2020 में AAP का वादा- यमुना को साफ करेंगे
यमुना नदी दिल्ली के लोगों के लिए काफी महत्त्वपूर्ण है लेकिन यह मर रही है। हम इस बात को सुनिश्चित करेंगे कि 100 प्रतिशत सीवेज कलेक्शन के साथ उसका ट्रीटमेंट भी किया जाए। ऐसा सीवेज ट्रीटमेंट के बड़े नेटवर्क के साथ किया जाएगा। बिना ट्रीट किए गए पानी और औद्योगिक कचरे को यमुना में जाने से रोका जाएगा।
यमुना नदी को पुनर्जीवित करने के साथ-साथ, हम केंद्र सरकार के साथ मिलकर यमुना पर एक सुंदर रिवर-साइड का विकास करेंगे। यह यमुना इको-सिस्टम को बनाए रखने और दिल्ली के लिए एक नया पर्यटन स्थल बनाने में बड़ी भूमिका निभाएगा।
अब तक क्या हुआ
यमुना की सफाई को लेकर अब तक जो भी कदम उठाए गए हैं, उनका नतीजा नहीं दिख रहा है। वादे तो तमाम किए गए लेकिन धरातल पर उसका असर नहीं दिखा है या कहें कि अब तक सिर्फ बयानबाजी हुई। यमुना की सफाई के लिए वीडियो जारी करके केजरीवाल ने कहा था कि 2025 तक पूरी तरह से यमुना को साफ कर लिया जाएगा। उन्होंने कहा था कि जो भी सीवर ट्रीटमेंट प्लांट हैं उनकी क्षमता को बढ़ाया जाएगा और कुछ नए ट्रीटमेंट प्लांट भी लगाए जाएंगे।
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इसके अलावा उन्होंने कहा था कि जो भी नाले यमुना में गिरते हैं उन्हें साफ किया जाएगा और सीवर ट्रीटमेंट प्लांट के लिए नई टेक्नॉलजी का भी प्रयोग किया जाएगा। अब खुद अरविंद केजरीवाल स्वीकार कर रहे हैं कि वह यमुना नदी को साफ नहीं कर पाए।
अरविंद केजरीवाल की AAP के 2015 और 2020 के मैनिफेस्टो में वादा किया गया था कि यमुना को साफ कर देंगे और उसमें किसी भी तरह से बिना ट्रीट किए हुए पानी को जाने से रोकेंगे लेकिन अब तक ऐसा नहीं हो पाया है। पिछले साल यमुना में गंदगी इस कदर थी कि यह मीडिया में सुर्खियां बनी रही।
साल 2021 में दिल्ली के जल मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा कि आम आदमी पार्टी हरियाणा और यूपी से आने वाली 15.5 करोड़ गैलन पानी रोजाना ट्रीट करने की योजना बना रही है लेकिन इस वक्त केजरीवाल खुद इस बात को कह रहे हैं कि वह यमुना को साफ नहीं कर पाए।
केजरीवाल ने क्या दी सफाई
केजरीवाल ने एक पॉडकास्ट इंटरव्यू में कहा, 'वजीराबाद के पास जब दिल्ली में प्रवेश करती है यमुना तो वहां से समस्या शुरू होती है। दिल्ली सारा सीवेज उसमें जाता है. हरियाणा और यूपी का काफी कीचड़ उसमें आता है. दिल्ली में 1797 अवैध कॉलोनियां बन गईं जहां पर सीवेज सिस्टम नहीं था जहां दिल्ली सरकार ने सीवेज सिस्टम प्रोवाइड कर दिया। केजरीवाल ने कहा कि पहले सारी गंदगी नालियों के जरिए यमुना में पहुंच जाती थी अब वह सीधा ट्रीटमेंट प्लांट में जाएगा और वहां से ट्रीट होकर यमुना में जाएगा।'
क्या है स्थिति
दिल्ली प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड द्वारा जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक, यमुना में बीओडी का स्तर दिल्ली में प्रवेश करने से लेकर दिल्ली से आगे जाने तक काफी बढ़ जाता है। दिल्ली में एंट्री करने पर जहां यमुना का बीओडी 2 मिलीग्राम प्रति लीटर रहता है वहीं दिल्ली से बाहर निकलते वक्त इसमें बीओडी 85 मिलीग्राम प्रति लीटर हो जाता है। यह साल 2023 के स्तर से भी ज्यादा खराब है जो कि दिल्ली में असगरपुर में 50 मिलीग्राम प्रति लीटर था।
वहीं डीओ की बात करें तो इसकी स्थिति भी यमुना में अच्छी नहीं है। डीओ किसी वॉटर बॉडी में ऑक्सीजन की उस मात्रा को कहते हैं जो कि उसमें जलीय जीवन के लिए आवश्यक होता है। किसी भी वॉटर बॉडी में डीओ 5 मिलीग्राम प्रति लीटर होना चाहिए। यमुना की बात करें तो यह पल्ला में 8.6 मिलीग्राम प्रति लीटर है जबकि जैसे जैसे दिल्ली में यमुना आगे बढ़ती जाती है वैसे वैसे यह घटते घटते शून्य हो जाता है।
वहीं फीकल कॉलिफॉर्म की बात करें तो यह किसी भी वॉटर बॉडी में 2500 पीपीएन से ज्यादा नहीं होना चाहिए। फीकल कॉलिफॉर्म सीवेज या मानव अपशिष्ट को कहते हैं। पल्ला में जहां से यमुना दिल्ली में प्रवेश करती है, वहां पर पीपीएन 1600 पार्ट्स प्रति मिलियन है जबकि असगरपुर में जहां से यमुना दिल्ली से बाहर निकलती है वहां यह 24,00,000 (24 लाख) पीपीएन हो जाता है।
बता दें कि नदियों में अनुमत बीओडी स्तर 3 मिलीग्राम प्रति लीटर होता है। ऊपर के आंकड़े से सिद्ध होता है दिल्ली में यमुना के जल की क्वालिटी में सुधार होने के बजाय और खराब ही हुआ है।