25 दिसंबर यानी क्रिसमस डे के मौके पर ईस्ट किदवई नगर के पास की लाल क्वार्टर कॉलोनी में लगभग उतनी ही शांति है जितनी दिल्ली की रिहायशी कॉलोनियों में किसी आम दोपहर में होती है। घर के बाहर कुछ महिलाएं धूप सेंकती दिखीं। यह वही लाल क्वार्टर कॉलोनी है जहां दो दिन पहले आम आदमी पार्टी (AAP) के मुखिया अरविंद केजरीवाल और दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी 'महिला सम्मान योजना' की शुरुआत करने पहुंची थीं। केजरीवाल ने अपने हाथों से कुछ महिलाओं का रजिस्ट्रेशन करवाया और उन्हें कार्ड भी दिए थे। इसी मौके पर अरविंद केजरीवाल ने यहां की महिलाओं को भरोसा दिलाया था कि उन्हें जल्द ही 1000 रुपये मिलेंगे और चुनाव के बाद इस राशि को बढ़ाकर 2100 रुपये कर दिया जाएगा। यह सब होने के ठीक 2 दिन बाद ही दिल्ली सरकार के दो विभागों की ओर से जारी किए गए नोटिस ने खलबली मचा दी है। इन नोटिस के अखबारों में छपने के बाद AAP और भारतीय जनता पार्टी (BJP) आमने-सामने हैं और इस योजना को लेकर बहस होने लगी है।
इन विज्ञापन रूपी नोटिस में कहा गया कि 'संजीवनी योजना' या 'मुख्यमंत्री महिला सम्मान योजना' नाम की किसी योजना को अब तक मंजूरी ही नहीं दी गई है। AAP ने आरोप लगाए कि बीजेपी बौखला गई है और उसी के इशारे पर यह सब किया जा रहा है। वहीं, BJP ने आम आदमी पार्टी को घेरना शुरू कर दिया कि वह झूठे वादे कर रही है। AAP के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहा भी कि उन्होंने तो यही कहा है कि यह चुनावी वादा है और अगर सरकार बनती है तो इन वादों को पूरा भी किया जाएगा।
इन वादों पर जनता क्या सोचती है? यही जानने के लिए खबरगांव की टीम ने उस लाल क्वार्टर का दौरा किया जहां से अरविंद केजरीवाल की इस योजना की शुरुआत की। सबसे पहले यहां मिलीं संगीता (बदला हुआ नाम) ने बताया कि उनसे उनके कार्ड की डिटेल ली गई थी, एक मिसकॉल करवाया गया था और कोड आने के बाद फोन करके बताया गया कि आपका रजिस्ट्रेशन पूरा हो चुका है और अब भविष्य में आपको पैसे मिलेंगे। संगीता के अलावा जो अन्य महिलाएं मिलीं उन्होंने भी लगभग यही प्रोसेस बताया। 23 दिसंबर को योजना लॉन्च करने के मौके पर अरविंद केजरीवाल ने भी कैमरे के सामने लगभग यही एक्सरसाइज की थी।
'योजना बनी ही नहीं' पर क्या बोले लोग?
लाल क्वार्टर ईस्ट किदवई नगर इलाके में बनी 40 घरों की कॉलोनी है। यह क्षेत्र नई दिल्ली विधानसभा क्षेत्र में ही आता है जहां से अरविंद केजरीवाल लगातार 3 बार चुनाव जीत चुके हैं और चौथी बार मैदान में हैं। हमने यहां के लोगों से आज के विज्ञापन के बारे में पूछा तो उनका कहना था कि उन्हें इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है। कुछ महिलाओं ने शिकायत भी की कि कुछ लोगों को पीले कार्ड (महिला सम्मान योजना) मिल गए हैं लेकिन उन्हें नहीं मिला है। जिन्हें कार्ड मिले भी हैं, उन्हें भी आज के अखबारों में छपे विज्ञापनों और इस पर हो रही राजनीति पर ज्यादा जानकारी नहीं थी।

धूप में चारपाई बिछाकर बैठी तीन महिलाओं ने कहा, 'हमें कार्ड तो नहीं मिला, योजना के बारे में ज्यादा पता भी नहीं है लेकिन इतना भरोसा है कि सरकार बनी तो केजरीवाल पैसे जरूर देगा। हम यहां पिछले 15-20 साल से रह रहे हैं, पहले भी सरकारें देखी हैं लेकिन केजरीवाल ने जो वादे किए थे, उनको पूरा किया है। हमारे यहां कूड़े वाली गाड़ियां रोज आ रही हैं, बिजली-पानी ठीक है। अस्पताल में आराम से इलाज हो जाता है, इससे ज्यादा क्या ही चाहिए।'
