' की बनीं सादगीपूर्ण छवि को उजागर करने में जुटी हुई है। बीजेपी को उम्मीद है कि दिल्ली चुनाव के साथ ही केजरीवाल की विश्वसनीयता और भी कम हो जाएगी।