झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए में दो चरणों में वोटिंग होनी है, जिसमें पहले फेज के लिए मतदान 13 नवंबर और दूसरे फेज की वोटिंग महाराष्ट्र के साथ में 20 नवंबर को होगी। दोनों राज्यों के चुनावी नतीजे 23 नवंबर को आएंगे। हालांकि नए मुद्दों की कमी की वजह से प्रचार की धार जोर नहीं पकड़ पाई। 

 

दरअसल, चुनाव भले ही विधानसभा के हों, लेकिन राष्ट्रीय मुद्दे ही इन राज्यों में चर्चा में चल रहे हैं। दोनों राज्यों में एक तरफ बीजेपी के नेतृत्व में एनडीए है तो दूसरी तरफ कांग्रेस की अगुवाई वाला इंडिया गठबंधन है। दोनों गठबंधनों के बीच सीधी लड़ाई है। 

चुनावों में मुद्दे

 

चुनाव में नेताओं के भाषण अवैध घुसपैठ, तुष्टीकरण, धर्मांतरण, भ्रष्टाचार, महंगाई, संविधान खतरे में है- जैसे मुद्दों के आसपास घूम रहे हैं। इसी बीच झारखंड के पहले चरण की 43 सीटों के लिए प्रचार सोमवार को थम गया। राज्य में बुधवार को मतदान है।

बंटेंगे तो कटेंगे के ईर्द गिर्द नारे

 

लोकसभा चुनाव को बीचे 5 महीने बीत चुके हैं, लेकिन पांच महीने बाद भी नेताओं की जुबान पर विधानसभा के चुनावों में अगर कुछ नया है तो नारे हैं। आम चुनाव में झटके बाद भाजपा ने अपने वोटरों को एकजुट करने के लिए 'बंटेंगे तो कटेंगे', 'एक रहेंगे तो सेफ रहेंगे' जैसे नारे दिए हैं। वहीं, कांग्रेस और विपक्ष 'लड़ेंगे तो जीतेंगे' और 'जुड़ेंगे तो जीतेंगे' जैसे नारों से इनका जवाब दे रहा है। इन सबके बीच दोनों राज्यों में महिला सबके फोकस में हैं। लोकसभा चुनाव के बाद झारखंड की

 

लोकसभा चुनाव में बीजेपी को भारी नुकसान सहना पड़ा था और वह बहुमत के जादुई आंकड़े से दूर रह गई थी। इसलिए झटका लगने के बाद बीजेपी ने अपने और नए वोटरों के एकजुट करने के लिए 'बंटेंगे तो कटेंगे', 'एक रहेंगे तो सेफ रहेंगे', 'आदिवासी लड़कियों से शादी कर जमीन हड़पने वाले घुसपैठिए' जैसे नारे दिए हैं।  

कांग्रेस का जवाब

 

वहीं, कांग्रेस और विपक्ष बीजेपी को 'लड़ेंगे तो जीतेंगे' और 'जुड़ेंगे तो जीतेंगे' जैसे नारों से काउंटर कर रहा है। इन नारों के बीच में दोनों राज्यों में महिला सबके केंद्र में हैं। लोकसभा चुनाव के बाद झारखंड की

 

लोकसभा चुनाव के 6 महीने बाद इन चुनावों में कुछ नया है तो नारे हैं। आम चुनाव में झटके बाद भाजपा ने अपने वोटरों को एकजुट करने के लिए 'बंटेंगे तो कटेंगे', 'एक रहेंगे तो सेफ रहेंगे' जैसे नारे दिए हैं। वहीं, कांग्रेस और विपक्ष 'लड़ेंगे तो जीतेंगे' और 'जुड़ेंगे तो जीतेंगे' जैसे नारों से इनका जवाब दे रहा है। इन सबके बीच दोनों राज्यों में महिला सबके फोकस में हैं। लोकसभा चुनाव के बाद झारखंड की

शिंदे सरकार का वादा

 

महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में चल रही एनडीए सरकार लाडकी बहिन योजना में 1500 रुपये महीने दे रही है। हेमंत सोरेन सरकार मईया सम्मान योजना में महिलाओं को हर महीने 1000 रुपये दे रही है। दोनों राज्यों में दोनों पक्षों ने इसे बढ़ाने का भी वादा किया है। यानी महिलाओं को लुभाने के लिए पार्टियां खासा जोर लगाए हुए हैं।

 

बीजेपी की तरफ से अमित शाह, हिमंता बिस्वा सरमा, शिवराज सिंह चौहान समेत तमाम पार्टी नेता सोरेन सरकार में बांग्लादेशी घुसपैठ बढ़ने, भ्रष्टाचार, खनन घोटाला, माटी-बेटी और रोटी की सुरक्षा, घुसपैठियों द्वारा आदिवासियों की जमीन कब्जा करने आदि को मुद्दा बनाया है।  

महायुति पर गंभीर आरोप

 

वहीं, महाराष्ट्र में महायुति (बीजेपी- शिंदे शिवसेना, एनसीपी अजित पवार) उद्धव सरकार में मेट्रो-बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट अटकाने और अर्बन नक्सलवाद पर आक्रमक है। महाविकास अघाड़ी संविधान, महिला अत्याचार, महंगाई, महाराष्ट्र के उद्योग गुजरात ले जाने, आदाणी को धारावी प्रोजेक्ट, महिलाओं को 3000 रुपये देने का वादा जैसे मुद्दों को उठा रहे है।