81 विधानसभा सीटें, 14 लोकसभा सीटें और 5 प्रमंडलों में बंटा सूबा झारखंड। 32 जनजातियों के दबदबे वाले इस प्रदेश में कुछ चेहरे हैं, जिनके इर्दगिर्द चुनावी राजनीति घूमती है। यहां की प्रमुख पार्टियों के नाम झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM), भारतीय जनता पार्टी (BJP), कांग्रेस और झारखंड विकास मोर्चा हैं। JMM और कांग्रेस सहयोगी गठबंधन इंडिया ब्लॉक का हिस्सा हैं। भारतीय जनता पार्टी के साथ एनडीए गठबंधन में ऑल झारखंड स्टूडेंट यूनियन नाम की एक पार्टी है। पुरानी पार्टी है जिसके नेता सुदेश कुमार महतो हैं। भारतीय जनता पार्टी ने बिहार की तरह इस राज्य में भी नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जनता दल यूनाइटेड (JDU) से गठबंधन किया है। आइए जानते हैं कि झारखंड की राजनीति के सबसे बड़े चेहरे कौन-कौन से हैं, जिनके बल पर विधानसभा चुनाव लड़ा जा रहा है।
1. शिबू सोरेन
शिबू सोरेन,झारखंड के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। वे झारखंड मुक्ति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और सबसे बड़े जननेता की उपाधि भी उनके ही पास है। राजनीतिक तौर पर वे अब सिर्फ बैठकों तक सीमित हैं, चुनावी सभाओं से दूर रहते हैं। उनके नाम पर ही जेएमएम राज्य की सबसे ताकतवर पार्टियों में से एक है। वे संथाल परगना से आते हैं और संथाली जनजाति की नब्ज को बेहतर समझते हैं। पहली बार 2 मार्च 2005 को वे मुख्यमंत्री बने थे, वह भी सिर्फ 10 दिन के लिए। दूसरी बार 27 अगस्त 2008 को वे मुख्यमंत्री बने 145 दिनों के लिए। तीसरी बार 20 दिसंबर 2009 को वे मुख्यमंत्री बने।यह आखिरी था। 1 जून 2010 को उनका कार्यकाल खत्म हो गया। वे जेल भी गए। उन पर नरसंहार और भ्रष्टाचार के गंभीर मुकदमे भी लदे। वे झारखंड की राजनीति के सबसे बड़े चेहरों में से एक हैं। किस इलाके में उनका दबदबा है, यह कहाना सही नहीं होगा। वे झारखंड के जनप्रिय नेता हैं, उनकी मौजूदगी ही जेएमएम की दशा और दिशा तय कर देती है। अलग झारखंड की मांग करने वाले नेताओं में से वे प्रमुख रहे हैं।
2. हेमंत सोरेन
हेमंत सोरेन, शिबू सोरेन के बेटे हैं। राजनीतिक विरासत, उन्हीं के पास है। वे झारखंड के मौजूदा मुख्यमंत्री भी हैं। भूमि घोटाले में हेमंत सोरेन, जेल जाकर लौटे हैं। उनकी पार्टी के पास बहुमत है, इस चुनाव में उनके साथ सहानुभूति भी है। हेमंत सोरेन पहली बार 13 जुलाई 2013 को मुख्यमंत्री बने थे। 1 साल 168 दिन सरकार चलाई थी। दूसरी बारवे 29 दिसंबर 2019 को मुख्यमंत्री बने। 4 साल 35 दिन तक मुख्यमंत्री बने रहे। ईडी की गिरफ्तारी से पहले उन्होंने इस्तीफा दिया, जेल गए और उनकी जगह चंपाई सोरेन मुख्यमंत्री बने। वे हेमंत सोरेन के परिवार से नहीं हैं। हेमंत सोरेन 31 जनवरी 2024 को गिरफ्तार हुए थे। 28 जून 2024 को वे जेल से रिहा होकर बाहर आए। उन्होंने चंपाई सोरेन को इस्तीफा देने के लिए कहा। हेमंत सोरेन ने फिर 4 जुलाई 2024 को फिर शपथ लिया। वे झारखंड के मौजूदा मुख्यमंत्री हैं।
3. चंपाई सोरेन