बगल में परचून की दुकान चलाने वाले एक परिवार ने बताया, 'हमारी माताजी को पेंशन मिलती है इसलिए हम तो लाभार्थी नहीं हो सकते लेकिन केजरीवाल की योजनाओं का लाभ हमें मिला है।' इसी परिवार की एक लड़की ने कहा कि वह 10 दिन अस्पताल में भर्ती रही, प्राइवेट अस्पताल जैसी सुविधाएं मिलीं लेकिन पैसा नहीं देना पड़ा। इस परिवार के लोगों ने भी भरोसा जताया कि बिजली, पानी, शिक्षा और स्वास्थ्य से जुड़े वादों को पूरा होते देख उन्हें भरोसा है कि यह वादा भी पूरा होगा।
झुग्गी बस्ती वालों को केजरीवाल का इंतजार
सड़क पार करते ही बारापुला फ्लाइओवर के नीचे बहते नाले से सटकर बसी हुई झुग्गी बस्तियों में रहने वाले लोगों की एक नाराजगी है कि अरविंद केजरीवाल लाल क्वार्टर आए लेकिन उनसे नहीं मिली। इन झुग्गियों में बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और ओडिशा जैसे राज्यों से आए गरीब लोग रहते हैं। यहां बिजली का इंतजाम दिल्ली सरकार की ओर से किया गया है। पानी भी आता है और इन लोगों के वोटर आईडी भी बने हैं। हालांकि, लाल क्वार्टर में आए केजरीवाल ने इन इन लोगों को न तो रजिस्ट्रेशन वाली पर्ची दी और न ही अब तक कोई और आया है जो यह पूछे कि रजिस्ट्रेशन कराना है या नहीं।

इन्हीं झुग्गियों में अंदर जाने पर अलग-अलग पार्टियों के स्टिकर भी लगे मिले। लोगों ने अलग-अलग पार्टियों को समर्थन करने की बात भी कही। एक बात सबने एक स्वर में कही कि केजरीवाल यहां नहीं आए।
क्या है लाल क्वार्टर की कहानी?
ईस्ट किदवई नगर रिहाउंस प्लान जो 1960 में बना था उसके तहत इस इलाके में कई घर बने। झुग्गी बस्तियों का अनधिकृत कॉलोनियों में रहने वाले लोगों को भी घर दिए गए। कुल 40 बने जो फ्रीहोल्ड हैं। इसमें से 7 नई दिल्ली नगरपालिका के हैं। यानी इन घरों को या तो इन लोगों ने विरासत में पाया है या उनसे खरीदा है जिनके ये घर हुआ करते थे। बारापुला से उतरने के लिए बने रास्ते से जैसे ही आप नीचे आएंगे 'लाल क्वार्टर रेजिडेंट वेलफेयर असोसिएशन' का बोर्ड लगा हुआ मिलेगा।
हुआ कुछ यूं कि जब ईस्ट किदवई नगर के पुनर्विकास का प्लान बन तो सरकार ने यह ध्यान ही नहीं दिया कि इन घरों के मालिकों से यह जमीन खरीदनी होगी। भूमि अधिग्रहण के जरिए अगर इन घरों को लिया जाता तो लगभग 250 करोड़ रुपये चुकाने पड़ते। यहां के लोग बताते हैं कि उन्हें यहां से हटाने के लिए कई पैंतरे चले गए जिससे परेशान होकर लोगों ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। भारत सरकार बनाम लाल क्वार्टर रेजिडेंट वेलफेयर असोसिएशन केस की पहली सुनवाई में ही कोर्ट ने आदेश दिया कि जबरदस्ती वाला कोई कदम नहीं उठाया जाएगा।
ईस्ट किदवई नगर का रिडेवलपमेंट करने वाली कंपनी NBCC ने प्रस्ताव भी रखा कि इन लोगों को नए प्रोजेक्ट में घर दे दिए जाएंगे लेकिन लोगों ने इसे स्वीकार नहीं किया। 2015 में NBCC को अनुमति मिल गई कि वह इस लाल क्वार्टर की बाउंड्री के बाहर अपना काम शुरू कर सकती है। 2018 में NBCC लिखित वादा किया कि जब यह प्रोजेक्ट पूरा हो जाएगा तब दो चौड़ी सड़कें इस कॉलोनी के गेट तक बनाई जाएंगी। इस वादे के बाद ही हाई कोर्ट ने केस को खारिज किया। 2018 में कोर्ट का फैसला आया और लाल क्वार्टर के लोगों को अनुमति मिल गई कि वे अपने घरों को बरकरार रख सकते हैं।