सीलिंग से सुरक्षा

वादा- सभी कानूनी और प्रशासनिक कदम उठाते हुए हम केंद्र सरकार, डीडीए और एमसीडी पर दबाव डालेंगे कि वे उद्योगों और दुकानों को सील न होने दें और सुनिश्चित करें कि सील की गई दुकानें खोली जाएंगी।

 

सीलिंग क्या है?

 

आमतौर पर जमीन का प्रकार अलग-अलग होता है। उदाहरण के लिए खेती वाली जमीन पर आप खेती कर सकते हैं, रिहायशी जमीन पर आप घर बनाकर रह सकते हैं, व्यावसायिक क्षेत्र में आप कारोबार कर सकते हैं और औद्योगिक क्षेत्र में आप फैक्ट्री लगा सकते हैं। दिल्ली में बीते दो-तीन दशकों में यह देखा गया कि बहुत सारे लोगों ने रिहायशी जमीन में दुकान खोल ली, सरकारी फ्लैट में मनचाहे निर्माण करवा लिए, बिना अनुमति के गलत तरीके से निर्माण करवाए आदि। इसी के खिलाफ जब दिल्ली नगर निगम (MCD) ने कार्रवाई की तो उसे सीलिंग कहा गया। इसके तहत इस तरह बनी संपत्ति या अलग इस्तेमाल में लाई जा रही संपत्ति को सील कर दिया गया।

 

दिल्ली में 2006-2007 में जमकर सीलिंग हुई थी। दरअसल, निर्माण कार्यों के लिए दिल्ली नगर निगम की परमिशन जरूरी होती है। एमसीडी की लापरवाही के चलते ही अवैध निर्माण जमकर हुए। अवैध निर्माण का यह मामला अदालतों से होते हुए पहले दिल्ली हाई कोर्ट फिर सुप्रीम कोर्ट तक भी पहुंचा। साल 2006 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिए कि अवैध निर्माण को सील कर दिया जाए। इसी को सीलिंग का नाम दिया गया। सरकार ने विकल्प दिया था कि कन्वर्जन चार्ज जमा किया जाए। यानी कुछ इलाकों में छूट दी गई कि लोग लैंड यूज बदलवाने के लिए पैसे दें और उसके बाद लैंड यूज चेंज करवा लें तो उनकी संपत्ति डी-सील यानी रेगुलराइज हो जाएगी। हालांकि, यह भी ठीक से नहीं हुआ।

 

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2018 में क्या हुआ?

 

एमसीडी में लंबे समय से बीजेपी काबिज थी। 2015 में दिल्ली की सत्ता पर काबिज हो चुकी AAP की नजर भी एमसीडी पर थी। 2018 में सीलिंग को लेकर जमकर हंगामा हुआ था। मई 2018 में सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार बड़े पैमाने पर एमसीडी ने सीलिंग अभियान चलाया। तब एमसीडी में बीजेपी का शासन था। सैकड़ों दुकानें, फूड जॉइंट, फैक्ट्रियों और अन्य संस्थानों को सील कर दिया गया। कई जगहों पर जमकर बुलडोजर भी चले। बता दें कि 2018 में जिन प्रॉपर्टी को सील किया गया था उनमें से ज्यादातर अभी तक सील ही हैं। इसके बाद जब 2020 का चुनाव आया तो AAP अपने चुनावी मैनिफेस्टो में लिखा कि वह सीलिंग रोकने की दिशा में काम करवाएंगे और सुनिश्चित करेंगे कि सील की गई दुकानें खोली जाएं।

 

सीलिंग का असर यह हुआ कि हजारों लोगों की दुकानें बंद हो गईं क्योंकि वे अपने घर से दुकान चला रहे थे। घर से कारोबार करने वाले हजारों कारोबारियों का काम ठप हो गया क्योंकि वे रिहायशी इलाकों में छोटी-मोटी फैक्ट्रियां लगाकर कारोबार कर रहे थे। दरअसल, 2006 में मिक्स्ड लैंड यूज को खत्म कर दिया गया और कई इलाकों को कमर्शियल घोषित कर दिया गया। इसमें ज्यादातर इलाके वे थे जिनमें लोग नीचे तो दुकान खोलते थे और उसी इमारत में ऊपर रहते थे। उदाहरण के लिए- लाजपत नगर या खान मार्केट जैसे इलाके। लोगों से कहा गया कि वे कन्वर्जन चार्ज दें और लैंड यूज चेंज करवाएं। लोगों ने पैसे नहीं दिए और लैंड यूज चेंज नहीं कराया तो एमसीडी ने सीलिंग शुरू कर दी।

AAP ने क्या किया?


