बिहार का किशनगंज जिला 14 जनवरी 1990 को अस्तित्व में आया। यह बिहार के सीमांचल क्षेत्र का अहम हिस्सा है। मुस्लिम बहुल इस इलाके में कांग्रेस और आरजेडी का दबदबा रहा है। पिछले चुनाव में ओवैसी की पार्टी ने सीमांचल की पांच विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की थी। जिले में कुल चार विधानसभा सीटे हैं। 11 नवंबर को बहादुरगंज, कोचाधामन, ठाकुरगंज और किशनगंज सीट पर वोटिंग होगी। कुल 1366 मतदान केंद्र बनाए गए हैं। 

 

पिछले चुनाव में चार में से दो विधानसभा सीट बहादुरगंज और कोचाधामन पर असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन ने जीत हासिल की थी। हालांकि कोचाधामन से चुनाव जीतने वाले मुहम्मद इजहार अस्फी ने 2022 में आरजेडी ज्वाइन कर ली है। किशनगंज की सभी विधानसभा सीटों पर मुस्लिम मतदाता बहुल हैं। यहां भाजपा के खिलाफ लामबंदी देखने को मिलती है। यही वजह है कि सीमांचल की अधिकांश मुस्लिम बहुल सीटों पर कांग्रेस और आरजेडी का दबदबा देखने को मिलता है। लेकिन पिछले चुनाव में ओवैसी की पार्टी ने पांच सीटों पर जीत हासिल करके सबको सकते में डाल दिया था।

 

किशनंगज जिला नेपाल सीमा से सटा है। इसके पश्चिम में अररिया, पूर्व में पश्चिम बंगाल है। पश्चिम में अररिया जिले की सीमा लगती है। पश्चिम बंगाल की 20 किमी चौड़ी पट्टी किशनगंज को बांग्लादेश से अलग करती है। किशनगंज को पहले कृष्‍णाकुंज के नाम से जाना जाता था। जन आंदोलन के बाद अलग जिला बनाया गया। उससे पहले किशनगंज पूर्णिया जिले का एक अनुमंडल था। 

राजनीतिक समीकरण

किशनगंज लोकसभा सीट में कुल छह विधानसभा सीटें आती हैं। किशनगंज जिले की बहादुरगंज, कोचाधामन, ठाकुरगंज और किशनगंज। इसके अलावा पूर्णिया जिले की अमौर और बैसी विधानसभा सीट। किशनगंज जिले में बीजेपी की पकड़ कुछ खास नहीं है। कांग्रेस और समाजवादी दलों का प्रभुत्व है। मुस्लिम बहुल क्षेत्र होने की वजह से पिछले चुनाव से ओवैसी ने अपनी सियासी धमक मजबूती से दिखाई है। मगर पांच में से उनके चार विधायक आरजेडी में शामिल हो चुके हैं। अगर किशनगंज लोकसभा सीट की बात करें तो कांग्रेस 9 बार जीत चुकी है। बीजेपी सिर्फ एक बार जीती है।  

 

विधानसभा चुनाव में भी किशनगंज की जनता ने बीजेपी के विरोधी दलों पर भरोसा जताया। बहादुरगंज विधानसभा सीट पर कांग्रेस का दबदबा रहा है। यहां बीजेपी सिर्फ एक बार 1995 में जीती। अवध बिहारी सिंह पहली बार बीजेपी की टिकट पर विधायक बने थे। कोचाधामन में अभी तक बीजेपी का खाता नहीं खुला। यही हाल किशनगंज सीट का रहा। ठाकुरगंज सीट पर 1985 में पहली और आखिरी बार बीजेपी जीती थी। किशनगंज की सभी विधानसभा सीटों पर कांग्रेस, आरजेडी और जेडीयू का दबदबा देखने को मिला। 

विधानसभा सीटें:

बहादुरगंज: पिछले चुनाव में पहली बार ओवैसी की पार्टी को जीत मिली। नेपाल सीमा से सटी इस विधानसभा सीट पर करीब 66 फीसद मुस्लिम मतदाता हैं। यहां का गंगई समाज परंपरागत बीजेपी के साथ रहता है, लेकिन उनकी इतनी संख्या नहीं है कि अपने दम पर उसे जीत दिला सके। विधानसभा चुनाव 2022 में ओवैसी की पार्टी ने मोहम्मद अंजार नईमी को उतारा था। उन्होंने विकासशील इंसान पार्टी के लखन लाल पंडित को हराया था। यहां 10 बार कांग्रेस और दो बार प्रजा सोशलिस्ट पार्टी (PSP) को कामयाबी मिली। भाजपा, जनता पार्टी, जनता दल, निर्दलीय और एआईएमआईएम ने एक-एक जीत हासिल की। आरजेडी अभी तक कोई चुनाव नहीं जीती है।

 

ठाकुरगंज: 1952 में पहला चुनाव हुआ। कांग्रेस को जीत मिली। राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के नेता सौद आलम मौजूदा विधायक हैं। बीजेपी की टिकट पर साल 1995 में सिकंदर सिंह ने पहली बार जीत हासिल की। तब से बीजेपी को अपनी दूसरी जीत का इंतजार है। ठाकुरगंज सीट पर कांग्रेस का हमेशा दबदबा देखने को मिला है। यहां से समाजवादी पार्टी, आरजेडी, जेडीयू, जनता पार्टी, एलजेपी और बीजेपी एक-एक बार चुनाव जीत चुकी हैं।

 

किशनगंज: किशनगंज विधानसभा सीट पर मौजूदा समय में कांग्रेस के इजहारुल हुसैन का कब्जा है। विधानसभा सीट का गठन साल 1952 में हुआ था। कांग्रेस सबसे अधिक नौ बार जीती है। 2005 में जेडीयू की टिकट पर रेणु कुमारी ने दो बार चुनाव जीतने में सफल रहीं। जनता दल को दो बार और जनता पार्टी, लोकदल, आरजेडी और प्रजा सोशलिस्ट पार्टी को एक-एक बार जीती मिली है। 

 

कोचाधामन: यह सीट 2008 में परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई। पहली बार 2010 में विधानसभा चुनाव हुआ। आरजेडी के अख्तारुल ईमान ने जीत हासिल की। 2015 में जेडीयू के टिकट पर मुजाहिद आलम जीते। पिछले चुनाव में एआईएमआईएम के प्रत्याशी मुहम्मद इजहार असफी विधायक बने। 2022 में पाला बदलकर आरजेडी ज्वाइन कर ली। 

जिले का प्रोफाइल

किशनगंज जिले का करीब 1,884 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल है। 2011 की जनगणना के मुताबिक 169,948 आबादी है। यहां हर एक हजार पुरुषों में 946 महिलाएं हैं। जिले की साक्षरता दर 57.04% है। जिले में सात प्रखंड, 125 पंचायतें और 802 गांव हैं। चार नगर पालिकाएं हैं। आईएएस विशाल राज यहां के जिला अधिकारी हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की टिकट पर मोहम्मद जावेद ने दूसरी बार जीत हासिल करके सांसद बने हैं।

 

कुल विधानसभा सीटें: 04

आरजेडी: 02

एआईएमआईएम: 01, अब आरजेडी में

कांग्रेस: 01