महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महायुति के बैनर तले बीजेपी, शिवसेना और एनसीपी तो वहीं महाविकास अघाड़ी के बैनर तले कांग्रेस, शिवसेना (यूटीबी), एनसीपी (एसपी) चुनाव लड़ रही हैं। इन बड़ी पार्टियों ने जनता से बड़े-बड़े वादे किए हैं लेकिन सभी पार्टियां महिलाओं को टिकट देने में फिसड्डी हैं। 

 

इस बार के चुनाव में 97 विधानसभा क्षेत्रों में एक भी महिला उम्मीदवार नहीं है। महाराष्ट्र की 288 विधानसभा सीटों में से एक तिहाई पर कोई भी महिला उम्मीदवार नहीं है। राज्य में 4,120 उम्मीदवारों में से महज 359 महिलाएं चुनाव लड़ रही हैं, जो 10 फीसदी से भी कम है। इसने एक बार फिर से महिलाओं की राजनीति में प्रतिनिधित्व देने की बात पर पोल खोल दी है। 

दोनों गठबंधन से महज 55 महिलाओं को टिकट

 

यही नहीं महायुति और महाविकास अघाड़ी दोनों ने मिलकर 288 विधानसभा सीटों में से महज 55 महिलाओं को मैदान में उतारा है। महाविकास अघाड़ी से 29 और महायुति से 26 महिलाएं चुनाव लड़ रही हैं। इसके अलावा ज्यादातर महिलाएं निर्दलीय और मनसे और वंचित बहुजन अघाड़ी जैसी छोटी पार्टियों से मैदान में हैं।

महिला सशक्तीकरण पर चर्चा

 

यह निराशाजनक आंकड़ा तक है जब दोनों प्रमुख गठबंधनों द्वारा महिला सशक्तीकरण पर चर्चा, लड़की बहन जैसी योजनाओं की शुरूआत। संसद द्वारा पिछले साल लोकसभा और विधानसभा में एक तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित करने संबंधी कानून पारित करने के बाद है। 

महिलाओं से किए वादे

 

एक तरफ महाविकास अघाड़ी ने महालक्ष्मी योजना के तहत महिलाओं को 3000 रुपये प्रति माह की वित्तीय सहायता देने का एलान किया है। साथ ही महिलाओं को पूरे महाराष्ट्र में सरकारी बसों में मुफ्त परिवहन की सुविधा भी देगी। दूसरी तरफ महायुति ने लाडली बहन योजना की धनराशि 1500 रुपये से बढ़ाकर 2100 रुपये करने का वादा किया गया है। बावजूद इसके दोनों गठबंधन महिलाओं को सम्मानजनक सीटें नहीं दे पाए। 

पार्वती में सात महिलाएं मैदान में

 

हालांकि, पुणे जिले की पार्वती विधानसभा सीट एकमात्र ऐसा निर्वाचन क्षेत्र है जहां महिलाओं का अच्छा प्रतिनिधित्व दिखता है। यहां से सात महिलाएं मैदान में हैं। महाराष्ट्र के किसी भी निर्वाचन क्षेत्र में सबसे ज्यादा महिला उम्मीदवार भी यहीं हैं।