राजनीति में एक हफ्ते का भी समय काफी लंबा होता है, लेकिन महाराष्ट्र में एक ऐसा प्रकरण है जो पिछले पांच साल से पुराना नहीं हुआ है और आज भी चर्चा का विषय बना हुआ है। साल 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद सरकार बनाने के लिए एनसीपी और बीजेपी नेताओं के बीच हुई गुप्त मीटिंग में मशहूर उद्योगपति गौतम अदाणी का नाम सामने आया है। पिछले दिनों एनसीपी नेता अजित पवार ने खुलासा किया था कि उस मीटिंग में अदाणी मौजूद थे। 

 

महाराष्ट्र की राजनीति में अब यह मामला तूल पकड़ चुका है। ऐसा नहीं है कि इससे पहले मीटिंग्स नहीं हुईं। मगर इस बैठक के बाद राज्य के जो समीकरण बने उसने महाराष्ट्र के साथ में राष्ट्रीय राजनीति को भी प्रभावित किया। उस मीटिंग के बाद महाराष्ट्र में पक्ष-विपक्ष के गठबंधनों को हिलाकर रख दिया, जिसके बाद नए दलों का निर्माण हुआ और अपने शीर्ष नेता से बगावत करके कुछ नेताओं ने उन्हें चुनौती पेश की।

बैठक में कौन था?

 

दरअसल, एक न्यूज बेबसाइट को दिए इंटरव्यू में एनसीपी प्रमुख और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने खुलासा किया है कि 2019 की हुई वो मीटिंग जिसमें गौतम अदाणी शामिल थे, शरद पवार की सहमति से हुई थी। मीटिंग में बीजेपी नेता अमित शाह, देवेंद्र फडणवीस, एनपीपी नेता शरद पवार, अजित पवार और प्रफुल पटेल शामिल थे। 

2019 का चुनावी रिजल्ट

 

बता दें कि पिछले विधानसभा चुनाव में महाराष्ट्र की 288 सीटों में से बीजेपी ने 105, शिवसेना 56 सीटें जीती थीं। उस समय बीजेपी-शिवसेना का गठबंधन था। वहीं, विपक्ष में रही कांग्रेस को 44 और एनसीपी को 54 सीटें मिली थीं। लेकिन मुख्यमंत्री के पद को लेकर हुए विवाद के बाद अविभाजित शिवसेना ने बीजेपी से गठबंधन तोड़ लिया। इसके बाद रातों-रात बीजेपी और एनसीपी ने गठबंधन करके सरकार बना ली।

 

उस समय पहली बार किसी राज्य सरकार का शपथ ग्रहण सुबह-सुबह एकदम भोर में हुआ था। बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने और एनसीपी के अजित पवार ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली। यह सरकार बमुश्किल 80 घंटे चली और अजित पवार बीजेपी से समर्थन वापस नेते हुए उपमुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।

अजित ने शरद पवार की बात मानी?

 

जब अजित पवार से पूछा गया कि 2019 के विधानसभा चुनावों के बाद उन्होंने बीजेपी का दामन क्यों थामा था? इसपर उन्होंने जवाब देते हुए कहा, 'मैं बस अपने नेता (शरद पवार) की बात का पालन कर रहा था। हर कोई जानता है कि बैठक कहां हुई थी, हर कोई वहां मौजूद था। मैं आपको फिर से बताता हूं। अमित शाह वहां थे, गौतम अदाणी वहां थे, प्रफुल्ल पटेल वहां थे, देवेंद्र फडणवीस वहां थे, अजित पवार वहां थे और पवार साहब (शरद पवार) वहां थे।'

 

अजित पवार ने शरद पवार के बारे में कहा कि पवार साहब एक ऐसे नेता हैं जिनके बारे में दुनिया में कोई नहीं जानता कि उनके मन में क्या है। न तो आंटी (पवार की पत्नी) और न ही (उनकी बेटी) सुप्रिया सुले बता सकती हैं। 

बयान से पलटे अजित पवार

 

हालांकि, बाद में अजित पवार समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए अपने उस बयान से पलट गए जिसमें उन्होंने दावा किया था कि 2019 के चुनाव बाद हुई मीटिंग में गौतम अदाणी शामिल थे। दूसरी ओर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सांसद राहुल गांधी ने महाराष्ट्र में अपनी एक चुनावी रैली में कहा, 'उनके नेता (अजित पवार) ने कहा है कि अदाणी जी बैठक में मौजूद थे... अदाणी राजनीतिक बैठक में क्यों बैठे थे? क्योंकि उन्हें धारावी चाहिए। इस सरकार ने अदाणी को 1 लाख करोड़ रुपये का मुनाफा पहुंचाया है।'

शरद पवार क्या बोले?

 

इस मीटिंग के बारे में जब शरद पवार से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि हां एनसीपी और बीजेपी नेताओं के बीच मुलाकात हुई थी, लेकिन दिल्ली में अदाणी के घर पर हुई थी। हालांकि अदाणी इस बैठक का हिस्सा नहीं थे, लेकिन बाद में उन्होंने सभी के लिए डिनर का आयोजन किया।

 

उन्होंने बीजेपी नेताओं के साथ मीटिंग करने का कारण बताते हुए कहा कि कई केसों का सामना कर रहे हमारे पार्टी के नेताओं ने मुझे बताया कि अगर एनसीपी महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए बीजेपी का समर्थन करती है तो केंद्र सरकार उन केसों को वापस ले लेगी। शरद पवार ने बीजेपी नेताओं के साथ अपनी बैठक को एक रणनीतिक 'गुगली' बताया, जो बीजेपी की सत्ता की भूख को दर्शाती है।

देवेंद्र फडणवीस के दावे

 

वहीं, इस बारे में महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और वरिष्ठ बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस ने स्वीकार करते हुए कहा कि जिस मीटिंग में गौतम अदाणी शामिल थे वो मीटिंग गौतम अदाणी के घर पर नहीं हुई थी। फडणवीस के मुताबिक, शरद पवार ने बुलाई थी, जिन्होंने उन्हें फोन करके कहा था कि वे नए गठबंधन की संभावनाओं की तलाश करने के लिए बीजेपी से हाथ मिलाने पर विचार कर सकते हैं।

मीटिंग की सच्चाई और राहुल के हमले

 

2019 की उस मीटिंग को लेकर अजित पवार, शरद पवार और देवेंद्र फडणवीस के दावे अलग-अलग हैं, इसकी सच्चाई जो भी हो लेकिन यह बैठक अब महाराष्ट्र की राजनीति में चर्चा का विषय बनी हुई है। वहीं, राहुल गांधी इस बैठक को लेकर बीजेपी और गौतम अदाणी पर सीधे हमले कर रहे हैं।