आम आदमी पार्टी के मुखिया और दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल चुनाव से पहले लगभग हर दूसरे दिन एक ऐलान कर रहे हैं। इसी क्रम में अरविंद केजरीवाल ने ऐलान किया है कि दिल्ली के मंदिरों में पूजा करने वाले पुजारी और गुरुद्वारे में सेवा करने वाले ग्रंथियों को हर महीने 18 हजार रुपये दिए जाएंगे। यह ऐलान कमोबेश वैसा ही है जैसा कि इमामों के लिए किया गया था। दूसरी तरफ, वक्फ बोर्ड के अंतर्गत आने वाले इमाम लगातार कोशिश कर रहे हैं कि वे अरविंद केजरीवाल से मिल सकें। इन इमामों की शिकायत है कि पिछले 17 महीने से उन्हें सैलरी ही नहीं मिली है। अरविंद केजरीवाल के इस ऐलान को राजनीति से भी जोड़कर देखा जा रहा है क्योंकि इमामों को सैलरी का मुद्दा सामने आने के बाद उनकी आलोचना की जा रही थी कि सिर्फ इमामों को ही सैलरी क्यों दी जाती है?
 
अरविंद केजरीवाल के मुताबिक, इसे पुजारी ग्रंथी सम्मान योजना कहा जाएगा। योजना का ऐलान करते हुए अरविंद केजरीवाल ने कहा, 'यह योजना उनके लिए है जिनका समाज के प्रति बड़ा योगदान होता है लेकिन कभी किसी पार्टी या सरकार ने उनकी तरफ ध्यान नहीं दिया। इसके तहत मंदिर के पुजारियों और गुरुद्वारे के ग्रंथियों को हर महीने 18 हजार रुपये की सम्मान राशि दी जाएगी। शादी हो, बच्चे का जन्मदिन हो, सुख का मौका हो या कोई दुख का मौका हो, यही पुजारी ही काम आते हैं। इनको सम्मान राशि दी जाएगी। यह देश में पहली बार हो रहा है, जैसा कि दिल्ली में हमने कई काम पहली बार ही किए। मैं उम्मीद करता हूं कि बीजेपी और कांग्रेस की सरकारें भी इससे सीखकर अपने-अपने राज्यों में इसकी शुरुआत करेंगी।'

कब से होगी शुरुआत?

 

उन्होंने आगे कहा, 'इस योजना की शुरुआत कल से होगी। मैं खुद कनॉट प्लेस के हनुमान मंदिर जाऊंगा और वहां के पुजारियों का रजिस्ट्रेशन करके आऊंगा। इसके बाद हमारे कार्यकर्ता और नेता पूरी दिल्ली के मंदिरों और गुरुद्वारा में जाकर रजिस्ट्रेशन करेंगे। मैं बीजेपी के लोगों से हाथ जोड़कर अपील करूंगा कि जैसे उन्होंने महिला सम्मान योजना में किया कि पुलिस भेजकर रोकने की कोशिश की लेकिन रोक नहीं पाए, वह ऐसा न करें। इस योजना को रोकने की कोशिश न करें, बहुत पाप लगेगा। उन्होंने ऐसे-ऐसे कर्म कर रखे हैं कि पाप तो उन्हें लगेगा ही लेकिन इससे और लगेगा।'

 

दरअसल, इमामों की सैलरी का मुद्दा चर्चा में आने के बाद से ही बीजेपी से जुड़े लोग सोशल मीडिया पर सवाल उठा रहे थे। बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रेम शुक्ल X पर लिखते हैं, 'वोट के लिए इमामों को केजरीवाल ने 18 हजार रुपए वेतन दिया था और मंदिरों के पुजारियों को कुछ भी नहीं। आज 18 हजार रूपये सैलरी लेने वाले इमाम 21 हजार रुपए प्रति माह की डिमांड कर रहे हैं। सेक्युलरिज्म का मतलब है मंदिरों की लूट, इमामों को भत्ता और बदले में उनका वोट।'


इमामों का क्या हुआ?

 

इमामों की बकाया सैलरी को लेकर ऑल इंडिया इमाम असोसिएशन के चेयरमैन साजिद रशीदी ने कहा, '17 महीने हो गए, एक दिन बाद 18 महीने हो जाएंगे। हमारी तनख्वाह नहीं मिली है, हम पिछले 6 महीने से प्रयास कर रहे हैं। हम सबसे मिल चुके हैं, परेशान होकर हम यहां आए हैं ताकि अरविंद केजरीवाल से पूछ सकें कि भाई आपकी पार्टी, आपकी सरकार हमें सैलरी क्यों नहीं दे रही है। हम गुरुवार को भी आए थे, हमें आश्वासन दे दिया कि आप शनिवार को आ जाओ मुलाकात हो जाएगी। शनिवार को भी मुलाकात नहीं हो पाए। आज फिर आए हैं। अगर अब भी ये लोग मुलाकात नहीं करेंगे तो हम लोग यहीं धरने पर बैठ जाएंगे और जब तक सैलरी नहीं मिलेगी तब तक नहीं उठेंगे।'

 

 

उन्होंने आगे कहा, 'केजरीवाल आकर कैमरे के सामने बोल दें कि उन्होंने सैलरी दे रखी है। हम मान जाएंगे। यही तो हम चाह रहे हैं कि वह बोल दें। हमने सीएम आतिशी से मुलाकात की थी तो उन्होंने बोला था कि 4 दिन में हो जाएगा, 20 दिन हो गया लेकिन पैसे नहीं मिले।'

 

दरअसल, पहले इमामों को सैलरी वक्फ की आमदनी से दी जाती थी लेकिन 2018 में वक्फ बोर्ड ने इस सैलरी को ग्रांट पर डाल दिया। यानी ग्रांट होगा तभी पैसा दिया जाएगा। मौजूदा समय में 18 हजार रुपये सैलरी दिए जाने का प्रावधान है। लगभग 250 लोग ऐसे हैं जिनको पिछले डेढ़ साल से सैलरी ही नहीं मिली है।