22 मार्च 2023 को दिल्ली विधानसभा में सीलिंग से संबंधित एक स्टैंडिंग कमेटी की रिपोर्ट पेश की गई। इस रिपोर्ट का विषय 'सीलिंग, डी-सीलिंग, टैंपरिंग ऑफ सील्स ऑफ बुक्ड प्रॉपर्टीज, अनऑथराइज्ड कंस्ट्रक्शन एंड एनक्रोचमेंट रिलेटेड इशूज' था। मोहिंदर गोयल इस स्टैंडिंग कमेटी के चेयरमैन थे और 8 अन्य विधायक भी इसमें शामिल थे।

 

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इस कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि पिछले 5 साल में नॉर्थ, साउथ और ईस्ट एमसीडी को मिलाकर सीलिंग/ध्वस्तीकरण के कुल 47,925 आदेश जारी किए गए। इसमें से 1226 केस रेगुलराइज (डी-सील) किए गए और 16903 इमारतों को ढहाया गया। इसके अलावा, शहरी विकास विभाग ने बताया कि कुल 5450 संपत्तियों को सील किया गया, 285 संपत्तियों को डी-सील या रेगुलराइज किया गया। 5103 संपत्तियां ऐसी थीं जिन्हें डी-सील नहीं किया गया। सील की गई 3592 संपत्तियां ऐसी थीं जिनकी सील से छेड़छाड़ की गई थी।

 

इस कमेटी ने अपने ऑब्जर्वेशन में लिखा, 'इस कमेटी का मानना है कि एमसीडी अधिकारियों की सुविधा के अनुसार दिल्ली में जमकर अवैध निर्माण हो रहा है और एमसीडी सिर्फ केस दर्ज करने की औपचारिकता भर कर रही है। एमसीडी इन अवैध निर्माणों के खिलाफ सख्त ऐक्शन नहीं ले रही है। कमेटी यह जानकर हैरान थी कि कुल 3592 यानी 66 पर्सेंट सील संपत्तियों के सील से छेड़छाड़ की गई थी और ऐसा करने वालों के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई नहीं की गई।'

MCD में AAP के आने के बाद क्या हुआ?

 

MCD में AAP को 2022 में ही जीत मिल गई थी लेकिन मेयर का चुनाव होने में काफी समय लग गया। जब सत्ता पर AAP काबिज हुई तो उशने डी-सीलिंग के मुद्दे पर चर्चा करानी चाही लेकिन सदन में हर बार खूब हंगामा हुआ। BJP ने आरोप लगाए कि एक भी दुकानों की डी-सीलिंग नहीं हुई और सीलिंग होने लगी है। जनवरी 2024 में आई रिपोर्ट के मुताबिक तब तक 5639 संपत्तियां सील ही थीं। दरअसल, जनवरी 2024 में एक न्यायिक समिति ने डी-सीलिंग का आदेश दिया था लेकिन एमसीडी की एग्जीक्यूटिव विंग का मानना था कि इससे राजस्व का नुकसान होगा। इसी के चलते एमसीडी ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर कर दी थी। 

जनवरी 2024 के आखिर में तत्कालीन मेयर शैली ओबेरॉय ने आदेश जारी किया कि डी-सीलिंग शुरू की जाए। हालांकि, डी-सीलिंग कब से शुरू होगी इसको लेकर कोई तारीख नहीं बताई गई। मेयर ने आरोप भी लगाए कि एमसीडी कमिश्नर आदेश का पालन नहीं कर रहे हैं। फिलहाल यह मामला कोर्ट में पेंडिंग है।