भारतीय लोकतंत्र भी बेहद दिलचस्प है। यहां के लोकतांत्रिक समीकरणों में कोई भी स्थिति असंभव नहीं लगती। जिस पार्टी के पास सबसे कम विधायक हो, वही सबसे मजबूत पार्टी साबित हो जाती है। बिहार से लेकर महाराष्ट्र तक, ऐसे ही हालात हैं। इन राज्यों में जिस पार्टी की सरकार है, उसके पास कम से कम कुछ विधायक तो हैं, इसी देश में ऐसा भी हुआ है कि निर्दलीय विधायक भी मुख्यमंत्री बन गया है। भले ही वह पहली और आखिरी बार हुआ हो।

अगर आपको ये नहीं पता है तो चलिए आपका परिचय कराते हैं मधु कोड़ा से। मधु कोड़ा, झारखंड के चौथे मुख्यमंत्री, जो जब मुख्यमंत्री बने तो उनके पास एक भी विधायक नहीं थे, वे खुद निर्दलीय विधायक थे, विधानसभा भंग होने से रोकने के लिए वे चमत्कारिक रूप से सत्ता तक पहुंचे। कैसे वे मुख्यमंत्री बने, ये किस्सा भी बेहद मजेदार है।

BJP से मांग रहे थे टिकट, लड़ा पड़ा निर्दल चुनाव
साल था 2005। राज्य में विधानसभा चुनाव हो रहे थे। मधु कोड़ा ने भारतीय जनता पार्टी से टिकट मांगा। पार्टी ने उन्हें टिकट देने से मना कर दिया। वे निर्दलीय ही सीधे चुनावी समर में कूद पड़े। जगन्नाथपुर विधानसभा सीट से उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी मंगल सिंह सिंकू को करीब 10000 वोटों से हरा दिया। 

गिरा दी थी अर्जुन मुंडा की सरकार
मधु कोड़ा ने अर्जुन मुंडा के नेतृत्व में बनी बीजेपी सरकार को समर्थन दे दिया। अर्जुन मुंडा 12 मार्च 2005 से लेकर 19 सितंबर 2006 तक मुख्यमंत्री रहे। उन्हें इस दौरान राज्य सरकार में एक मंत्रालय भी दिया गया। सितंबर 2006 में मधु कोड़ा और तीन अन्य निर्दलीय विधायकों ने तत्कालीन अर्जुन मुंडा सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया। अब बीजेपी सरकार तो अल्पमत में आ गई। अर्जुन मुंडा को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा। 

जुगाड़ से बन गए थे मुख्यमंत्री
तत्कालीन यूपीए गठबंधन ने यह तय किया कि अब मुख्यमंत्री पद सीधे मधु कोड़ा को ही दे देते हैं। उन्हीं के समर्थन में 3 अन्य विधायक हैं। झारखंड का नंबर गेम पूरा हो जाता है और वे सत्ता में आ जाते हैं। मधु कोड़ा 18 सितंबर 2006 को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते हैं। उनकी सरकार, 27 अगस्त 2008 तक चलती है। उन्हें झारखंड मुक्ति मोर्चा, राष्ट्रीय जनता दल, JM ग्रुप, नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी, कांग्रेस, ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक और 3 निर्दलीय विधायकों का समर्थन मिलता है। 

शिबू सोरेन की वजह से देना पड़ा इस्तीफा, फिर तरस गए
12 अगस्त 2008 को शिबू सोरेन, मधु कोड़ा पर दबाव बनाते हैं कि वे इस्तीफा दें क्योंकि वे खुद मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं। 17 अगस्त 2017 को जेएमएम अपना समर्थन वापस खींच लेती है। मधु कोड़ा 23 अगस्त 2008 को राज्य के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे देते हैं। एक सामान्य विधायक से मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचने का खूबसूरत सफर, यहीं खत्म हो जाता है।