दिल्ली के शाहदरा जिले में 5 विधानसभाएं हैं। उन्हीं में से एक विधानसभा है सीमापुरी विधानसभा। यह एक आरक्षित सीट है। आम आदमी पार्टी (AAP) ने एक जमाने में कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में शुमार रहे वीर सिंह ढिंगन को उतारा है। वह 2020 के चुनाव में कांग्रेस की ओर से चुनाव लड़ रहे थे। 

सीमापुरी विधानसभा, दिल्ली की अविकसित विधानसभाओं में से एक है, जहां सड़क और बिजली-पानी की समस्याओं से लोग जूझते हैं। साल 2013 से ही यह विधानसभा आम आदमी पार्टी के लिए मजबूत गढ़ बना नजर आया है। तंग गलियां, उलझे हुए तार, अनियमित कॉलोनियों की शिकायतें अक्सर लोग सोशल मीडिया पर करते हैं।

सीमापुरी के सामाजिक समीकरण क्या हैं?
सीमापुरी विधानसभा सीट आरक्षित वर्ग की सीट है। यहां आरक्षित वर्ग मजबूत स्थिति में है। जाटव समाज के 40 हजार वोटर हैं, वाल्मिकी समाज के 20 हजार वोट हैं। मुस्लिम वोटरों की भी आबादी 20 हजार के करीब है। सभी राजनीतिक दलों का फोकस इसी वर्ग के मतदाताओं को लुभाने पर है। 

कैसा रहा है सीट का इतिहास?
सीमापुरी विधानसभा सीट साल 1993 में अस्तित्व में आई थी। बलबीर सिंह भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर पहली बार चुनाव जीते थे। साल 1998, 2003 और 2009 के विधानसभा चुनावों में वीर सिंह ढिंगन विधायक रहे। साल 2013 से इस सीट पर आम आदमी पार्टी का कब्जा है। 2013 में धर्मेंद्र सिंह, 2015 और 2020 में राजेंद्र पाल गौतम चुने गए। दिलचस्प बात यह है कि आम आदमी पार्टी से नाराज होकर राजेंद्र पाल गौतम कांग्रेस में शामिल हो गए थे। 

कैसा था 2020 का चुनाव?
सीमापुरी विधानसभा सीट से साल 2020 में राजेंद्र पाल गौतम 2020 में जीते थे। उन्हें कुल 88,392 वोट पड़े थे। लोक जनशक्ति पार्टी ने संत लाल को उतारा था, उन्हें 32284 वोट पड़े थे।  कांग्रेस ने वीर सिंह ढींगन को उतारा था, वह 7 661 वोट पड़े थे। 

चुनाव में मुद्दे क्या हैं?
सीमापुरी दिल्ली के पिछड़े इलाकों में आता है। यहां पतली और संकरी गलियां, जाम, खुली नालियां, साफ-सफाई की कमी और अतिक्रमण बड़ी समस्या है। गर्मी के दिनों में इस इलाके में पानी की किल्लत की खबरें भी सामने आईं थीं। यहां बेहद छोटे-छोटे पार्क हैं, जो हैं भी अतिक्रमण का शिकार हैं। चुनावों में कांग्रेस और बीजेपी दोनों दलों की ओर से ये मुद्दे उठाए जा रहे हैं। 


2025 में किसके बीच है टक्कर?
सीमापुरी विधानसभा सीट से कुल 16 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं। मुख्य लड़ाई कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के बीच में है। आम आदमी पार्टी ने वीर सिंह ढींगन को चुनावी मैदान में उतारा है। कांग्रेस पार्टी ने राजेश लिलोठिया को टिकट दिया है। सीमापुरी विधानसभा से बीजेपी ने कुमारी रिंकू को चुनावी मैदान में उतारा है। आजाद समाज पार्टी (कांशी राम) ने अनिल कुमार को उतारा है। दिलचस्प बात यह है कि केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार की सहयोगी पार्टी एनसीपी ने इस विधानसभा सीट से राजेश कुमार लोहिया को टिकट दिया है।