चंपाई सोरेन, झारखंड मुक्ति मोर्चा के सबसे बड़े नेताओं में एक रहे हैं। वे शिबू सोरेन के करीबी रहे हैं। हेमंत सोरेन ने 31 जनवरी 2024 को जेल जाने से ठीक पहले उन्हें झारखंड की सत्ता सौंप दी थी और मुख्यमंत्री बना दिया था। चंपाई सोरेन, सिर्फ 153 दिनों के लिए मुख्यमंत्री बने। 2 फरवरी 2024 को उन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, 4 जुलाई 2024 को उन्होंने इस्तीफा दे दिया। चंपाई इस्तीफा नहीं देना चाहते थे, उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था। उन्होंने इसे अपना अपमान बताया था। कई दिनों की जद्दोजहद के बाद 30 अगस्त को वे बीजेपी में शामिल हो गए। बीजेपी ने उन्हें संथाल परगना की जिम्मेदारी दी है। संथाली आदिवासी समुदाय में वे लोकप्रिय हैं। चंपाई सोरेन का दावा है कि बीजेपी सरकार में आई तो 2।87 लाख नियुक्तियां वे कराएंगे। यह ऐलान कई लोग कर चुके हैं। चंपाई सोरेन, कोल्हान टाइगर के नाम से भी जाने जाते हैं। कोल्हान प्रमंडल में करीब 14 सीटें पड़ती हैं। जुगसलाई, जगरनाथपुर, मनोहरपुर, चक्रधरपुर, ईचागढ़, जमशेदपुर पूर्वी, सरायकेला, जमशेदपुर पश्चिमी, पोटका, घाटशिला, चाईबासा, मझगांव, खरसावां। इन सीटों पर चंपाई सोरेन का दबदबा माना जाता है। उनकी विधानसभा सीट सरायकेला है, वे यहां से 6 बार चुने जा चुके हैं।
4. जयराम महतो
झारखंड लोकतांत्रिक क्रांति मोर्चा (JKLM) के अध्यक्ष हैं जयराम महतो। जयराम महतो की कुड़मी-महतो जाति पर तगड़ी पकड़ है। उनका दबदबा 12 से ज्यादा सीटों पर है। उनकी पकड़, छोटानागपुर और कोल्हान प्रमंडल की कुछ विधानसभा सीटों पर है। उनका मुकाबला, आजसू पार्टी से सीधे तौर पर है। उनका किसी पार्टी के साथ गठबंधन नहीं है। वे झारखंड में बांग्लादेशी मुसलमानों की घुसपैठ को बड़ा मुद्दा मानते हैं। रोजगार भी उनके लिए अहम मुद्दा है। वे पेशे से शिक्षक रहे हैं लेकिन अब पूरी तरह से राजनीति में हैं।
5. केशव महतो कमलेश
केशव महतो कमलेश झारखंड कांग्रेस के अध्यक्ष हैं। केशव महतो कांग्रेस पार्टी के दिग्गज नेताओं में से एक हैं। उनकी छवि साफ-सुथरे नेता के तौर पर है। उनके खिलाफ कोई आपराधिक केस नहीं दर्ज है। वे कुड़मी समुदाय से आते हैं। यह जाति झारखंड में बेहद प्रभावी है। रामगढ़, हजारीबाग, बोकारो और धनबाद जैसे इलाकों में कुड़वी वोटर निर्णायक भूमिका निभाते हैं। केशव, संगठन के नेता रहे हैं।
6. बाबूलाल मरांडी
बाबूलाल मरांडी बीजेपी के दिग्गज नेताओं में से एक हैं। वे झारखंड बीजेपी के अध्यक्ष भी हैं। बाबूलाल मरांडी, झारखंड के पहले मुख्यमंत्री भी रहे हैं। वे 15 नवंबर से लेकर 18 मार्च 2003 तक झारखंड के सीएम रहे। 2 साल 123 दिनों के लिए उन्होंने सत्ता संभाली। वे साफ-सुथरे नेता के तौर पर जाने जाते हैं। वे केंद्रीय मंत्री भी रहे हैं। उनका लंबा संसदीय इथिहास भी रहा है। वे 1998 के चुनाव में शिबू सोरेन तक को हरा चुके हैं। वे मरांडी जनजाति से आते हैं लेकिन आदिवासियों के बड़े नेता रहे हैं। संथाल क्षेत्र में उनकी मजबूत पकड़ है। भारतीय जनता पार्टी, इस बार का चुनाव उन्हीं के नेतृत्व में लड़ रही है। लोकसभा चुनावों में भी बाबूलाल मरांडी अपना जलवा दिखा चुके हैं। बीजेपी अपनी तरफ से बड़े चेहरे के तौर पर उन्हें ही आगे कर रही है।