23 नवंबर को झारखंड के नतीजे आने वाले हैं। शनिवार को इस बात का फैसला हो जाएगा कि किसके मुद्दे चले और किसके नहीं चले। चंपई सोरेन को लोगों ने कितना स्वीकार किया और कितना नहीं किया. कल्पना सोरेन की मेहनत कितनी रंग लाई.
बांग्लादेश घुसपैठिए का मुद्दा होगा स्पष्ट
शनिवार शाम तक इस बात का फैसला हो जाएगा कि बीजेपी का बांग्लादेशी घुसपैठिए के मुद्दे पर लोगों ने विश्वास किया या कि खारिज किया. जिस दिन से हेमंत विस्वा सरमा झारखंड में चुनावी को-इंचार्ज के रूप में पहुंचे उसी दिन से उन्होंने संथाल परगना में बांग्लादेश घुसपैठियों का मुद्दा उठाना शुरू कर दिया। उनका कहना था कि बांग्लादेशी घुसपैठिए यहां आकर आदिवासी महिलाओं से विवाह करते हैं इसके बाद उनकी ज़मीनों पर कब्ज़ा कर लेते हैं।
हालांकि जेएमएम ने इसका खंडन करते हुए केंद्र सरकार को ही घेरने की कोशिश की. उसका कहना था कि अगर घुसपैठिए की समस्या है तो केंद्र सरकार क्या कर रही है. बॉर्डर पर सुरक्षा का काम केंद्र सरकार का काम है. इसके अलावा वह सरकार के एफिडेविट का भी हवाला देते हुए, इस बात को खारिज करते हैं।
खैर, संथाल परगना में कुल 6 जिले हैं, और 7 सीटें एसटी के लिए रिजर्व हैं।
जनजातियों किसके पाले में
झारखंड में आदिवासियों की करीब 26 फीसदी जनसंख्या है और 28 अनुसूचित जनजातियों के लिए रिज़र्व सीटें हैं. जो कि झारखंड की कुल सीटों का एक तिहाई है.
पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी को आदिवासी क्षेत्रों में अपेक्षित समर्थन नहीं मिला था, जबकि इंडिया ब्लॉक ने सारी की सारी एसटी सीटें जीत लीं. पिछले विधानसभा चुनाव में भी दो सीटों को छोड़कर उन्हें सभी सीटों पर जीत मिली थी.
हालांकि, इस बार विधानसभा चुनाव के पहले बीजेपी ने आदिवासियों को रिझाने के लिए कई कदम उठाए हैं. केंद्र सरकार ने बिरसा मुंडा के जन्म दिवस को जनजातीय गौरव दिवस घोषित किया और इसके अलावा पीएम मोदी ने 24 हजार करोड़ का विशेष रूप से कमजोर आदिवासी समुदाय के लिए योजना शुरू की.
क्या कल्पना सोरेन का चला जादू
हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद कल्पना सोरेन ने जेएमएम की कमान संभाली. उसके बाद उन्होंने अपने चुनाव प्रचार के दौरान अपने को पीड़ित दिखाने की कोशिश की और महिलाओं को अपनी ओर खींचने का भरसक प्रयास किया. झारखंड में महिला वोटर लगभग 1.26 करोड़ हैं. लेकिन सवाल यह है कि क्या यह वोट में परिवर्तित हो पाएगा.
महिलाओं के लिए जेएमएम ने महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश की तर्ज पर 'मइयां सम्मान योजना' शुरू की, जिसके तहत 18 से 50 साल की वंचित वर्ग की महिलाओं को 2500 रुपये दिए जाते थे. इसका चेहरा मुख्य रूप से कल्पना सोरेन को बनाया गया.
लेकिन बीजेपी ने भी इसकी काट निकालने के लिए 'गोगो दीदी योजना' शुरू करने की घोषणा की जिसके तहत उसने योग्य महिलाओं कोै 2100 रुपये देने का वादा किया.
अब नतीजे ही बताएंगे कि महिलाओं ने किसके ऊपर भरोसा किया.
कई बडे़ चेहरों की साख दांव पर
कई बड़े चेहरों की साख दांव पर है. इनमें झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन (बरहेट), कल्पना सोरेन गांडेय से, पूर्व सीएम मधु कोड़ा की पत्नी और पूर्व सांसद गीता जगन्नाथपुर से, अर्जुन मुंडा की पत्नी मीरा पोटका से, पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन सरायकेला से, उनके बेटे बाबूलाल घाटशिला से और ओडिशा के गवर्नर रघुबर दास की बेटी पूर्णिमा साहू जमशेदपुर ईस्ट से चुनाव लड़ रही हैं.
जेकेएलएम का क्या होगा
इसके अलावा एक बहुत महत्त्वपूर्ण फैक्टर है कि जेकेएलएम कैसा परफॉर्म करती है. 'झारखंड का लड़का' के रूप में मशहूर टाइगर जयराम महतो कुडमी ओबीसी समुदाय से आते हैं. उनके समुदाय के कुल 15 फीसदी वोटर हैं. अगर उनका वोट महतो के पक्ष में एकजुट हो जाता है तो यह बीजेपी के लिए काफी नुकसानदायक भी हो सकता है, क्योंकि पारंपरिक रूप से उनका वोट बीजेपी को ही मिलता रहा है.
हालांकि, जिस तरह से जेकेएलएम ने 71 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं वह थोड़ा बहुत जेएमएम को भी नुकसान पहुंचा सकता है.