बिहार की कोढ़ा विधानसभा-69 कटिहार जिले में आती है। पिछले चुनाव में यहां से बीजेपी ने जीत हासिल की। मगर आगामी चुनाव की बिसात सभी दल बिछाने में जुट चुके हैं। 1967 से अपने गठन के साथ यह विधानसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। लोकसभा के लिहाज से बात करें तो कोढ़ा विधानसभा सीट पूर्णिया लोकसभा का हिस्सा है। विधानसभा क्षेत्र में कोढ़ा और फलका सामुदायिक विकास खंड पड़ते हैं।
कोढ़ा एक कस्बाई प्रखंड है। यह राष्ट्रीय राजमार्ग 31 और 81 पर बसा है। इलाके में कोई बड़ा औद्योगिक केंद्र नहीं है। यहां अधिकांश लोग खेती से ही अपना जीवन यापन करते हैं। गंगा और कोसी का इलाका होने कारण मिट्टी उपजाऊ है। यहां जूट, मक्का गेहूं, धान और केला के अलावा मखाना की भी खेती होती है। कोढ़ा से कटिहार जिला मुख्यालय की दूरी लगभग 22 किमी है। पलायन, बेरोजगारी और बाढ़ यहां की प्रमुख समस्या हैं।
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मौजूदा समीकरण
2020 विधानसभा चुनाव में कोढ़ा सीट पर कुल 2,66,474 पंजीकृत मतदाता थे। इस सीट पर मुस्लिम मतदाताओं की आबादी लगभग 31.5 फीसद है। 12.9 फीसदी अनुसूचित जाति और 7.88 फीसदी अनुसूचित जनजाति के मतदाता हैं। कोढ़ा सीट पर हर सियासी दल जातिगत समीकरण के लिहाज से अपना चेहरा तय करती है। हार जीत में मुस्लिम मतदाताओं की भूमिका भी अहम होती है।
2020 चुनाव का रिजल्ट
पिछले विधानसभा चुनाव में कोढ़ा से कुल 12 प्रत्याशियों ने अपनी किस्मत आजमाई, लेकिन जीत भाजपा प्रत्याशी कविता देवी की हुई। कविता देवी को कुल 104,625 वोट मिले। उनके प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस उम्मीदवार पूनम पासवान को 75,682 मत मिले थे। कविता देवी ने 28,943 मतों से चुनाव जीता था। इन दो के अलावा कोई भी प्रत्याशी अपनी जमानत तक नहीं बचा पाया।
मौजूदा विधायक का परिचय
कोढ़ा विधानसभा सीट से विधायक कविता देवी ने पिछले चुनाव में मौजूदा विधायक रहीं पूनम कुमारी को हराया था। साल 2015 में पूनम कुमारी ने भाजपा के तत्कालीन विधायक महेश पासवान को पांच हजार से अधिक मतों से शिकस्त दी थी। वर्तमान विधायक कविता देवी के 2020 के चुनावी हलफनाम के मुताबिक उनके पास दो करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति है। हालांकि देनदारी कोई नहीं है। विधायक कविता देवी ने 1994 में कटिहार के केवी झा कॉलेज से 12वीं की परीक्षा उत्तीर्ण की थी। उनके खिलाफ कोई आपराधिक मामला नहीं दर्ज है।
विधानसभा सीट का इतिहास
कोढ़ा विधानसभा सीट से बिहार के मुख्यमंत्री रहे भोला पासवान शास्त्री ने लगातार तीन बार चुनाव जीता था। उनके अलावा समाजवादी नेता सीता राम दास भी यहां से जीत की हैट-ट्रिक लगा चुके हैं। विश्वनाथ ऋषि, महेश पासवान और सुनीता देवी दो-दो बार यहां से विधायक रहे। अगर दलवार बात करें तो कुल 14 विधानसभा चुनाव में सबसे अधिक सात बार कांग्रेस चुनाव जीत चुकी है। बीजेपी ने तीन और जनता दल ने दो बार यहां अपना परचम लहराया।
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वर्ष | विजेता | दल |
1667 | भोला पासवान शास्त्री | कांग्रेस |
1969 | भोला पासवान शास्त्री | लोकतांत्रिक कांग्रेस |
1972 | भोला पासवान शास्त्री | कांग्रेस |
1977 | सीता राम दास | जनता पार्टी |
1980 | विश्वनाथ ऋषि | कांग्रेस (आई) |
1885 | विश्वनाथ ऋषि | कांग्रेस |
1990 | सीता राम दास | जनता दल |
1995 | सीताराम दास | जनता दल |
2000 | महेश पासवान | बीजेपी |
2005 (फरवरी0 | सुनीता देवी | कांग्रेस |
2005 (नवंबर) | सुनीता देवी | कांग्रेस |
2010 | महेश पासवान | बीजेपी |
2015 | पूनम पासवान | कांग्रेस |
2020 | कविता देवी | बीजेपी |
नोट: आंकड़े भारत निर्वाचन आयोग