दिल्ली के विधानसभा चुनाव में बड़ा खेल हो गया है। 27 साल बाद बीजेपी सरकार बनाने जा रही है। बीजेपी 48 सीटों पर आगे चल रही है। पिछले दो चुनाव से 60 से ज्यादा सीटें जीतकर सरकार बना रही आम आदमी पार्टी इस बार 22 सीटों पर सिमट गई है। कांग्रेस के हाथ फिर खाली रह गए हैं। 


दिल्ली के चुनाव में इस बार बीजेपी की ऐसी आंधी चली कि आम आदमी पार्टी साफ हो गई। अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, सौरभ भारद्वाज, सत्येंद्र जैन और दुर्गेश पाठक समेत तमाम बड़े नेता चुनाव हार गए।


2020 के चुनाव की तुलना में इस बार आम आदमी पार्टी का वोट शेयर 10 फीसदी कम होता दिख रहा है। पिछले चुनाव में AAP को लगभग 54% वोट मिले थे। इस बार उसे 43% वोट मिलते दिख रहे हैं। 

क्यों हार गई आम आदमी पार्टी?

आम आदमी पार्टी को इस बार चुनाव में कड़ी टक्कर मिली। आम आदमी पार्टी की सबसे बड़ी मुसीबत शराब घोटाले के आरोप लगे। अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया जैसे बड़े नेताओं को महीनों जेल में गुजारने पड़े। इससे पार्टी की छवि को बहुत नुकसान पहुंचा। संदेश गया कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने वाली पार्टी खुद भ्रष्टाचार में फंस गई।


आम आदमी पार्टी पर भ्रष्टाचार का दूसरा बड़ा आरोप 'शीशमहल' का लगा। बीजेपी ने इस बात को मुद्दा बनाया कि खुद को आम आदमी बताने वाले अरविंद केजरीवाल ने अपने रहने के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर 'शीशमहल' बनवाया। इसके अलावा चुनाव में यमुना भी बड़ा मुद्दा बनी। केजरीवाल ने हरियाणा सरकार पर यमुना में 'जहर' मिलाने का आरोप लगाया। इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी और हरियाणा के सीएम नायब सिंह सैनी समेत बीजेपी के सभी बड़े नेताओं ने केजरीवाल को घेरना शुरू कर दिया। 


केजरीवाल ने हर दिन आकर एक नया मुद्दा उठाया। हर दिन किसी न किसी के लिए नए वादे किए। मगर बीजेपी ने अपने मुद्दे पकड़कर रखे। वादे भी किए तो ये भरोसा भी दिलाया कि पहले से चल रही योजनाओं को बंद नहीं किया जाएगा। आम आदमी पार्टी और केजरीवाल ने इमोशनल कार्ड भी खेलने की कोशिश की लेकिन जनता का उस पर असर नहीं दिखा।

 

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केजरीवाल का 'M' फैक्टर फेल!

इस चुनाव में अरविंद केजरीवाल का 'M' फैक्टर यानी महिलाओं पर दांव नहीं चला। केजरीवाल ने वादा किया कि अगर आम आदमी पार्टी सत्ता में लौटी तो महिलाओं को हर महीने 2,100 रुपये दिए जाएंगे। मगर उनका ये दांव नहीं चला। 

 

बीजेपी ये नैरेटिव फैलाने में कामयाब रही कि पंजाब में भी AAP ने महिलाओं के लिए ऐसा ही वादा किया था लेकिन वहां ऐसी योजना शुरू नहीं हो सकी। दूसरी ओर मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और हरियाणा जैसे राज्यों में बीजेपी ने महिलाओं के लिए डायरेक्ट कैश ट्रांसफर स्कीम लागू कीं। 


CSDS का सर्वे बताता है कि 2020 के चुनाव में 60 फीसदी से ज्यादा महिलाओं ने आम आदमी पार्टी को वोट दिया था। इस बार भी आम आदमी पार्टी को इनका वोट मिलने की उम्मीद थी। मगर ऐसा हुआ नहीं। बीजेपी ने वादा किया कि वो सरकार में आई तो हर महीने 2,500 रुपये देगी। नतीजा ये हुआ कि दिल्ली में पहली बार महिलाओं का वोटिंग प्रतिशत पुरुषों से ज्यादा रहा। 70 में से 40 सीटें ऐसी रहीं जहां वोट करने में महिलाएं आगे रहीं। 

 

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BJP का 'M' फैक्टर पास!

चुनाव से पहले बीजेपी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार ने दो ऐसे फैसले लिए, जिन्होंने सीधे 'मिडिल क्लास' को टारगेट किया। यही बीजेपी का  'M' फैक्टर रहा। चुनाव से पहले मोदी सरकार ने पहला फैसला 8वें वेतन आयोग को गठन करने का लिया। दूसरा फैसला 12 लाख रुपये तक की आय टैक्स फ्री करने का रहा। 


केंद्र सरकार के इस फैसले को सीधे तौर पर दिल्ली चुनाव से जोड़कर देखा गया। वो इसलिए क्योंकि 3 दिसंबर 2024 को ही इससे जुड़े सवाल पर वित्त मंत्रालय ने साफ किया था कि फिलहाल 8वें वेतन आयोग को गठन करने का कोई प्रस्ताव नहीं है। इस जवाब के महीनेभर बाद 16 जनवरी को केंद्र सरकार ने 8वें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी दे दी। 8वें वेतन आयोग से सरकारी कर्मचारियों की सैलरी और पेंशनर्स की पेंशन कई गुना बढ़ जाएगी। दिल्ली में लगभग 4 लाख केंद्रीय कर्मचारी हैं। बड़ी संख्या में पेंशनर्स भी हैं। माना जा रहा है कि केंद्र के इस फैसले का इन पर बड़ा असर हुआ होगा।


इसके अलावा, 1 फरवरी को पेश बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 12 लाख रुपये तक की सालाना आय को टैक्स फ्री करने का ऐलान भी किया। दिल्ली में करीब 40 लाख टैक्सपेयर्स हैं। नए स्लैब से दिल्ली की 67% मिडिल क्लास आबादी को टारगेट करने की कोशिश की गई।

 

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27 साल बाद दिल्ली का कमबैक

दिल्ली में 27 साल बाद बीजेपी का कमबैक हुआ है। बीजेपी ने पहली बार 1993 में यहां का चुनाव जीता था। 1998 के बाद से बीजेपी यहां कभी चुनाव नहीं जीत पाई। दिल्ली में सुषमा स्वराज बीजेपी की आखिरी मुख्यमंत्री थीं। दिल्ली जीतना बीजेपी के लिए इसलिए बड़ी राहत की बात है, क्योंकि 2014 के बाद से पार्टी ने कई नए राज्यों में सरकार बनाई लेकिन यहां दहाई का आंकड़ा भी पार नहीं कर सकी थी।