बिहार के सीवान जिले में 8 विधानसभाएं हैं। इन्हीं विधानसभाओं में एक विधानसभा है गोरेयाकोठी। इसकी सीट संख्या 111 है। गोरेयाकोठी के विधायक देवेश कांत सिंह हैं। वह भारतीय जनता पार्टी के नेता हैं। यह विधानसभा, भारतीय जनता पार्टी के लिए सुरक्षित गढ़ है। यह सीट सामान्य श्रेणी की है। साल 2008 में हुए परिसीमन के बाद बसंतपुर और लकड़ी नबीगंज के प्रखंड भी इस विधानसभा में जोड़ दिए गए। यहां तीन प्रखंड हैं, लकड़ी नबीगंज, गोरेयाकोठी और बसंतपुर। 

गोरियाकोठी से सीवान के जिला मुख्यालय की दूरी 33 किलोमीटर है। पटना से यहां की दूरी 121 किलोमीटर है। यूपी का शहर बलिया करीब 145 किलोमीटर की दूरी पर है। यह विधानसभा महाराजगंज लोकसभा सीट के अंतर्गत आती है। गोरियाकोठी कस्बे की हालत थोड़ी बेहतर है। कस्बे से कुछ मुख्य सड़कें जुटी हैं। यहां की प्रमुख नदी धमई है जो प्रदूषण की वजह से चर्चा में रहती है। 

यहां का नाम थोड़ा आपको अलग लग सकता है। गोरिया कोठी का मतलब, गोरिया की कोठी है। ऐसी जनश्रुति है कि किसी अंग्रेज अधिकारी की कोठी यहां थी, उसी की वजह से पूरे इलाके को गोरेयाकोठी का नाम दिया गया है। 

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विधानसभा का परिचय 

गोरेयाकोठी विधानसभा पूरी तरह ग्रामीण विधानसभा है। यहां आजीविका का मुख्य आधार कृषि है। धान, गेंहू, मक्का, बाजरा और मटर की खेती लोग करते हैं। कुछ जगहों पर गन्ना भी उगाया जाता है। यहां कोई बड़ा उद्योग नहीं है। ज्यादातर लोग कमाने के लिए बाहर जाते हैं।

मुद्दे क्या हैं? 

गोरेयाकोठी में पलायन, अच्छे स्कूलों की कमी, खराब सड़कें, बदहाल अस्पताल ही बड़े मुद्दे हैं। यहां उद्योग हैं नहीं, इसलिए लोगों को कमाने बाहर जाना पड़ता है। ज्यादातर पुरुष बाहर कमाने जाते हैं। सर्विस सेक्टर में कुछ लोग हैं लेकिन ज्यादातर आबादी गांव में ही रहती है। प्रवासी कमाई और खेती ही आमदनी का जरिया है। 

 

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वोटर कितने हैं?

गोरेयाकोठी में करीब 576015 वोटर हैं। पुरुष मतदाताओं की संख्या 293564 है, वहीं महिला मतदाताओं की संख्या 282451 है। 3 थर्ड जेंडर मतदाता हैं। 

जातीय समीकरण क्या हैं?

यहां की आबादी मिश्रित आबादी है। हिंदू वोटर प्रभावी स्थिति में हैं। अनुसूचित जाति की आबादी करीब 10.84 प्रतिशत है, अनुसूचित जनजाति यहां करीब 1.3 प्रतिशत हैं। मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 16 फीसदी से ज्यादा है। 

विधायक का परिचय

गोरेयाकोठी से देवेश कांत सिंह विधायक हैं। साल 2020 में वह पहली बार विधायक चुने गए। उनके पिता भूमेंद्र नारायण सिंह इसी सीट से 2 बार विधायक थे। देवेश कांत सिंह ने पटना कॉलेज से ग्रेजुएशन किया है। वह खुद को कृषक बताते हैं। कुछ व्यापार भी हैं। साल 2020 में उन्होंने अपनी आय 3 करोड़ बताई थी। उन पर 56 लाख से ज्यादा का कर्ज है। भारतीय जनता पार्टी के सक्रिय नेताओं में शुमार हैं। 

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अभी कैसे समीकरण बन रहे हैं?

यहां से बीजेपी एक बार फिर जीत का दावा पेश कर रही है। अगर एनडीए के सीट बंटावारे में यह सीट बीजेपी को मिलती है तो बीजेपी देवेश पर फिर से भरोसा जता सकती है। आरजेडी और कांग्रेस भी अभी तय नहीं कर पा रहे हैं कि किसके खाते में यह सीट जाएगी। प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी भी यहां अपना दावा ठोक रही है।

2020 का चुनाव कैसा था?

साल 2020 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी देवेश कांत सिंह चुने गए थे। उन्हें कुल 92,350 वोट पड़े थे। उन्होंने आरजेडी उम्मीदवार नूतन देवी को करारी हार दी थी। उन्हें कुल 75,990 वोट पड़े थे। कभी बीजेपी यहां से जीतती रही, कभी आरजेडी। 

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सीट का इतिहास

गोरियाकोठी विधानसभा 1967 से अस्तित्व में है लेकिन साल 2008 में इस विधानसभा में परिसीमन हुआ था। 2010 में चुनाव हुए। पुनर्गठन से पहले यहां 11 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। कांग्रेस पार्टी ने यहां से 4 बार जीत दर्ज की, जेडीयू और आरजेडी को भी 2-2 बार जीत मिली है।   

 

  • 1967 विधानसभा चुनाव: कृष्ण कांत सिंह, कांग्रेस
  • 1969 विधानसभा चुनाव: कृष्ण कांत सिंह, कांग्रेस
  • 1972 विधानसभा चुनाव: महामाया प्रसाद, कांग्रेस
  • 1977 विधानसभा चुनाव: कृष्ण कांत सिंह, कांग्रेस
  • 1980 विधानसभा चुनाव: अजीत कुमार सिंह, कांग्रेस
  • 1985 विधानसभा चुनाव: इंद्र देव प्रसाद, बीजेपी
  • 1990 विधानसभा चुनाव: अजीत कुमार सिंह, जनता दल
  • 1995 विधानसभा चुनाव: इंद्र देव प्रसाद, जनता दल
  • 2000 विधानसभा चुनाव: इंद्र देव प्रसाद, आरजेडी
  • 2005 विधानसभा चुनाव (फरवरी): भूमेंद्र नारायण सिंह, बीजेपी
  • 2005 विधानसभा चुनाव (अक्टूबर): इंद्र देव प्रसाद, आरजेडी
  • 2010 विधानसभा चुनाव: भूमेंद्र नारायण सिंह, बीजेपी
  • 2015 विधानसभा चुनाव: सत्यदेव प्रसाद सिंह, आरजेडी
  • 2020 विधानसभा चुनाव: देवेश कांत सिंह, बीजेपी