5 फरवरी, 2025 दिल्ली के लिए बहुत महत्वपूर्ण तारीख है। इस दिन दिल्लीवासी अपने वोट का इस्तेमाल कर दिल्ली की राजनीति का भाग्य तय करेगी। इसके 3 दिन बाद यानी 8 फरवरी को वोटों की गिनती होगी और इसी दिन तय हो जाएगा कि दिल्ली का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा? विधानसभा चुनाव में 1 महीने से भी कम समय बचा हुआ है लेकिन कांग्रेस ने 32 सीटों पर और भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने 41 सीटों के लिए अब तक उम्मीदवार घोषित नहीं किए है।
वहीं, आम आदमी पार्टी ने सभी 70 सीटों के लिए उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। तीनों ही राजनीतिक पार्टियां अपने-अपने तरीकों से दिल्लीवालों को खुश करने में लगी हुई है। कोई बड़े वादे कर रहा है तो कोई बड़ी-बड़ी योजनाओं की घोषणा कर वोटरों का समर्थन पाने की होड़ में जुटा हुआ हैं।
दिल्ली में 3 फेक्टर ऐसे है जो चुनाव में बहुत मायने रखती है क्योंकि ये इस चुनाव में न केवल किंगमेकर साबित होंगे बल्कि दिल्ली का भाग्य भी तय करेंगे। महिला, मीडिल क्लास और मुस्लिम समाज। इन तीनों के वोटिंग पर ही दिल्ली की किस्मत टिकी हुई है। कैसे आइये जान लेते है:
महिलाएं
महाराष्ट्र, हरियाणा और मध्य प्रदेश समेत ऐसे कई राज्यों में हुए चुनावों में महिलाएं वोटर किंगमेकर के रूप में उभरी। एसबीआई की चुनाव आयोग के डेटा पर की गई रिसर्च में जो आंकड़े सामने आए हैं उसके मुताबिक, जिन 19 राज्यों में महिलाओं के लिए स्कीम की घोषणा हुई, वहां वोट देने वाली महिलाएं कुल 1.5 करोड़ बढ़ गई है।
वहीं, जिन राज्यों में एसी घोषणाएं नहीं हुई, वहां यह बढ़ोतरी महज 30 लाख ही रही। महिला स्कीम से वोट देने वाली महिलाएं 5 गुना बढ़ गई है। इस रिपोर्ट के अनुसार, पिछले दस सालों में 9 करोड़ से अधिक नए वोटर्स ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया, जिनमें से 58 फीसदी महिलाएं थीं। अब महिलाएं स्वतंत्र रूप से मतदान कर रही हैं। कई राज्यों में वे पुरुषों की तुलना में बड़ी संख्या में वोट कर रही हैं।
2015/2020 के विधानसभा चुनावों में AAP, BJP और कांग्रेस को महिलाओं का कितना मिला वोट?
CSDS पोस्ट पोल स्टडी के अनुसार, 2015 के चुनावों में 53 प्रतिशत महिलाओं ने AAP को वोट दिया था। भाजपा को 34 प्रतिशत वोट मिले तो वहीं कांग्रेस को महज 10 प्रतिशत महिलाओं का वोट प्राप्त हुआ। वहीं, 2020 के विधानसभा चुनाव में AAP पार्टी को 60 प्रतिशत महिलाओं का वोट मिला। भाजपा को 35 प्रतिशत और कांग्रेस को केवल 3 प्रतिशत में ही सिमट गई। मुफ्त बिजली-पानी, सरकारी स्कूलों में सुधार, मुफ्त बस यात्रा, महिलाओं को हर महीने 2100 रुपये देने का वादा और मोहल्ला क्लीनिकों के माध्यम से बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के कारण महिलाएं AAP की जीत में बहुत बड़ी भूमिका निभा रही हैं।
AAP की महिला रणनीति, 2025 के चुनाव में चलेगी?
महिलाएं अब अधिक वोट कर रही हैं जिसका फायदा AAP उठा रहा है। अपनी रणनीति का पूरा इस्तेमाल करते हुए AAP ने महिला सम्मान योजना शुरू की। अगर केजरीवाल की पार्टी की सत्ता में फिर से वापसी हुई तो महिलाओं को प्रति माह 1 हजार रुपये मिलने वाली राशि को 2 हजार तक बढ़ा दिया जाएगा। हालांकि, अभी तक इस योजना के तहत महिलाओं को कोई भुगतान नहीं किया गया है। न तो पंजाब और न तो दिल्ली में इसकी शुरुआत हुई है जो अरविंद केजरीवाल की पार्टी को नुकसान पहुंचा सकती है। इसके अलावा कांग्रेस ने महिलाओं को 2,500 रुपये प्रति माह देने का वादा किया है, जबकि भाजपा भी इतनी ही राशि देने का वादा कर सकती है।
मिडिल क्लास
दिल्ली की अधिकत्तर आबादी मिडिल क्लास से आती है। ऐसे में दिल्ली के चुनावों में मिडिल क्लास का वोट बैंक बहुत मायने रखती है। CSDS पोस्ट पोल स्टडी के अनुसार, 2015 में AAP
को 55 प्रतिशत और भाजपा को 35 प्रतिशत वोट मीडिल क्लास से मिला था। 2020 में नाखुश मिडिल क्लास ने AAP को केवल 53 प्रतिशत का समर्थन दिया था।
2015
मिडिल क्लास का वोट
भाजपा को मिले 35 प्रतिशत वोट
आप को मिले 55 प्रतिशत वोट
2020
मिडिल क्लास का वोट
भाजपा को मिले 39 प्रतिशत वोट
आप को मिले 53 प्रतिशत वोट
मुस्लिम
2011 की जनगणना के अनुसार, दिल्ली की आबादी में मुसलमानों की हिस्सेदारी करीब 13 प्रतिशत है। कांग्रेस के कट्टर समर्थक रहने वाले मुस्लिम अब AAP को चुन रही हैं। 2015 के चुनावों में लगभग 77 प्रतिशत मुस्लिम ने AAP पार्टी को अपना वोट दिया जो 2020 के चुनावों में बढ़कर 83 प्रतिशत हो गया। 2015 के दिल्ली चुनाव में कांग्रेस को महज 13 प्रतिशत वोट हासिल हुए थे। आप पार्टी के लिए मुस्लिम वोट बैंक बहुत मायने रखता है। वोट शेयर के मामले में आप को भाजपा पर कुल 15 प्रतिशत की बढ़त हासिल है।
दिल्ली में मुस्लिम प्रभाव वाली 10 सीटें हैं। 2020 में इनमें से नौ सीटें AAP ने और एक बीजेपी ने जीती थीं। AAP को इन सीटों पर 54 प्रतिशत वोट मिले, जबकि बीजेपी को 28 प्रतिशत और कांग्रेस को 16 प्रतिशत वोट मिले। कांग्रेस ने अब तक चार मुस्लिम उम्मीदवार उतारे हैं, जबकि AAP ने 10 उम्मीदवार उतारे हैं। कांग्रेस इस वोट बैंक में सेंध लगाने की उम्मीद कर रही है।